73 सालों में पाकिस्तान ने क्या हासिल कर लिया,जो एक और विभाजन चाहते हैं AIMIM नेता वारिस खान!
बेंगलुरू। एआईएमआईएम नेता वारिस पठान का नाम आजकल चर्चा में हैं, जिन्होंने 15 करोड़ भारतीय मुस्लिमों की आबादी को हिंदुस्तान के शेष 100 करोड़ आबादी पर भारी बताया है। कुछ समय पहले इसी पार्टी के एक और नेता और एआईएमआईएम पार्टी चीफ असदुद्दीन ओवैसी के छोटे भाई अकबरूद्दीन ने 15 मिनट के लिए हिंदुस्तानी पुलिस को हटाने की बात कही थी ताकि वो 100 करोड़ शेष आबादी पर 15 करोड़ मुस्लिम ताकत बता सकें।
अपने ज्वलनशील बयानबाजी के जरिए मुस्लिम अल्पसंख्कों की स्वयंभू पार्टी बनने का सपना लिए यह पार्टी पिछले कई वर्षों से ऐसे ही बयाने सहारे चल रही है। एआईएमआईएम का मकसद सिर्फ इतना है कि 15 अगस्त, वर्ष 1947 से पूर्व हिंदुस्तान और पाकिस्तान को धार्मिक आधार पर बंटवारे की ध्वजवाहक रही मुस्लिम लीग की हैसियत हासिल कर सके।
असदुद्दीन ओवैसी क्या तोड़े गए इन हिंदू मंदिरों के हक के लिए भी आवाज उठाएंगे?
क्या एआईएमआईएम यह चाहती है कि वह जब अपना छाता खोले तो उसके छाते के नीचे हिंदुस्तान की पूरी मुस्लिम आबादी खड़ी मिले और सिर्फ उन्हें, 'हां, हुजूर माई-बाप' कहे और माने। ताकि वो हिंदुस्तान की हवा बन सके, जिधर चाहें बहे और जिधर चाहे तूफान ले आएं। हिंदुस्तान वर्ष 1947 में एक बड़ा तूफान झेल चुका है जब धर्म को आधार बनाकर उसके दो टुकड़े कर दिए गए।
यह अलग बात है कि दो टुकड़े में बंटे हिंदुस्तान का एक टुकड़ा आज कई टुकड़ों में बंटने और बर्बाद होने के कगार पर खड़ा है। जी हां, यहां बात पाकिस्तान की हो रही है, जिसको वजूद में लाने के लिए लाखों लोगों की बलि ले ली गई। उस बात अब 73 वर्ष बीत चुके हैं।
एक नाकाम मुल्क में तब्दील हो चुके पाकिस्तान की रोशनी में एक और राजनीतिक दल ऐसा सपना उन्हें बेंचने की कोशिश कर रही हैं, जिनकी कई पीढ़ियां अपनी आंखों से पाकिस्तान को बर्बाद होते देखती आई हैं। खैर, पुणे के डेक्कन पुलिस स्टेशन में सपना बेचने वाले वारिस खान पर मुकदमा दर्ज हो चुक है।
असदुद्दीन ओवैसी मुसलमानों के एकमात्र प्रतिनिधि बन सके इसलिए देते हैं विवादास्पद बयान!
