मोदी सरकार को 'हिलाने' से 10 दिन पहले कृषि कानूनों पर क्या थी SAD की राय, जानिए
नई दिल्ली- केंद्र सरकार के जिन कृषि कानूनों पर देश में सियासी बवाल मचा हुआ है और विपक्षी पार्टियां विरोध-प्रदर्शन कर रही हैं, वह पहले से ही अध्यादेश के रूप में आ चुका था। लेकिन, तब किसी ने इतना विरोध नहीं किया। इस पर ज्यादा बवाल तब से मचना शुरू हुआ जब मोदी सरकार की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल की एकमात्र मंत्री हरसिमरत कौर ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। अब पार्टी कह रही है कि जैसे द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका ने एटम बम गिराकर जापान को हिला दिया था, वैसे ही हरसिमरत के इस्तीफे से मोदी सरकार हिल गई है। लेकिन, जब आपको इसी शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर के कुछ दिन पहले वाले बयानों के बारे में पता चलेगा तो मालूम हो जाएगा कि विरोध का मकसद किसानों का हित है या फिर अपना राजनीतिक हित ?
इस्तीफे से हिल गई मोदी सरकार- सुखबीर बादल
शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने जब कृषि कानूनों के खिलाफ मोदी सरकार से इस्तीफा दिया, उससे केवल 10 पहले तक वो नए कानूनों की तारीफ में कसीदे पढ़े रही थीं। गौरतलब है कि संसद से पास कराने से पहले मोदी सरकार इसपर अध्यादेश लेकर आई थी। तब, हरसिमरत ने एक वीडियो संदेश में इसका समर्थन करते हुए इसे किसानों के हित वाला अध्यादेश बताया था। गौरतलब है कि जब वो अचानक इस मुद्दे पर अपना नजरिया बदलने के बाद मोदी सरकार से बाहर चली गईं तो उनके पति और अकाली दल के नेता सुखबीर बादल ने कहा कि 'जैसे द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका ने एटम बम गिराकर जापान को सदमे में डाल दिया था। ठीक उसी तरह हरसिमरत कौर के इस्तीफे ने मोदी सरकार को हिला दिया है। पिछले दो महीनों से किसानों के मुद्दे पर चुप रही सरकार अब पांच-पांच मंत्रियों को किसानों के मुद्दे पर बोलने के लिए भेज रही है।
पहले हरसिमरत ने अध्यादेश को किसान-हित में बताया था
इसके ठीक उलट कृषि कानूनों के बारे में सात सितंबर को 8 मिनट के एक वीडियो संदेश में हरसिमरत बादल ने कहा था, 'हमारी विरोधी पार्टियों ने किसानों को गुमराह करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ा और उनके दिमाग में संदेह का बीज बोने का काम किया। पूरे देश में और पड़ोसी हरियाणा तक में भी एक भी किसान यूनियन ने इसका विरोध नहीं किया है। पंजाब में कांग्रेस और उसकी बी-टीम 'आप' ने किसानों को गुमराह किया है।' इससे पहले अकाली दल के सुप्रीमो प्रकाश सिंह बादल ने भी इस संबध में एक वीडियो संदेश जारी किया था, जिसके बारे में हरसिमरत ने कहा था, 'उन्होंने भी आपको इस किसान-हित वाले अध्यादेशों के बारे में आपको बताया है और किसानों से कहा है कि हमारे विरोधियों की बातों से गुमराह मत होइए।'
एमएसपी पर सरकारी की बात से सहमत थी पार्टी
इतना ही नहीं हरसिमरत कौर ने एमएसपी का भी जिक्र किया था और भरोसा देने की कोशिश की थी कि यह पहले की तरह जारी रहेगी। इसके बारे में उन्होंने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की ओर से शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल को लिखी चिट्ठी के बारे कहा था, 'चिट्ठी में लिखित में कहा गया है कि एमएसपी जारी रहेगी और इसलिए मंडियों के जरिए जनता से खरीद भी जारी रहेगी।' इससे पहले 3 सितंबर को बुजुर्ग अकाली दल नेता और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने 10 मिनट के वीडियो संदेश में कहा था, 'मुझे दुख है कि आज राजनीति ऐसी हो गई है, लोगों का शोषण किया जाता है जैसे कि मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के द्वारा। यह जो अध्यादेश दिल्ली में जारी हुआ है.....केंद्रीय कृषि मंत्री ने एक चिट्ठी जारी कर कहा है कि एमएसपी कभी भी नहीं रोकी जाएगी।' यह संदेश हरसिमरत कौर और पार्टी के आधिकारिक फेसबुक पेज पर भी डाला गया था।
अब आई 3 करोड़ पंजाबियों की पीड़ा की याद
लेकिन, पंजाब की राजनीति की वजह से मोदी सरकार से इस्तीफा देने के बाद पार्टी नेताओं के सुर एकाएक बदल गए। हरसिमरत ने कहना शुरू कर दिया कि उनके इस्तीफे के चलते ही किसानों का मुद्दा मुख्य मसला बन गया और इससे सिर्फ उन्हें ही नुकसान उठाना पड़ा है। उन्होंने यह भी कहना शुरू कर दिया कि 'अगर 3 करोड़ पंजाबियों की पीड़ा और विरोध के बावजूद भारत सरकार का दिल नहीं पसीज रहा तो ये वह एनडीए नहीं है जिसकी कल्पना वाजपेयी जी और बादल साहब ने की थी। ऐसा गठबंधन जो अपने सबसे पुराने सहयोगी की बात नहीं सुनता है और पूरे देश का पेट भरने वालों से नजरें फेर लेता है, ऐसा गठबंधन पंजाब के हित में नहीं है।'