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उद्धव ठाकरे ने एक साल में महाराष्ट्र में क्या किया कमाल

मुख्यमंत्री के तौर पर उद्धव ठाकरे के एक साल के दौरान लिए गए अहम फ़ैसलों का विश्लेषण.

By रोहन नामजोशी
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उद्धव ठाकरे
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उद्धव ठाकरे

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर उद्धव ठाकरे ने पिछले हफ़्ते एक साल पूरे कर लिए हैं.

ठाकरे परिवार की ओर से उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने वाले पहले शख़्स थे. हालांकि शिवसेना की ओर से राज्य की कमान संभालने वाले वे तीसरे मुख्यमंत्री हैं. लेकिन उद्धव ठाकरे पहले किसी प्रशासनिक पद पर नहीं रहे. लिहाजा उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद सबसे बड़ी आशंका यही थी कि अनुभवहीनता के साथ वे सरकार किस तरह चलाएंगे.

उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री के तौर पर कामकाज के तौर तरीकों के बारे में पूछे जाने पर उनके मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने बताया, "जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपनी शुरुआती बैठकों में अधिकारियों से कहा कि वे इस पद पर नए ज़रूर हैं लेकिन उन्होंने बाहर से काफ़ी कुछ देखा है. लोगों की समस्याओं के बारे में जानता हूं इसलिए मेरे सामने गड़बड़ फ़ाइलें नहीं लाएं. उनकी कड़ी चेतावनी के बाद उनके टेबल तक विसंगतियों वाली फ़ाइल लाने के बारे में सोच भी नहीं सकता है."

वैसे भी उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार अप्रत्याशित और ऐतिहासिक ढंग से सत्ता में पहुंची थी. इस गठबंधन सरकार में दो पूर्व मुख्यमंत्री और कई वरिष्ठ मंत्री शामिल हैं. ऐसे में प्रशासन को अपने ढंग से चलाना और मंजे हुए राजनेताओं के सामने अपना प्रभाव छोड़ना उद्धव ठाकरे के लिए चुनौतीपूर्ण तो था ही और आगे भी रहेगा.

लेकिन उनके इस एक साल में उनके कामकाज के आधार पर बतौर मुख्यमंत्री उनका आकलन किया जा सकता है.

पुराने फ़ैसलों में बदलाव

बीजेपी- शिवसेना 2019 तक एक साथ महाराष्ट्र की सरकार में रहे. उद्धव ठाकरे सरकार ने अपने पहले ही साल में पिछली सरकार के कई फ़ैसलों को बदला है. इस सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में आरे कॉलोनी में पेड़ों के काटे जाने पर रोक लगा दी थी, हालांकि उससे पहले ही आरे जंगल के 1800 पेड़ काटे जा चुके थे.

जब देवेंद्र फडणवीस की सरकार सत्ता में थी तब मुंबई-नागपुर प्रस्तावित राजमार्ग का नाम समृद्धि राजमार्ग रखा जाना तय हुआ था लेकिन अब इसे बदलकर बालासाहेब ठाकरे राजमार्ग किया गया है.

नई सरकार ने मेट्रो कार-शेड को आरे जंगल से हटाकर कंजुरमार्ग पर ले जाने का फ़ैसला लिया है. मुंबई के लोगों के लिए मेट्रो रेलवे ज़रूरी है लेकिन फडणवीस सरकार के आरे में कार शेड निर्माण के फ़ैसले पर काफी विरोध देखने को मिला था. समाज के सभी वर्ग के लोगों ने इस निर्माण का विरोध किया था. विकास बनाम पर्यावरण के मुद्दे पर बहस शुरू हो गई थी. महाराष्ट्र के मौजूदा पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने भी तब आरे में कार-शेड निर्माण और इसके लिए पेड़ों की कटाई के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई थी.

जब वे सत्ता में आए तो उन्होंने पिछली सरकार के फ़ैसले को बदल दिया. इस मामले में कई तरह आरोप भी लगे. पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने ट्वीट के ज़रिए नए फ़ैसले की आलोचना भी की. हालांकि नयी जगह पर काम का शुरु होना बाक़ी है और मुंबई के लोगों के लिए मेट्रो का इंतज़ार बना हुआ है.

