मध्यप्रदेश: भाजपा ने कांग्रेस के मुकाबले हासिल किए 47 हजार ज्यादा वोट, फिर भी हार गई
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस और भाजपा के बीच सांसें रोकने वाला मुकाबला हुआ। करीब 21 घंटे तक वोटों की गिनती होती रही, गेंद कभी भाजपा के पाले में गई तो कांग्रेस के पाले में। अंतिम पलों तक अंदाजा लगाना मुश्किल हो गया कि रिजल्ट किसके पक्ष में जाएगा? आखिरकार परिणाम कांग्रेस के पक्ष में गया उसे 114 सीटें मिलीं, जबकि भाजपा 109 सीटें जीतकर चुनाव हार गई। एमपी चुनाव में सबसे रोचक बात यह रही कि भाजपा यहां ज्यादा वोट पाकर भी चुनाव हार गई और कांग्रेस कम वोट मिलने के बाद भी चुनाव जीत गई। भाजपा की जीत और कांग्रेस की हार के बीच में सपॉक्स आ गई, यह पार्टी शिवराज सिंह चौहान लगातार चौथी बार सीएम बनने के रास्ते में आ गई और परिणाम पलट गया। मध्य प्रदेश में सिर्फ 47,827 वोटों के फेर में सत्ता का पूरा समीकरण इधर से उधर हो गया।
2018 विधानसभा चुनाव में शिवराज सिंह चौहान की किस्मत कुछ यूं दे गई धोखा
विधानसभा चुनाव 2018 के नतीजों को देखने के बाद यह बात अब स्पष्ट है कि मामा शिवराज सिंह चौहान अब भी एमपी वासियों के दिल में बसते हैं। मध्य प्रदेश में शिवराज के खिलाफ 'एंटी इनकमबैंसी' नहीं दिखी बल्कि केंद्र सरकार के 3 फैसलों की कीमत बीजेपी को चुकानी पड़ी। सबसे पहले यह जान लीजिए कि ऐसा हम क्यों कर रहे हैं। ये हैं वो आंकड़े जो दिख रहे हैं एमपी इलेक्शन की पूरी कहानी आखिर क्या रही है:
- मध्य प्रदेश में भाजपा को कुल 41 प्रतिशत वोट प्राप्त हुआ। संख्या के हिसाब से देखें तो बीजेपी को कुल 1 करोड़ 56 लाख 42 हजार 980 वोट मिले और पार्टी को 109 विधानसभा सीटों पर जीत मिली।
-अब कांग्रेस के आंकड़ों पर गौर कीजिए। एमपी में कांग्रेस को 40.9 प्रतिशत वोट मिले। मतलब बीजेपी से 0.1 प्रतिशत कम। संख्या की बात करें तो कांग्रेस को कुल 1 करोड़ 55 लाख 95 हजार 153 वोट मिले। मतलब कांग्रेस को बीजेपी की तुलना में 47,827 वोट कम मिले, लेकिन वह 5 सीटें ज्यादा जीतने में सफल रही। कांग्रेस को कुल 114 सीटों पर जीत मिली। इसका अर्थ यह हुआ कि कोई तीसरा दल ऐसा रहा, जिसने बीजेपी के वोटों पर हाथ साफ किया। इस पार्टी का नाम है- सपॉक्स।
-सपाक्स को 1 लाख 56 हजार 486 वोट मिले।
कांग्रेस के लिए संजीवनी बनकर आई सपाक्स
अब सपॉक्स को मिले डेढ़ लाख से ज्यादा वोट का मतलब क्या है। इसका मतलब यह हुआ कि भाजपा का वोट यह पार्टी काट ले गई, जिसका कांग्रेस को सीधा फायदा हुआ। सपॉक्स ने चुनाव लड़ने का फैसला एससी-एसटी एक्ट और प्रमोशन में आरक्षण का विरोध करने के लिए किया। खुद शिवराज सिंह चौहान ने आरक्षण पर कहा था, 'कोई माई का लाल' नहीं जो आरक्षण खत्म कर दे। उनका यह बयान सवर्णों को नागवार गुजरा।
सवर्ण-ओबीसी के प्रभाव वाली सीटों पर बीजेपी को सपॉक्स ने घेरा
राज्य की 230 विधानसभा सीटों में सवर्ण-ओबीसी के सीधे प्रभाव वाली 148 सीटें हैं। 2013 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सवर्ण-ओबीसी के प्रभाव वाली 148 में से 102 सीटें जीती थीं। ये सवर्ण-ओबीसी वोटबैंक एससी-एसटी एक्ट के चलते बीजेपी से नाराज दिखा और सपॉक्स ने उस गुस्से को सीटों की हार में तब्दील करा दिया।
-एसएसटी एक्ट पास किए जाने के बाद एमपी में कराए गए सर्वे में बीजेपी के 50 विधायकों की हार के बाद एक सर्वे में सामने आ गई थी।