मरीना बीच में ऐसा क्या ख़ास है?
डीएमके प्रमुख और तमिल राजनीति के अहम स्तंभ माने जाने वाले एम करुणानिधि ने मंगलवार शाम दुनिया को अलविदा कह दिया.
चेन्नई के कावेरी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. बाहर समर्थकों का तांता लगा था. वो अपने नेता को याद कर रो रहे थे, चिल्ला रहे थे और नारे लगा रहे थे.
डीएमके प्रमुख और तमिल राजनीति के अहम स्तंभ माने जाने वाले एम करुणानिधि ने मंगलवार शाम दुनिया को अलविदा कह दिया.
चेन्नई के कावेरी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. बाहर समर्थकों का तांता लगा था. वो अपने नेता को याद कर रो रहे थे, चिल्ला रहे थे और नारे लगा रहे थे.
लेकिन इसी बीच वहां लगे बैरीकेड हटाए जाने लगे, तोड़फ़ोड़ की जाने लगी और पुलिस को हालात काबू करने के लिए काफ़ी मशक्कत करने लगी.
और समर्थक ऐसा क्यों कर रहे थे? इन सभी की मांग थी कि एम करुणानिधि का अंतिम संस्कार और स्मारक मरीना बीच पर बने. करुणानिधि को दफ़नाया जाना है.
दाह-संस्कार क्यों नहीं?
साल 2016 के दिसंबर में तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के समय भी ये सवाल ज़ोर-शोर से उठा था कि जयललिता का दाह-संस्कार क्यों नहीं किया गया?
उस समय मद्रास विश्वविद्यालय में तमिल भाषा और साहित्य के रिटायर्ड प्रोफ़ेसर डॉक्टर वी अरासू ने बीबीसी को बताया था कि इसकी वजह जयललिता का द्रविड़ मूवमेंट से जुड़ा होना था.
द्रविड़ आंदोलन हिंदू धर्म के किसी ब्राह्मणवादी परंपरा और रस्म में यक़ीन नहीं रखता है.
जयललिता से पहले एमजी रामचंद्रन को भी दफ़नाया गया था. उनकी क़ब्र के पास ही द्रविड़ आंदोलन के बड़े नेता और डीएमके के संस्थापक अन्नादुरै की भी क़ब्र है.
मरीना बीच पर संस्कार क्यों?
जयललिता, रामचंद्रन और अन्नादुरै, तीनों का अंतिम संस्कार मरीना बीच पर किया गया. और अब करुणानिधि के समर्थकों की मांग है कि उनका समाधि स्थल भी यही बने.
तमिलनाडु सरकार इस बात से इनकार कर रही थी. मामला कोर्ट में पहुंचा और फ़ैसला आया कि करुणानिधि का अंतिम संस्कार मरीना बीच पर ही होगा.
राज्य सरकार का कहना था कि करुणानिधि को अन्ना स्क्वेयर पर जगह नहीं दी जा सकती क्योंकि वहां केवल सीटिंग मुख्यमंत्रियों को जगह दी जाती है. और करुणानिधि पूर्व मुख्यमंत्री हैं.
लेकिन मरीना बीच को लेकर इस ज़िद की वजह क्या है? इस जगह में ऐसा क्या ख़ास है. दरअसल, करुणानिधि के समर्थकों की मांग थी कि उनका स्मारक बने और वो भी उनके मेंटर अन्नादुरै की समाधि के बग़ल में, जो मरीना बीच के अन्ना स्क्वेयर पर है.
क्या कहानी है मरीना बीच की?
मरीना बीच, चेन्नई शहर में बना समंदर का कुदरती किनारा है. ये उत्तर में फ़ोर्ट सेंट जॉर्ज से शुरू होता है और दक्षिण में फ़ोरशोर एस्टेट तक जाता है. ये क़रीब छह किलोमीटर में फैला है, जो इसे देश का सबसे लंबा कुदरती शहरी बीच बनाता है.
और ये जगह कई वजह से ऐतिहासिक है. साल 1884 में यहां प्रोमेनेड बना. साल 1909 में यहां देश का पहला एक्वेरियम बना.
आज़ादी के बाद यहां ट्रायंफ़ ऑफ़ लेबर और गांधी की 'दांडी यात्रा' वाली प्रतिमा लगाई गई.
साल 1968 में पहली वर्ल्ड तमिल कॉन्फ़्रेंस के समय तमिल साहित्य के कई दिग्गजों की प्रतिमाओं को यहां जगह दी गई.
यहां क्या-क्या है?
इनमें अव्वइयार, तिरुवल्लुवर, कम्बर, सुब्रमनिया भरतियार, भारतीदसन शामिल हैं. साल 1970 में यहां अन्नादुरै का मेमोरियल बनाया गया और 1988 में एमजीआर का स्मारक बना.
इसके बाद कामराज और शिवाजी गणेशन का मेमोरियल बनाया गया और हाल में जयललिता का अंतिम संस्कार यहां किया गया था. कुछ समय में उनका स्मारक यहां बन सकता है.
और अब करुणानिधि के अंतिम संस्कार की इजाज़त के बाद मरीना बीच पर उनका मेमोरियल बनाने की मांग भी उठ सकती है.
चेन्नई के लिए मरीना बीच पर्यटकों के पसंदीदा स्थलों में से एक है. यहां लोग मेमोरियल और प्रतिमाएं, मॉर्निंग वॉक, जॉगर्स ट्रैक, लवर्स स्पॉट, एक्वेरियम देखने पहुंचते हैं.
यहां दो स्वीमिंग पूल भी हैं, जिनमें से एक अन्ना स्वीमिंग पूल है.
जयललिता को दाह संस्कार के बदले दफ़नाया क्यों?
करुणानिधि को क्यों दफ़नाया जा रहा है?