'जलयुक्त शिवार' में जांच के आदेश

फडणवीस सरकार के समय 'जलयुक्त शिवार' को ड्रीम प्रोजेक्ट कहा जाता था. लेकिन सीएजी ने इस प्रोजेक्ट को लेकर सरकार को फटकार लगाई थी. ठाकरे सरकार ने इस योजना में लगे आरोपों की जांच के लिए एसआईटी बना दी है. ऐसे में इस योजना का भविष्य अनिश्चित दिख रहा है.

2014 से 2019 तक फडणवीस लगातार अपनी सार्वजनिक बैठकों में लोगों को इस सिंचाई योजना के लाभ बताते रहे. ऐसे इस योजना की जांच के लिए एसआईटी का गठन बेहद अहम है.

इन दो फ़ैसलों से यह भी ज़ाहिर हुआ है कि बीजेपी और शिवसेना के रास्ते अब अलग अलग हो चुके हैं.

प्रशासन पर ठाकरे की कितनी पकड़

उद्धव ठाकरे बिना किसी पूर्व अनुभव के कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस के साथ वाली गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री हैं. ऐसे में रोज़मर्रा का प्रशासन चलाने को लेकर उनकी योग्यता को लेकर सवाल पूछे जाते रहे हैं.

पिछले एक साल के दौरान ठाकरे सरकार के लिए गए कई फ़ैसलों की राज्य के प्रशासनिक हलकों में काफ़ी चर्चा भी हुई है. राज्य के पूर्व मुख्य सचिव अजोय मेहता का मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार के तौर पर नियुक्ति पर सबसे ज़्यादा विवाद देखने को मिला. अजोय मेहता फडणवीस सरकार में मुख्य सचिव थे और उन्हें दो-दो बार सेवा विस्तार मिला था.

लेकिन केंद्र सरकार ने उन्हें तीसरी बार सेवा विस्तार देने से इनकार कर दिया था. जब अजोय मेहता सेवानिवृत होने वाले थे तभी कोविड संक्रमण का दौर शुरू हुआ था. अजोय मेहता के सेवानिवृत होने के बाद उद्धव ठाकरे ने उन्हें मुख्य सलाहकार और संजय कुमार को मुख्य सचिव बनाया.

कोविड संक्रमण के दौर में कई मुख्य सचिव सेवानिवृत हुए लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने मेहता को बनाए रखा है और इसको लेकर प्रशासनिक सर्किल में काफी नाराज़गी है.

इसी तरह मुंबई नगर निगम के पूर्व कमिश्नर प्रवीण सिंह परदेशी के ट्रांसफर पर विवाद देखने को मिला था. परदेशी को मुंबई नगर निगम का आयुक्त फडणवीस सरकार ने बनाया था.

उद्धव ठाकरे ने एक साल में महाराष्ट्र में क्या किया कमाल

कोरोना संक्रमण के दौरान जब मुंबई में संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी थी उस वक्त आयुक्त का ट्रांसफर किया गया. अभी वे प्रतिनियुक्ति पर संयुक्त राष्ट्र में तैनात में है. उनकी जगह मुंबई नगर निगम के आयुक्त की ज़िम्मेदारी इक़बाल सिंह चाहल ने संभाली.

यह एक तरह से परंपरा में है कि जब भी कोई सरकार सत्ता संभालती है तो वह अहम पदों पर अपने विश्वासपात्र अधिकारियों को बिठाती है और पूर्व के सरकार के नियुक्त किए अधिकारियों का तबादला करती है. उद्धव ठाकरे भी इसके अपवाद नहीं रहे. उन्होंने फडणवीस सरकार के समय में मुंबई मेट्रो रेलवे कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक बनीं अश्विनी भिड़े का भी तबादला कर दिया.

