जम्मू कश्मीर: रेडियो कश्मीर अब ऑल इंडिया रेडियो और पूरा हुआ अटल बिहारी वाजपेयी का यह सपना
श्रीनगर। गुरुवार यानी 31 अक्टूबर से देश में 28 राज्य और सात संघ शासित प्रदेश हो गए हैं। जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद अब जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो अलग संघ शासित प्रदेश हैं। इसके साथ ही घाटी और लद्दाख में रेडियो कश्मीर की जगह ऑल इंडिया रेडियो का प्रसारण भी शुरू हो गया है। रेडियो कश्मीर को ऑल इंडिया रेडियो के तौर पर देखना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का सपना था। राज्य के संघ शासित प्रदेश बनते ही उनका यह सपना भी पूरा हो गया है। अब जम्मू कश्मीर और लद्दाख में रेडियो स्टेशनों के नाम ऑल इंडिया जम्मू, ऑल इंडिया रेडियो श्रीनगर और ऑल इंडिया रेडियो लेह कर दिया गया है।
सरकार से किए थे दो सवाल
29 नवंबर 1966 को अटल बिहारी वाजपेयी ने राज्यसभा में रेडियो कश्मीर से जुड़ा एक सवाल पूछा था। वाजपेई ने सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री से सवाल किया था। उन्होंने पूछा था कि क्या रेडियो कश्मीर का कश्मीर स्टेशन ऑल इंडिया रेडियो की जगह रेडियो कश्मीर कहलाता है। वाजपेयी ने सरकार से दो सवाल किए थे। उन्होंने पूछा था, 'क्या यह सच है कि ऑल इंडिया रेडियो के श्रीनगर स्टेशन से 'यह रेडियो कश्मीर' एनाउंस होता है?' उनका दूसरा सवाल था, 'अगर ऐसा है तो फिर 'यह ऑल इंडिश रेडियो या फिर आकाशवाणी है ऐसी एनाउंसमेंट श्रीनगर स्टेशन से क्यों नहीं होता है?'
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क्या दिया सरकार ने वाजपेयी को जवाब
इस पर सरकार की तरफ से वाजपेयी को जो जवाब दिया गया था वह भी काफी दिलचस्प था। सरकार ने वाजपेयी को बताया था, 'जी हां, यह सही है। श्रीनगर और जम्मू में रेडियो स्टेशंस 'रेडियो कश्मीर' के तौर पर काम कर रहे हैं और पिछले 18 वर्षों से वह इस नाम के साथ ही भारत के बाहर बसे श्रोताओं के बीच मशहूर हो चुके हैं। फिलहाल सरकार इसका नाम बदलने से जुड़े प्रस्ताव पर विचार कर रही है।'31 अक्टूबर से घाटी और लद्दाख में ऑल इंडिया रेडियो का टेलीकास्ट भी शुरू हो गया है।
अब जम्मू कश्मीर में भी ऑल इंडिया रेडियो
अब यहां के रेडियो स्टेशनों का नाम बदलकर ऑल इंडिया जम्मू, ऑल इंडिया रेडियो श्रीनगर और ऑल इंडिया रेडियो लेह कर दिया गया है। रेडियो कश्मीर, भी प्रसार भारती के तहत ही आता था और सूचना प्रसारण मंत्रालय पर इसका नियंत्रण था। दो स्टेशनों के साथ ऑपरेट होने वाले रेडियो कश्मीर को, जम्मू में डोगरी और उर्दू में तो श्रीनगर में कश्मीरी, उर्दू् और हिंदी में सुना जा सकता था। रेडियो कश्मीर की स्थापना एक जुलाई 1948 को हुई थी। उस समय शेख अब्दुल्ला कश्मीर के पीएम थे और उन्होंने श्रीगनर स्टेशन का उद्घाटन किया था।
19 साल तक चला था एक प्रोग्राम
रेडियो कश्मीर के ब्राडकास्टिंग स्टेशन आज भी श्रीनगर में जीरो या फिर अब्दुल्ला ब्रिज के करीब स्थित हैं। जेएन जुत्शी रेडियो कश्मीर के पहले डीजी थे। रेडियो कश्मीर को उस समय खासी लोकप्रियता मिली जब पुष्कर भान के जून दाब को 19 साल से ज्यादा समय तक ऑन एयर किया गया था। रेडियो कश्मीर ने यहां के लोगों के बीच अच्छी खासी पैठ बना ली थी और 24 घंटे यह यहां के स्थानीय लोगों के बीच मनोरंजन का पॉपुलर साधन बन गया।