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने पार्टी प्रवक्ता वारिस खान पर जुबां पर लगाम लगा दी है, जिनकी मौजूदगी में बेंगलुरू के फ्रीडम मैदान में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे बुलंद होते हैं। अब वारिस पठान कह रहे हैं कि उनके बयानों को तोड़- मरोड़कर पेश किया गया इसलिए माफी नहीं मांगेगे। जबकि होशो-हवास में दिए गए बयानों के क्लिपिंग सोशल मीडिया पर अभी भी दनादन वायरल हो रही है, जिसमें उन्हें भड़काऊ बयान देते हुए सुना जा सकता है।
दरअसल, एआईएमआईएम और वारिस खान ऐसा हेयरआयल बेच रहे हैं, जिससे गंजा होना तय हैं। इसकी तस्दीक है एशिया उपमहाद्वीप का सबसे बर्बाद मुल्क में शुमार हो चुका पाकिस्तान है, जिसका वजूद ऐसे ही हेयर ऑयल से हुआ, जो कभी मुस्लिम लीग ने हिंदुस्तान के अल्पसंख्यकों के बेचा था और वर्तमान में एआईएमआईएम जैसी पार्टियां बेंच रही हैं।
#WATCH AIMIM leader Waris Pathan: ...They tell us that we've kept our women in the front - only the lionesses have come out&you're already sweating. You can understand what would happen if all of us come together. 15 cr hain magar 100 ke upar bhaari hain, ye yaad rakh lena.(15.2) pic.twitter.com/KO8kqHm6Kg
— ANI (@ANI) February 20, 2020
दुनिया का छठा बड़ी आबादी वाला देश पाकिस्तान की आबादी मौजूदा समय में 20 करोड़ से ज्यादा है। 1951 की जनगणना के मुताबिक आजादी के समय पाकिस्तान की कुल आबादी करीब साढ़े 7 करोड़ थी, लेकिन 70 सालों बाद उसकी आबादी 20 करोड़ पार कर गई है।
बंटवारे के समय पाकिस्तान को भारत ने कुल 75 करोड़ रुपये दिए थे, जो आर्थिक मदद के तौर पर पाकिस्तान को मिले थे। पाकिस्तान को हिंदुस्तान की अचल संपत्ति का 17.5 फीसदी हिस्सा मिला था, इसमें मुद्रा, सिक्के, पोस्टल और रेवेन्यू स्टैंप, गोल्ड रिजर्व और आरबीआई के एसेट्स शामिल थे।
दोनों देशों के बीच चल संपत्ति के बंटवारे का फॉर्मूला 80-20 के अनुपात का था। इसमें सरकारी टेबल, कुर्सियां, स्टेशनरी, लाइटबल्ब, इंकपॉट्स और ब्लॉटिंग पेपर भी शामिल थे। जब बंटवारा हुआ था तो उस वक्त दोनों देशों की आर्थिक सेहत कमोबेश एक जैसी थी, लेकिन वर्तमान में दोनों देशों के बीच जमीन-आसमान का फर्क आ गया है।
आज पाकिस्तान एक बर्बाद मुल्क में शुमार हो चुका है, जो कभी भी दिवालिया घोषित हो सकती है। आंतकवाद और कर्ज के बोझ तले दबे पाकिस्तान की हालत भस्मासुर जैसी हो गई है, लेकिन उसकी ऐसी तब नहीं था जब सपने बेंचने वालों ने 1947 में उन्हें दिखाई थी।
वर्ष 1947 में पाकिस्तानी करेंसी की खासी वैल्यू थी
वर्ष 1947 में पाकिस्तानी करेंसी की खासी वैल्यू थी। उस समय एक अमेरिकी डॉलर 12 रुपए 15 पैसे के बराबर हुआ करते थे, जो आज की तरीख में बढ़कर 160 रुपए तक पहुंच गए हैं। पिछले साल के जुटाए आंकड़े के मुताबिक अगस्त 2018 में पाकिस्तानी रुपए का एक्सचेंज दर डॉलर के मुकाबले 123.35 रुपए था। इससे पहले 2006 में एक अमेरिकी डॉलर का वैल्यू 104 पाकिस्तानी रुपए हुआ करता था। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की यह दशा बाजार से संचालित नहीं थी। यह कभी धर्म संचालित रहीं और बदलते समय में उसकी जगह बदनीयती ले ली।
आज आतंकवाद, भुखमरी, महंगाई और कर्ज के बोझ में दबा है पाकिस्तान