अश्विनी भिड़े फ़िलहाल मुंबई नगर निगम में एडिशनल कमिश्नर के तौर पर तैनात हैं. वहीं आईपीएस अधिकारी विश्वास नांगरे पाटिल को मुंबई में तैनात किया गया. जबकि कोरोना लॉकडाउन में वाधवन परिवार को विशेष पास देकर चर्चा में आए अमिताभ गुप्ता को पुणे पुलिस के कमिश्नर पद पर तैनात किया गया है.

ठाकरे सरकार के सत्ता में आने के बाद ही परमबीर सिंह मुंबई पुलिस के कमिश्नर बने हैं. मुंबई पुलिस को सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या मामले, कंगना रनौत और अर्णब गोस्वामी से संबंधित मामले, टीआरपी स्कैम और कोरोना संकट को संभालने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है.

इस दौरान डिप्टी कमिश्नर रैंक के दस पुलिस अधिकारियों का तबादला किया गया और फिर उन तबादलों को निरस्त किया गया. इस फ़ैसले के बाद लोगों में इस बात की चर्चा ज़रूर हुई है कि आख़िर महाराष्ट्र में किसका शासन चल रहा है?

कोरोना संकट के दौरान प्रशासन

नौ मार्च को महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण का पहला मामला सामने आया था. इसके बाद राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या काफ़ी तेज़ी से बढ़ी. ख़ासकर मुंबई और पुणे में. मुंबई में घनी आबादी चलते भी काफ़ी ज़्यादा मामले सामने आए.

जब उद्धव ठाकरे की सरकार सत्ता में आयी तबसे काफ़ी ज़्यादा आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियों का सामना कर रहे थे. इसमें स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां सबसे बड़ी थीं. इस चुनौती से सरकार अब तक उबर नहीं पायी है. हालांकि सरकार ने कोरोना संक्रमण पर अंकुश पाने के लिए कई प्रावधान किए. मुंबई और पुणे में जंबो अस्पताल का निर्माण भी कराया गया.

देश भर में कोविड टास्क फोर्स का गठन करने वाला महाराष्ट्र पहला राज्य था. इसके अलावा एक दूसरे टास्क फोर्स का गठन भी किया गया है जो यह सुनिश्चित करेगा कि राज्य के हर नागरिक तक कोविड संक्रमण का टीका पहुंचे. इस दौरान मुख्यमंत्री खुद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए इन कामों की समीक्षा करते रहे हैं.

महाराष्ट्र
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कोरोना संकट के दौरान उद्धव ठाकरे लगातार लोगों को वीडियो संदेश देते रहे. वे इस बहाने ना केवल लोगों से जुड़े रहे बल्कि कोविड संबंधी मामलों को लेकर उन्होंने लोगों को अपडेट भी किया.

कईयों ने घर से नहीं निकलने के चलते उनकी आलोचना भी की. यह भी कहा गया कि वे घर से राज्य को चला रहे हैं. लेकिन उद्धव ठाकरे ने इन आलोचकों को जवाब देते हुए कहा कि वे मुंबई में रहते हुए पूरे राज्य तक पहुंच रहे हैं.

वैसे शुरुआती दौर में अस्पतालों में बेड और पीपीई किट की कमी ज़रूर देखने को मिली थी. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के महाराष्ट्र अध्यक्ष डॉ. अविनाश भोंडवे ने बीबीसी मराठी से कहा, "यह स्पष्ट था कि कोरोना वायरस तेजी से फैलेगा और लोगों को संक्रमित करेगा. लेकिन राज्य सरकार की ओर से कोई तैयारी नहीं थी. ख़तरे को नज़दीक देखकर भी ठाकरे सरकार नहीं जगी."

कोरोना संक्रमित मरीज़ों की देखभाल, अस्पतालों में बेड की कमी, अनलॉक होने की प्रक्रिया के दौरान कब क्या शुरू करें, इन सब मुद्दों पर सरकार पर आरोपों का सिलसिला अभी तक बना हुआ है. मंदिरों के फिर से खोले जाने पर काफ़ी राजनीतिक विवाद भी देखने को मिला.

