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स्टरलाइट प्लांट की तालाबंदी से क्या बदलेगा, पांच बड़े सवाल

तमिलनाडु सरकार ने तूतिकोरिन स्थित वेदांता समूह की कंपनी स्टरलाइट को सील करने का आदेश दे दिया है.

'इंडियन एक्सप्रेस' की ख़बर के मुताबिक़, स्थानीय प्रशासन ने चार लाख टन तांबे का उत्पादन करने वाली कंपनी की तूतिकोरिन इकाई को बंद कर दिया गया है.

सोशल मीडिया से लेकर समाजसेवियों के बीच तमिलनाडु सरकार के इस फ़ैसले को स्टरलाइट के ख़िलाफ़ चलाए गए विरोध प्रदर्शनों के लिए एक अच्छे शगुन के रूप में देखा जा रहा है.

By BBC News हिन्दी
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तमिलनाडु सरकार ने तूतिकोरिन स्थित वेदांता समूह की कंपनी स्टरलाइट को सील करने का आदेश दे दिया है.

'इंडियन एक्सप्रेस' की ख़बर के मुताबिक़, स्थानीय प्रशासन ने चार लाख टन तांबे का उत्पादन करने वाली कंपनी की तूतिकोरिन इकाई को बंद कर दिया गया है.

सोशल मीडिया से लेकर समाजसेवियों के बीच तमिलनाडु सरकार के इस फ़ैसले को स्टरलाइट के ख़िलाफ़ चलाए गए विरोध प्रदर्शनों के लिए एक अच्छे शगुन के रूप में देखा जा रहा है.

हालांकि, कंपनी ने राज्य सरकार के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण कार्रवाई बताया है और वो इस फैसले का अध्ययन करने के बाद आगे के फैसले लेने पर विचार करेगी.

आइए, देखते हैं कि आने वाले समय में इस घटना के किस तरह के असर देखे जा सकते हैं.



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भविष्य के जनांदोलनों पर असर

समाजसेवी मेधा पाटकर इसे जनांदोलनों की जीत के रूप में देखती हैं.

उन्होंने कहा, "ये निश्चित ही जनांदोलनों की जीत है. लेकिन मिसाल ये नहीं होनी चाहिए... अहिंसक आंदोलनों पर सरकार हिंसक रूप से हावी हो जाए, मिसाल ये भी नहीं बननी चाहिए कि हर कंपनी के नियमों-कानूनों का उल्लंघन को सरकारें मंजूरी देती जाएं."

"अब तो मोदी सरकार ने किसी बड़ी कंपनी की परियोजना को मंजूरी दिए जाने की जरूरत ही ख़त्म कर दी है. ये मई 2014 से हो चुका है. अगर 100 दिनों तक चले आंदोलन के दौरान भी जांच होती तो बात अलग होती. जिन लोगों को इसके लिए शहादत देनी पड़ी है, वो नहीं देनी पड़ती."



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पर्यावरण पर किस तरह का असर

स्टरलाइट कॉपर कंपनी के ख़िलाफ़ तूतिकोरन में स्थानीय लोग एक लंबे समय से प्रदर्शन करते आ रहे हैं. लेकिन इसके बाद भी कंपनी ने अपना काम जारी रखा जिसके दुष्परिणाम सामने आए.

सेंटर फॉर साइंस एंड इनवॉयरनमेंट की विश्लेषक श्रेष्ठा बनर्जी बताती हैं कि अब से पांच साल पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फ़ैसले में कहा था कि कंपनी लगभग 15 सालों से इस इलाके के पानी और मिट्टी को दूषित करती आ रही थी.

बनर्जी के मुताबिक़, "साल 2013 में ही कई लोगों ने शिकायत की थी कि गैस का रिसाव हुआ था. इसके बाद कई लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. दरअसल फैक्ट्री के कचरे को बाहर फेंका जा रहा था जिससे प्रदूषण होता था."

"इसके बाद मद्रास हाईकोर्ट में भी एक केस था जिसमें लोगों के जीविकोपार्जन पर संकट को लेकर बात की गई थी. क्योंकि ये एक तटीय क्षेत्र है और प्रदूषण के चलते मछुआरों की जीविका को नुकसान हो रहा था."

इस मामले में एक अहम जानकारी ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2013 में कानून का उल्लंघन करने की वजह से स्टरलाइट कॉपर कंपनी पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था.

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फैक्ट्री के पास रहने वालों की सेहत पर असर

बनर्जी बताती हैं, "फैक्ट्री के पास रहने से किसी तरह की समस्या होने का सवाल नहीं है. सवाल इस बात का है कि फैक्ट्री किस तरह से काम करती है."

"क्योंकि अगर कंपनी फैक्ट्री से निकले हुए पानी का ठीक से निस्तारण नहीं करेगी, प्रदूषण रोकने के लिए बनाए गए नियमों का ठीक से पालन नहीं करेगी तो इससे लोगों की सेहत को नुकसान हो सकता है."

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फैक्ट्री बंद होने के आर्थिक असर

इस बात में दो राय नहीं है कि इस इकाई के बंद होने के आर्थिक असर भी सामने आएंगे क्योंकि ये फैक्ट्री देश के तांबा उत्पादन का लगभग 40 फीसदी तांबा पैदा करती थी.

स्टरलाइट कॉपर दुनिया में सातवां सबसे बड़ा कॉपर स्मेलटर है जो पिछले 22 सालों से काम कर रहा था. ये फ़ैक्ट्री देश में 36 फीसदी तांबे की मांग को पूरा करती थी.

इस प्लांट के बंद होने से देश में तांबे की स्थानीय आपूर्ति पर असर पड़ेगा. एडिलवाइज़ रिसर्च फर्म का हालिया शोध बताता है कि इससे तांबे की कीमतों पर असर पड़ेगा.

तांबे का आयात करने की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था पर तीन बिलियन डॉलर का भार पड़ेगा.

बंदी का कर्मचारियों पर असर

स्टरलाइट कॉपर कंपनी के साथ 3500 लोग सीधे तौर पर जुड़े हुए थे. इसके अलावा कंपनी दावा करती है कि यह अपरोक्ष रूप से तीस हज़ार लोगों को रोजगार देती है.

ऐसे में इन हज़ारों लोगों की ज़िंदगी पर फैक्ट्री बंद होने का सीधा असर पड़ेगा.

बीबीसी ने वेदांता समूह के प्रवक्ता से ये समझने की कोशिश की कि कंपनी ने अपने उन कर्मचारियों के लिए क्या किया है जो अचानक बेरोजगार हो गए हैं.

लेकिन कई बार प्रयास करने के बाद भी वेदांता समूह की ओर से किसी तरह का जवाब प्राप्त नहीं हुआ.

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English summary
What will change with the shuttle plant lockout five big questions
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