कादर ख़ान को क्या बीमारी थी?
- संतुलन बनाए रखने के लिए दबाएं
- चलने-फिरने, काम करने में आसानी के लिए फ़िज़ियोथेरेपी की मदद
- बोलने और निगलने में आसानी हो, इसके लिए स्पीच थेरेपी की मदद लेते हैं
- रोज़मर्रा के काम आराम से कर सके, इसके लिए ऑक्यूपेशनल थेरेपी
- बोटोक्स या विशेष चश्मा, जिससे देखने में मदद मिले
दिग्गज अभिनेता और लेखक कादर ख़ान अब इस दुनिया में नहीं हैं. कनाडा के एक अस्पताल में उन्होंने आख़िरी सांस ली.
इस ख़बर की पुष्टि कादर ख़ान के बेटे सरफ़राज़ ख़ान ने की. उन्होंने समाचार एजेंसी PTI से कहा, ''मेरे पिता हमें छोड़कर चले गए हैं. लंबी बीमारी के बाद 31 दिसंबर शाम छह बजे (कनाडाई समय) उनका निधन हो गया. वो दोपहर को कोमा में चले गए थे. पिछले 16-17 हफ्तों से अस्पताल में भर्ती थे.''
सरफ़राज़ ने कहा, ''उनका अंतिम संस्कार कनाडा में ही किया जाएगा. हमारा सारा परिवार यहीं हैं और हम यहीं रहते हैं इसलिए हम ऐसा कर रहे हैं. हम दुआओं और प्रार्थना के लिए सभी का शुक्रिया अदा करते हैं.''
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81 साल के कादर ख़ान को सांस लेने में तकलीफ़ हो रही थी, जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें नियमित वेंटिलेटर से हटाकर बीआईपीएपी वेटिंलेंटर पर रखा हुआ था.
कादर ना केवल हाल में बीमार थे, बल्कि काफ़ी दिनों से एक ऐसी बीमारी से जूझ रहे थे, जो शरीर के कई हिस्सों पर असर डालती है. इसे प्रोग्रेसिव सुपरान्यूक्लियर पॉल्सी (PSP) कहते हैं.
ब्रिटेन की स्वास्थ्य सेवा नेशनल हेल्थ सर्विस के मुताबिक प्रोग्रेसिव सुपरान्यूक्लियर पाल्सी एक दुर्लभ स्थिति है, जिसमें संतुलन, चलने-फिरने, देखने, बोलने और निगलने में दिक्कतें पेश आती हैं. इसकी वजह है वक़्त के साथ-साथ दिमाग के सेल्स को नुकसान पहुंचना. 60 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों को ये बीमारी ज़्यादा तंग करती है.
किसकी वजह से होती है PSP?
प्रोग्रेसिव सुपरान्यूक्लियर पाल्सी तब होती है, जब तउ नामक प्रोटीन के बिल्ड-अप की वजह से दिमाग के एक हिस्से में ब्रेन सेल्स ख़राब हो जाते हैं.
तउ आम तौर पर दिमाग़ में होते हैं, और उच्चतर स्तर तक पहुंचने से पहले ये टूटकर बिखर जाते हैं. लेकिन जो लोग PSP से जूझ रहे होते हैं, उनके मामले में ये ठीक तरह से नहीं टूटते और ब्रेन सेल्स में ख़तरनाक गुच्छे बन जाते हैं.
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इस बीमारी से ग्रस्त लोगों के मामले में ये गुच्छे अलग आकार, संख्या में हो सकते हैं और साथ ही इनकी जगह भी भिन्न हो सकती है. इसका मतलब ये हुआ कि बीमारी के लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं.
क्या होते हैं लक्षण?
प्रोग्रेसिव सुपरान्यूक्लियर पाल्सी के मामले में लक्षण समय के साथ-साथ बढ़ते और गंभीर होते जाते हैं.
शुरुआत में लक्षण दूसरी बीमारियों जैसे ही दिखते हैं, ऐसे में PSP का पता लगाना और मुश्किल हो जाता है.
इसके प्रमुख लक्षणों में ये शामिल हैं:
- संतुलन बनाए रखने और चलने-फिरने में परेशानी. बार-बार गिरने का डर बना रहता है
- व्यवहार में बदलाव
- मांसपेशियों में कसावट
- आंखों की मूवमेंट पर काबू ना रहना
- बोलने में दिक्कत या चुप ही रहना
- निगलने में परेशानी
- याददाश्त जाना
बीमारी का पता कैसे लगता है?
सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि कोई एक ऐसा टेस्ट नहीं, जो प्रोग्रेसिव सुपरान्यूक्लियर पाल्सी की पुष्टि कर सके. बल्कि इस बीमारी का पता लगाने के लिए लक्षण और उनकी पड़ताल पर निर्भर रहना होता है.
डॉक्टरों को इसका पता लगाने में इसलिए भी परेशानी आती है, क्योंकि बहुत से लक्षण पार्किंसन्स से मेल खाते हैं. साथ ही लक्षण इतने ज़्यादा होते हैं कि बीमारी की पुष्टि करने में काफ़ी समय लग जाता है.
कहीं कोई दूसरी बीमारी तो नहीं है, इसका पता लगाने के लिए ब्रेन स्कैन कराने की ज़रूरत पड़ सकती है. इस बीमारी से ग्रस्त होने की आशंका होने पर न्यूरोलॉजिस्ट की मदद लेनी चाहिए.
इस बीमारी का इलाज क्या है?
फिलहाल दुनिया में प्रोग्रेसिव सुपरान्यूक्लियर पाल्सी का कोई इलाज नहीं है लेकिन रिसर्च जारी हैं और नए-नए इलाज की संभावनाओं पर फ़ोकस किया जा रहा है, जिनसे लक्षणों का पता लगाकर काबू पाया जा सके और हालात बिगड़ने से रोका जा सकें.
इस बीमारी का सामना करने वालों के लिए इलाज भी अलग-अलग होता है.
ये इलाज आम तौर पर आज़माए जाते हैं:
- संतुलन बनाए रखने के लिए दबाएं
- चलने-फिरने, काम करने में आसानी के लिए फ़िज़ियोथेरेपी की मदद
- बोलने और निगलने में आसानी हो, इसके लिए स्पीच थेरेपी की मदद लेते हैं
- रोज़मर्रा के काम आराम से कर सके, इसके लिए ऑक्यूपेशनल थेरेपी
- बोटोक्स या विशेष चश्मा, जिससे देखने में मदद मिले
- फ़ीडिंग ट्यूब जिनकी मदद से शरीर में पोषक तत्व जा सकें