कोरोना संक्रमण के समय में राज्य के प्रशासनिक कामकाज के बारे में महाराष्ट्र टाइम्स के सीनियर डिप्टी एडिटर विजय चोरमारे ने कहा, "उद्धव ठाकरे अब तक प्रशासक की भूमिका या राजनेता की भूमिका निभाते नहीं दिखे हैं. वे परिवार के कामकाजी मुखिया फिर परिवार के संरक्षक की तरह काम कर रहे हैं लेकिन नीति निर्माता के तौर पर उनका बहुत असर नहीं दिखा है."

"हालांकि उनके मंत्रालय में अनुभवी मंत्रियों की कमी नहीं है लेकिन वे अजोय मेहता पर निर्भर रहते हैं. इसलिए सारी ताक़त एक प्रशासनिक अधिकारी के हाथों में केंद्रित है जिसके चलते कई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं. ज़िला स्तर पर कोरोना संक्रमण की स्थिति ज़िला प्रशासन पर छोड़ दी गई जिसके चलते भी अफ़रातफ़री देखने को मिली."

उद्धव ठाकरे ने एक साल में महाराष्ट्र में क्या किया कमाल

आर्थिक मोर्चे पर कैसा है प्रदर्शन

जब महा विकास अघाड़ी की सरकार ने सौ दिन पूरे हुए थे, उस दिन राज्य के बजट की घोषणा हुई थी. इससे ठीक पहले हुए आर्थिक सर्वे में महाराष्ट्र की आर्थिक विकास दर 5.7 फ़ीसद आंकी गई थी और तब देश की आर्थिक विकास दर के पांच प्रतिशत से बढ़ने का अनुमान जाहिर किया गया था.

2018-19 के आर्थिक सर्वे के मुताबिक महाराष्ट्र में प्रति व्यक्ति आय एक लाख 91 हज़ार 737 रूपये थी जो 2019-2020 में बढ़कर 2,07,727 रूपये हो गई है. राज्य की 70 फ़ीसद आबादी कृषि पर आश्रित थी, लेकिन अब इसमें बदलाव देखने को मिल रहा है. वर्तमान आंकड़ों के हिसाब से राज्य की 60 फ़ीसद से ज़्यादा आबादी कृषि पर निर्भर है.

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राज्य के बजट की घोषणा छह मार्च, 2020 को हुई थी, जब कोरोना ने देश भर में अपने पांव फैलाने शुरू किया था. बजट में किसानों को राहत देने की घोषणा की गई और कहा गया कि एक अप्रैल, 2015 से 31 मार्च, 2019 के बीच लिए गए फसल लोन पर दो लाख रुपये की अधिकतम राहत मिल सकती थी.

सरकार ने राजमार्गों पर 20 जगहों पर कृषि केंद्रों की स्थापना की है, इसके अलावा समुद्रतटीय राजमार्गों के लिए 3,595 करोड़ रुपये का आवंटन किया. राज्य सरकार यह भी चाहती है कि रेवसरेड्डी समुद्रतटीय राजमार्ग का काम तीन साल में पूरा हो जाए.

राज्य परिवहन निगम ने सभी बसों में वाई-फाई की सुविधा देने का एलान किया है, इसके अलावा बेहतर मिनी बसों को ख़रीदने को मंजूरी मिल चुकी है. पुरानी बसों की जगह 1600 नई बसों की लाने की योजना के अलावा बस स्टैंडों का आधुनिकीकरण करने की घोषणा हो चुकी है. लेकिन वास्तविकता यह है कि पिछले कुछ महीनों में वेतन भुगतान नहीं होने के चलते एक बस कंडक्टर ने आत्महत्या कर ली और इसके बाद परिवहन मंत्री ने परिवहन निगम के कर्मचारियों के वेतन भुगतान के लिए ज़रूरी कदम उठाने का भरोसा दिया.

राज्य में शिव भोजन थाली मील स्कीम भी शुरू हुई है, जिसमें दस रूपये में दाल चावल की प्लेट मिलती है. सरकार की योजना प्रत्येक केंद्र पर 500 लोगों को और पूरे राज्य में एक लाख लोगों को प्रतिदिन भोजन मुहैया कराने की है. इसके लिए 150 करोड़ रुपये भी आवंटित किए गए हैं. अब शिव भोजन थाली पांच रुपये प्रति प्लेट मिल रही है.

