कौन हैं वो 17 भारतीय, जिनकी वीडियो कॉल के जरिए WhatsApp पर हुई जासूसी
नई दिल्ली। फेसबुक के स्वामित्व वाले मैसेजिंग प्लैटफॉर्म व्हाट्सऐप ने एक बड़ा खुलासा किया कि इजरायली स्पाइवेयर 'पेगासस' ने दुनियाभर में उसके 1400 यूजर्स को मालवेयर भेजकर उनकी जासूसी की। व्हाट्सऐप के मुताबिक 'पेगासस' ने जिन लोगों को अपना शिकार बनाया उनमें विश्वभर के वकील, पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता, कूटनीतिज्ञ और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी भी शामिल हैं, इनमें 17 भारतीय भी शामिल हैं। मैसेजिंग ऐप के इस खुलासे के बाद देश में सियासी घमासान मचा हुआ है। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल केंद्र सरकार को इस मामले पर घेर रहे हैं। वहीं, सियासी हंगामे के बाद सरकार ने इस मामले में व्हाट्सऐप से जवाब मांगा है। आइए, जानते हैं वे 17 भारतीय कौन हैं जिनकी जासूसी की गई है।
इन 17 भारतीयों की हुई जासूसी
पेगासस ने जिन लोगों को अपना शिकार बनाया उनमें मानवाधिकार कार्यकर्ता और पेशे से वकील शालिनी गेरा के अलावा, मानवाधिकार कार्यकर्ता बेला भाटिया, बीबीसी के पूर्व पत्रकार शुभ्रांशु चौधरी, एल्गार परिषद मामले में कई लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले निहालसिंह बी राठौर, दलितों और आदिवासियों के लिए आवाज उठाने वाले डिग्री प्रसाद चौहान, कबीर कला मंच की सदस्य रुपाली जाधव, टीवी पत्रकार सिद्धांत सिब्बल, लेखक आनंद तेलतुमडे शामिल हैं।
आदिवासियों और दलितों के मुद्दे उठाने वाले अधिकतर कार्यकर्ता शामिल
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, वकील अंकित ग्रेवाल, मुंबई के सामाजिक कार्यकर्ता विवेक सुंदरा, एक्टिविस्ट सीमा आजाद, सामाजिक कार्यकर्ता आशीष गुप्ता, डीयू के असिस्टेंट प्रोफेसर सरोज गिरि, स्ट्रेटजिक एनालिस्ट राजीव शर्मा, रिसर्च स्कॉलर अजमल खान, चौथी दुनिया के एडिटर-इन-चीफ संतोष भारतीय का नाम भी जासूसी किए जाने वालों की लिस्ट में शामिल है। इनमें से अधिकतर लोग आदिवासियों और दलितों के मुद्दे को उठा रहे थे।
वीडियो कॉल के जरिए बनाया गया शिकार
पेशे से वकील शालिनी गेरा ने बताया कि अक्टूबर की शुरुआत में उनसे टोरंटो यूनिवर्सिटी की सिटिजन लैब के जॉन स्कॉट रेल्टन ने संपर्क किया। गेरा ने बताया, 'स्कॉट रेल्टन ने मुझसे कहा कि मैं डिजिटली मुश्किल में फंस गई थी और मुझसे इसकी जांच करने को कहा।' बता दें कि गेरा उस टीम का हिस्सा हैं जो एल्गार परिषद मामले की आरोपी सुधा भारद्वाज का बचाव कर रही है। गेरा को बताया गया कि सिटिजन लैब के पास उन फोन नबंर्स की लिस्ट है जिनके बारे में इस रिसर्च यूनिट का मानना है कि इजरायली स्पाइवेयर पेगासस ने इस साल फरवरी से मई तक उन्हें निशाना बनाया। गेरा ने बताया कि उनका नाम भी इस लिस्ट में है।
इंटरनैशनल नंबर से आए अनगिनत कॉल्स
गेरा ने कहा कि जिस वक्त के बारे में उनको बताया गया, उस वक्त कई संदिग्ध वीडियो कॉल एक इंटरनैशनल नंबर से आए। उन्होंने उन कॉल्स को रिसीव नहीं किया था क्योंकि तब वे स्वीडन में किसी को जानती नहीं थी। गेरा के साथ-साथ सभी को फोन कॉल, टेक्स्ट मैसेज या एक ईमेल के द्वारा हैकर्स ने संभवत: अपना शिकार बनाया। बताया जा रहा है कि पेगासस की मदद से सऊदी पत्रकार जमाल खगोशी की भी जासूसी की गई थी।
सियासी घमासान के बाद सरकार ने मांगा व्हाट्सऐप से जवाब
2016 की प्राइस लिस्ट के मुताबिक, एनएसओ ग्रुप अपने ग्राहकों से 4.6 करोड़ रु 10 डिवाइस को हैक करने के लिए बदले चार्ज करता है। इसके अतिरिक्त 3.5 करोड़ रु इंस्टालेशन फीस के तौर पर लिए जाते हैं। अमेरिकी कारोबारी पत्रिका फास्ट कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में ये दावा किया था। वहीं, इस मामले को लेकर देश में सियासत गरमाई हुई है। विपक्षी दलों ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है, जिसके बाद सरकार की तरफ से व्हाट्सऐप कंपनी से जवाब मांगा गया है। आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार व्हाट्सऐप पर देश के नागरिकों की गोपनियता भंग होने से चिंतित है। सरकार ने कंपनी से जवाब मांगा है और साथ ही पूछा है कि कंपनी करोड़ों भारतीय नागरिकों की प्राइवेसी की रक्षा के लिए क्या कर रही है। सरकार ने 4 नवंबर तक मैसेजिंग ऐप से जवाब मांगा है।