जब हवा, पानी जानलेवा हों तो अकेले योग क्या करेगा?
नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में मनाया गया। लेकिन भारत में इसकी काफी धूम रही। प्रधाननमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार रांची में योग कर योग दिवस मनाया और कहा भी कि आज के बदलते समय में इलनेस से बचाव के साथ-साथ वेलनेस पर फोकस जरूरी है। यही शक्ति हमें योग से मिलती है और यही भावना योग की है, पुरातन भारतीय दर्शन की है। योग सिर्फ तभी नहीं होता जब हम आधा घंटा जमीन या मैट पर होते हैं। अब आधुनिक योग की यात्रा शहरों से गांवों की तरफ ले जानी है। गरीब और आदिवासी के घर तक ले जानी है क्योंकि ये गरीब ही हैं जो बीमारी की वजह से सबसे ज्यादा कष्ट पाते हैं।
प्रधाननमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार रांची में मनाया योग दिवस
यह तथ्य है कि योग भारत का है और इसे पूरी दुनिया में स्थापित कराने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने के काम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बड़ा योगदान माना जाता है। सरकारी स्तर पर इसकी शुरुआत भी उन्हीं की ओर से की गई थी। यह भी सच्चाई है कि नियमित योग से न केवल स्वास्थ्य को बेहतर रखा जा सकता है बल्कि तमाम बीमारियों से भी बचा जा सकता है। लेकिन यह भी देखने की बात है कि क्या मात्र योग से ही सब कुछ संभव है। स्वास्थ्य के साथ क्या भोजन, हवा और पानी की भूमिका भी नहीं जुड़ी होती है। यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है कि जिस समय योग दिवस मनाया जा रहा है उसी समय बिहार के मुजफ्फरपुर में कुपोषण और दूषित पानी की वजह से हुई बीमारी से सवा सौ से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है और अनेक बच्चे अभी भी इसके शिकार हैं।
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योग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने में पीएम मोदी का बड़ा योगदान
योग की महत्ता को स्वीकार करते हुए भी इस बात पर विचार करने की जरूरत है कि हमारा पूरा वातावरण कैसा हो गया है। वैश्विक रिपोर्ट बताती हैं कि भारत में वायु और जल प्रदूषण इतना बढ़ चुका है कि दोनों ही खतरनाक स्थिति में पहुंच चुके हैं। अब से कुछ दिन पहले ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वायु और जल प्रदूषण की खराब स्थिति के लिए भारत की आलोचना की थी। जलवायु परिवर्तन पर अपनी बात में ट्रंप का कहना था कि भारत, रूस और चीन जैसे देशों में अच्छी हवा और पानी तक नहीं है। इतना ही नहीं, यह भी कहा था कि विश्व के पर्यावरण को लेकर ये देश अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते हैं। इन देशों में प्रदूषण और सफाई को लेकर कोई सोच नहीं है। भारत के बारे में भी ऐसा कहने के लिए ट्रंप की आलोचना की जा सकती है कि क्योंकि यहां स्वच्छता अभियान बहुत व्यापक पैमाने पर चलाया जा रहा है। वायु और जल प्रदूषण को खत्म करने की भारत सरकार की तमाम योजनाओं का भी जिक्र किया जा सकता है। इस सबके बावजूद यह स्वीकार करने में किसी को दिक्कत नहीं होनी चाहिए कि भारत में हवा और पानी की स्थिति ठीक नहीं है जिसका खामियाजा लोगों खासकर गरीबों को भुगतना पड़ता है।
भारत में वायु और जल प्रदूषण खतरनाक स्थिति में: वैश्विक रिपोर्ट
भारत में वायु और जल प्रदूषण इस स्तर पर बढ़ चुका है कि लोगों का जीवन दूभर होता जा रहा है। देश की राजधानी दिल्ली का हाल भी काफी बुरा हो चुका है। हालांकि यहां प्रदूषण में कमी लाने के लगातार प्रयास किए गए लेकिन वे नाकाफी ही साबित हो रहे हैं। पानी का भी कमोबेश वही हाल है। दिल्ली से नोएडा के बारे में यह आम तथ्य है कि वहां का पानी पीने लायक नहीं है। देश के कई इलाके इसी तरह की समस्या से जूझ रहे हैं। कई जगहों का पानी तो इतना खराब है कि लोगों को तरह-तरह की बीमारियों का शिकार होना पड़ता है। नदियों का हाल और बुरा है। गंगा की सफाई को लेकर लंबे समय से अभियान चलाया जा रहा है। अभी भी हालात यह है कि उसका पानी खराब बताया जा रहा है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि जहां लोगों को शुद्ध हवा और शुद्ध पानी तक नहीं मिल पा रहा है वहां के लोगों के स्वास्थ्य की हालत कैसी होगी। कुपोषण अपने आप में एक बड़ी समस्या है। अभी इस आशय की खबरें आती रहती हैं कि खाना मिलने की वजह से मौत हो जा रही है। यह हाल तब है जबकि खाद्य सुरक्षा कानून लागू है और कई राज्य सरकारें मुफ्त राशन दे रही हैं। लेकिन भुखमरी की समस्या का समाधान नहीं किया जा सका है। जब आम लोगों को जीवन के लिए बुनियादी चीजें ही नहीं मिल पा रही हैं, तब अन्य चीजों के बारे में कुछ भी किया जाना बेमानी ही लगता है।
पूरी दुनिया के 3.6 अरब लोग घर में होने वाले प्रदूषण से प्रभावित
वायु प्रदूषण को लेकर पर जारी की गई एक रिपोर्ट बताती है कि 2017 में 12 लाख लोगों की मौत हो गई थी। स्टेट आफ ग्लोबल एयर 2019 की रिपोर्ट बताती है कि पूरी दुनिया के 3.6 अरब लोग घर में होने वाले प्रदूषण से प्रभावित हुए हैं। रिपोर्ट यह भी बताती है कि लंबे समय तक घर से बाहर रहने या घर में वायु प्रदूषण की वजह से स्ट्रोक, मधुमेह, दिल का दौरा, फेफड़े के कैंसर आदि की बीमारियों से लाखों लोगों की मौत हुई है। एक रिपोर्ट में इसका भी उल्लेख है कि दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में भारत के 22 शहर हैं। केवल इसी आंकड़े से समझा जा सकता है कि भारत में वायु प्रदूषण कितना है। जल प्रदूषण का भी कमोबेश यही हाल है। लोगों को शुद्ध पानी न मिलने की वजह से बोतलबंद पानी का बाजार गर्म है। लेकिन यह इतने महंगे हैं कि गरीबों की पहुंच के बाहर है।
आज की बहुत सारी समस्याएं पर्यावरण की वजह से हैं जिन पर किसी का ध्यान नहीं है। विकास की अंधी दौड़ में कंकरीट के जंगल खड़े किए जा रहे हैं और जंगलों को नष्ट किया जा रहा है। इस पर रोक के कोई लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हैं। योग के महत्व को नहीं नकारा जा सकता। निश्चित रूप से इसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए लेकिन अगर हवा और पानी ही लोगों को शुद्ध नहीं मिलेगा भरपेट भोजन ही उपलब्ध नहीं होगा तो योग का बहुत मतलब नहीं रह जाएगा। सरकारों को सबसे पहले इन बुनियादी चीजों पर ध्यान देना चाहिए तभी योग की भी सार्थकता साबित हो सकेगी।
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