गुलाम नबी आजाद आगे क्या करेंगे? PM Modi की तारीफ के बाद अटकलों का बाजार गर्म
नई दिल्ली: मंगलवार को कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के लिए राज्यसभा में विदाई भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनसे जुड़ी पुरानी यादों को लेकर जितना भावुक हुए और उनकी तारीफ में जितने कसीदे पढ़े, उसने तरह-तरह की कयासबाजियों की हवा देनी शुरू कर दी है। चर्चा सिर्फ उन्हीं को लेकर नहीं हो रही है। कश्मीर से राज्यसभा का कार्यकाल पूरा करने वाले पीडीपी के दोनों सांसदों को लेकर भी खूब अटकलबाजियां चल रही हैं, क्योंकि उन्होंने भी महबूबा मुफ्ती से उलट जम्मू कश्मीर के लिए केंद्र सरकार की ओर से शुरू किए गए कामों का खूब बखान किया है।
गुलाम नबी आजाद आगे क्या करेंगे?
मंगलवार को राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के बाद सदन के नेता विपक्ष रहे कांग्रेसी गुलाम नबी आजाद और रिटायर होने वाले दोनों पीडीपी सांसदों को लेकर इस वक्त सियासी अटकलबाजियां जोरों पर हैं। कुछ को तो आजाद में भविष्य के लिए उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए उम्मीदवार का चेहरा दिखाई पड़ रहा है। कुछ का मानना है कि पीएम मोदी ने जिस तरह से सदन में 'जी-23' का जिक्र छेड़ा है, उसके बाद गुलाम नबी आजाद आगे होने वाले जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के संभावित चेहरा भी हो सकते हैं। क्योंकि, सूत्रों का कहना है कि जम्मू में तो बीजेपी सबसे बड़ी ताकत बन चुकी है, लेकिन कश्मीर में उसे किसी ऐसे बड़े कद के नेता की तलाश हो सकती है, जो भरोसेमंद भी हो, उसमें दया की भावना भी हो, और जो घाटी को पार्टी की 'इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत' वाली भावना से तालमेल बिठा सके। पीएम मोदी राज्यसभा में लगभग इसी लाइन पर आजाद की तारीफों के पुल बांध रहे थे।
जी-23 की जिक्र छेड़ पीएम ने कांग्रेस की दुखती रग को क्यों दबाया?
दरअसल, पीएम मोदी ने राज्यसभा में कहा था, 'गुलाम नबी जी हमेशा बहुत ही शालीनता से बोलते हैं और कभी भी गलत भाषा का उपयोग नहीं करते हैं। हमें इनसे ये सीखना चाहिए, इसके लिए मैं इनका आदर करता हूं। जम्मू और कश्मीर में चुनाव की इन्होंने सराहना की.....मुझे लगता है कि आपकी पार्टी इसे सही भावना के साथ लेगी और 'जी -23' के सुझावों को सुनकर उसके उलटा कार्य करने की गलती नहीं करेगी।' सिर्फ पीएम मोदी ही नहीं, भाजपा के दूसरे नेताओं ने भी अब उन्हें 'मृदुभाषी, दयालु और सौम्य बताया' है, 'जो चाहते हैं कि घाटी में स्थिति बेहतर हो।' इन अटकलबाजियों की एक वजह ये भी है कि आजाद अभी महज 71 साल के हैं और भाजपा के लिए नरेंद्र मोदी ने जो रिटायरमेंट की एक 'अनौपचारिक' सीमा निर्धारित की है, वह 75 साल है। यानी आजाद के पास इस नजरिए से चार साल बचे हुए हैं। गौरतलब है कि आजाद ने भी कहा है कि उन्हें 'हिंदुस्तानी मुसलमान' होने पर फक्र है और यह लगभग वही लाइन है, जिसपर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लोग भी जोर देते रहे हैं।
पीडीपी नेताओं ने की केंद्र की योजनाओं की तारीफ
दिलचस्प बात ये है कि महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी के जो नेता राज्यसभा से रिटायर हुए हैं, उन्होंने भी नरेंद्र मोदी सरकार के कुछ कामों जैसे- उज्ज्वला योजना की जमकर सराहना की है। इसी से उत्साहित नजीर अहमद ने कहा है, 'प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने इस सदन में वादा किया था कि जम्मू और कश्मीर फिर से राज्य बनेगा। मुझे विश्वास है कि यह ऊपर वाले की इच्छा है, इस से संबंधित विधेयक सदन में इसी तरह किसी दिन लाया जाएगा।' यह पीडीपी के वही सांसद हैं, जिन्होंने संसद में मोदी सरकार के इस फैसले का जोरदार विरोध किया था और कथित तौर पर कपड़े तक फाड़ लिए थे। लेकिन, अब वो कह रहे हैं कि अब वो अपने प्रदेश के लोगों से बताएंगे कि पूरा भारत कश्मीर की कितनी परवाह करता है। उन्होंने कहा, 'संसद हमारे देश की खुशबू है और मैं खुशबू को अपने साथ जम्मू-कश्मीर ले जा रहा हूं।' पीडीपी के दूसरे सांसद मीर मोहम्मद फैयाज ने कहा है कि उज्ज्वला के तहत एलपीजी सिलेंडर देने से जम्मू-कश्मीर के गरीब महिलाओं को बहुत ज्यादा राहत मिली है। अलबत्ता उन्होंने पीएम से अपील की है कि राज्य को फिर से राज्य का दर्जा देने के साथ उसके विशेष दर्जे को भी बहाल करें।