फडणवीस सरकार के समय में राज्य में अद्यौगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए 'मैग्नेटिक महाराष्ट्र' की योजना शुरू हुई थी. 'मैग्नेटिक महाराष्ट्र 2.0' के तहत दो नवंबर, 2020 को 34,850 करोड़ रूपये के अनुबंध करने की घोषणा राज्य सरकार ने की है. उद्धव ठाकरे ने कहा है कि इससे राज्य में 23 हज़ार नौकरियां उपलब्ध होंगी.

हालांकि सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के सर्वे के मुताबिक मई से अगस्त, 2020 के दौरान राज्य के शहरी इलाके में बेरोज़गारी की दर 11.4 प्रतिशत थी. पूरे भारत में बेरोज़गारी की दर 11.55 प्रतिशत है. जिस तरह से कोरोना लॉकडाउन में लोगों की नौकरियां जा रही हैं ऐसे में ठाकरे सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती अनुमान आधारित काग़ज़ी घोषणाएं करने की जगह लोगों को रोज़गार मुहैया कराने की है.

रोज़गार का सवाल

इस साल कोविड के चलते महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षाएं नहीं हुई हैं. ऐसे में सरकारी नौकरियों के लिए युवाओं का इंतज़ार बढ़ गया है. 27 नवंबर को जारी जीडीपी के आंकड़ों के मुताबिक देश तकनीकी तौर से मंदी की स्थिति में पहुंच गया है.

आर्थिक मोर्चे पर ठाकरे सरकार के कामकाज के प्रदर्शन के बारे में अर्थशास्त्री चंद्रशेखर तिलक ने बताया, "कोरोना के चलते पिछले एक साल में सरकार ज़्यादा कुछ नहीं कर पायी है. जहां अवसर मौजूद थे, उसे भी सामंजस्य की कमी के चलते सरकार ने गंवा दिया है. पूरी दुनिया कोरोना संक्रमण के चलते आर्थिक तंगी में है. ऐसे में सबके सामने विदेशी निवेश में कमी का संकट भी होगा. महाराष्ट्र सरकार कोई अपवाद नहीं है. इसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच समन्वय की कमी भी ज़िम्मेदार है."

चंद्रशेखर तिलक के मुताबिक, "रेलवे यात्राएं कब से शुरू होंगी और परीक्षाएं कब होंगी - ये केवल सोशल सेक्टर की बात नहीं है, बल्कि आर्थिक सेक्टर से भी जुड़ा मसला है. इस वक्त शैक्षणिक क्षेत्र निवेश का सबसे बड़ा माध्यम है लेकिन निवेशकों के इसमें आने में संदेह बना हुआ है."

हालांकि उद्धव ठाकरे सरकार ने 'मैग्नेटिक महाराष्ट्र' की घोषणाएं तो कर दी हैं लेकिन वे घोषणाएं कब अमल में आएंगी, यह स्पष्ट नहीं है. तिलक के मुताबिक मेट्रो कार-शेड की जगह में बदलाव करने का असर भी आर्थिक निवेश पर दिखेगा.

अनिरुद्ध अस्थापुत्रे के मुताबिक उद्धव ठाकरे राज्य के मुख्यमंत्री हैं लेकिन अभी भी वे पारिवारिक शख़्स की तरह दिखते हैं. जीवनशैली में सादगी है, वे सरलता से रहते हैं, इसके चलते लोगों से उनका जुड़ाव बना हुआ है. वे अख़बार में छपने वाली ख़बरों पर नज़र रखते हैं. लोग उनके बारे में क्या कहते हैं, इसे जानने को लेकर उत्सुक रहते हैं. वे अपने कैबिनेट सहयोगियों से विनम्रता से पेश आते हैं.

उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री के तौर पर एक साल पूरे कर लिए हैं. लेकिन आने वाले दिनों में उनके सामने चुनौतियां बढ़ेंगी और यह देखना दिलचस्प होगा कि उद्धव ठाकरे उन चुनौतियों का सामना किस तरह से करते हैं.

BBC Hindi
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English summary
What Uddhav Thackeray did in Maharashtra in one year
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