पाकिस्तान वर्तमान में आतंकवाद, भुखमरी, भ्रष्टाचार, महंगाई और कर्ज के बोझ में दबा कराह रहा है और उससे मुस्लिम मुल्कों ने भी किनारा कर लिया है। पाकिस्तान के वजूद और उसके भविष्य पर सवाल उसकी जड़ में है, जहां स्थायित्व कभी नहीं टिका। उस पर वहां की राजनीतिक उथल-पुथल ने उसे दिवालिया देश बनने की कगार पर खड़ा कर दिया है। पाकिस्तान के खजाने में विदेशी पूंजी भंडार इतना बचा है कि महज 2 महीनों के आयात के काम आ सकता है। इससे वहां भुगतान संकट की स्थिति पैदा हो चुकी है।
जबरन कश्मीर हड़पने की नीति के चलते बर्बाद हुआ पाकिस्तान
बंटवारे के बाद से ही भारत के अभिन्न को जबरन कश्मीर हड़पने की नीति के चलते बर्बाद हुआ पाकिस्तान वर्तमान में भी आतंकवाद का सबसे बड़ा निर्यातक देश बना हुआ है। इसी के चलते पाकिस्तान को FATF ने ग्रे सूची में डाल दिया है, जिससे वैश्विक वित्तीय प्रणाली तक पाकिस्तान की पहुंच कम हो गई है। इसका असर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा उसे दिए जा रहे 6 अरब डॉलर के कार्यक्रम पर भी पड़ेगा। पहले से ही भुगतान के संकट से जूझ रहे पाकिस्तान पर अब कर्ज चुकाना मुश्किल हो गया है, जिसके चलते लगातार चीन पाकिस्तान की जमीन पर अपना आधिपत्य बढ़ाता जा रहा है।
हिंदुस्तान ने विकास पथ चुना तो पाकिस्तान ने आतंक का रास्ता चुना
1947 में धार्मिक आधार पर दो टुकड़े में हिंदुस्तान को बांट दिया गया। यह आसान नहीं था, लेकिन इसलिए संभव हुआ, क्योंकि तब शायद यही एक रास्ता है, जिससे दो धर्म के लोग आगे बढ़ सकेंगे। लेकिन बंटवारे के बाद एक ओर जहां हिंदुस्तान ने विकास पथ चुना तो पाकिस्तान ने हिंसा का। बंटवारे के तुरंत बाद पाकिस्तान ने कश्मीर को हड़पने के लिए कश्मीर पर हमला किया और कश्मीर के एक हिस्से पर जबरन कब्जा कर लिया, जिस पर अभी भी उसका कब्जा कायम है। समय बीता, लेकिन पाकिस्तान की नीयत नहीं बदली, भारत के साथ लड़ी हर प्रत्यक्ष लड़ाई में मुंह की खाते आए पाकिस्तान ने आतंकवाद को अपना चेहरा बनाया और छिपकर भारत में हमले किए और वहीं आतंकवाद उसके वजूद के लिए संकट बन गए हैं।
आतंकवाद को पोषण करने वाला पाकिस्तान बर्बादी के कगार है
कश्मीर पर पाकिस्तान की बदनीयती और कश्मीर पाने के लिए आतंकवाद को पोषण करने वाला पाकिस्तान बर्बादी के कगार है, क्योंकि वहां के हुक्मरानों ने देश को आगे बढ़ाने के लिए सोचा ही नहीं। डाक्टरी और इंजीनियर पढ़ने वाले बच्चे भी आतंकवादी गतिविधियों में शामिल करवा दिए गए। बंटवारे में जो भू-भाग पाकिस्ताना को मिला था, उस पर गगनचुंबी इमारतें खड़ी करने के बजाय पाकिस्तान अपनी वर्ष 1971 की लड़ाई में पूर्वी पाकिस्तान को भी गंवाना पड़ा। तब तक पाकिस्तान को अक्ल नहीं आई। पोषित किए जा रही आतंकी कैंम्पों ने वहां की कई नस्लों को बर्बाद कर दिया, जिसकी पहचान आज पूरी दनिया में आतंकवादी देश के रूप होती है।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को आतंकवाद से 300 अरब डॉलर का नुकसान
वर्ष 2019 में पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता रहे मेजर जनरल गफूर के मुताबिक पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को आतंकवाद के चलते 300 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था। बताया गया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सुरक्षा बलों समेत 81000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं या घायल हुए हैं। गफूर के मुताबिक पाकिस्तान ने देश से संगठित आतंकवाद के खात्मे के लिए भारी कीमत चुकाई है, जिसका पालन-पोषण पाकिस्तान के हुक्मरानों ने पड़ोसी मुल्क हिंदुस्तान को मिटाने के लिए किया था, लेकिन अब आज आतंकवाद पाकिस्तान के लिए कब्रगाह बन चुके हैं।
