अग्नि मिसाइल से पहले क्यों आई डॉक्टर अब्दुल कलाम के पास कॉल?
नई दिल्ली। वर्ष 1989 में जब राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री थे तो उस समय पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम अग्नि मिसाइल का टेस्ट करने वाले थे। लेकिन इस टेस्ट से ठीक पहले ही उनके पास हॉटलाइन पर एक फोन आया था जिसमें इस परीक्षण को रोकने की मांग की गई थी।
राजीव गांधी के सेक्रेटरी ने किया फोन
यह फोन कॉल राजीव गांधी के कैबिनेट सेक्रेटरी और भारत के पूर्व चुनाव आयुक्त रहे टीएन शेषन ने किया था। इस फोन कॉल में उन्होंने इस बात का संकेत डॉक्टर कलाम को दिया था कि अमेरिका और नाटो भारत पर अग्नि मिसाइल के टेस्ट को न करने का दबाव बना रहा है।
यह दावा किया गया है पूर्व दिवंगत राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की आखिरी किताब, 'एडवांटेज इंडिया: फ्रॉम चैंलेंज टू ऑपरच्यूनिटी' में। इस किताब को लिखने में उनके साथ उनके सेक्रेटरी रहे सृजनपाल सिंह ने भी मदद की है और इसे हार्पर कोलिंस ने पब्लिश किया है।
किताब में डॉक्टर कलाम के हवाले से लिखा है कि टेस्ट के कुछ ही घंटे पहले करीब तीन फोन आया था जिसमें शेषन ने अग्नि मिसाइल को लेकर हो रही प्रोग्रेस के बारे में सवाल किया था।
साथ ही उन्होंने डॉक्टर कलाम से यह भी कहा था कि अमेरिका और नाटो की ओर से भारत पर काफी दबाव बनाया जा रहा है।
क्या था डॉक्टर कलाम का जवाब
डॉक्टर कलाम ने लिखा है कि अमेरिकी सैटेलाइट के जरिए भारत पर नजर रखी जा रही थी। अमेरिका उस समय के पीएम राजीव गांधी और उनके ऑफिस पर दबाव बना रहा है।
उस समय डॉक्टर कलाम ने साफ-साफ कहा था कि अब मिसाइल ऐसी स्थिति में पहुंच चुकी है जहां से वापस नहीं लौटा जा सकता है। भारत ने उसी दिन ठीक तीन घंटे बाद यानी 22 मई 1989 को अग्नि मिसाइल का सफल टेस्ट किया था।
मेक इन इंडिया को लेकर था शक
डॉक्टर कलाम 'मेक इन इंडिया' को लेकर भी थोड़े आशंकित थे। उन्होंने कहा था कि यह अभियान काफी महत्वाकांक्षी है, लेकिन यह सुनिश्चित होना चाहिए कि भारत कहीं दुनिया का कम लागत वाला और सस्ता निर्माण केंद्र न बनकर रह जाए।
किताब में गत 27 जुलाई को कलाम का आईआईएम-शिलांग में दिया जा रहा अधूरा रह गया भाषण भी है। भाषण देने के दौरान ही वह लड़खड़ाकर गिर गए थे, जिसके कुछ समय बाद उनके निधन की घोषणा कर दी गई थी।