पाकिस्तान उन देशों की सूची में है, जो 2030 तक नाकाम मुल्क कहलाएंगे
यही वजह है कि अमेरिकी खुफिया तंत्र से जुड़े जानकारों ने पाकिस्तान को उन देशों की फेहरिस्त में डाल रखा है, जो 2030 तक नाकाम मुल्क कहलाएंगे। पाकिस्तान की छवि आतंक को पनाह देने वाले देश की है। अमेरिका के मोस्ट वांटेड पांच आतंकवादियों में शामिल तीन, लश्कर-ए-तय्यबा प्रमुख हाफिज सईद, तालिबान का मुल्ला उमर और अल कायदा प्रमुख अयमान अल जवाहिरी पाकिस्तान में रहते हैं। अमेरिका में 9/11 हमले का मास्टर माइंड अलकायदा चीफ आंतकी ओसामा बिन लादेन एटबाबाद पाकिस्तान में छुपा था, जिसे अमेरिकी ने उसकी जमीन में जाकर मार गिराया। भारत का मोस्ट वांटेड आतंकी दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान का मेहमान बना हुआ है।
वर्तमान में भारत की अर्थव्यवस्था पाकिस्तान के मुकाबले आठ गुनी बड़ी है
वर्तमान में भारत की अर्थव्यवस्था पाकिस्तान के मुकाबले आठ गुनी बड़ी है, लेकिन उसके पड़ोस में बसा मुल्क पाकिस्तान अब एक विफल या एक जेहादी राष्ट्र के रूप में शुमार हो चुका है। अर्थव्यवस्था के लिहाज से एक नाकाम मुल्क में शुमार हो चुका पाकिस्तान पड़ोसी सभी मुल्कों के लिए खतरनाक बन चुका है। उसकी परेशानी सिर्फ बढ़ता चालू और बजटीय घाटा नहीं है, बल्कि विदेशी कर्ज और रुपए की गिरती कीमत है।
पाकिस्तान को कम से कम 8 अरब डॉलर की रकम बतौर कर्ज चुकाने हैं
अगले चंद महीनों में पाकिस्तान को कम से कम 8 अरब डॉलर की रकम बतौर कर्ज चुकाने हैं। अगर वह ऐसा करने में विफल रहता है, तो उसे ‘डिफॉल्टर' घोषित कर दिया जाएगा। तब न पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय बाजार या संस्थानों से पैसा मांग सकेगा और न ही आयात-निर्यात करने लायक ही बचेगा। अभी उसके पास एक उपाय बचा है और वह किसी मित्र देश से आर्थिक मदद और उसकी मदद सिर्फ चीन कर सकता है। चूंकि पाकिस्तान के कर्ज तले पहले ही दबा है और अब चीन और उसकी मदद करेगा तो उसकी एवज में चीन क्या करता है, यह किसी से छिपा नहीं हैं।
चदं महीनों में पाकिस्तानी रुपए में आई 30 फीसदी की गिरावट
पाकिस्तान की आर्थिक हालातों को देखते हुए कहा जा सकता है कि पाकिस्तान की हालत बद से बदतर होने में वक्त नहीं लगेगा। पिछले चंद महीनों में पाकिस्तानी रुपए में आई 30 फीसदी की गिरावट इसकी बानगी है। रुपए के अवमूल्यन से पाकिस्तान के कर्ज की किस्त की उसकी राशि बढ़ रही है।
जब पाक प्रधानमंत्री इमरान खान कहते थे इससे बेहतर होगा मर जाना
पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि पिछले छह वित्तीय वर्षों में देश ने 26.19 बिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण लिया. इमरान खान जब कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने कोशिश की कि सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और चीन जैसे दोस्त मुल्कों से उन्हें लोन मिल जाए लेकिन जब उसमें पूरी तरह सफलता हासिल नहीं हुई तो उस आईएमएफ के आगे हाथ फैलाना पड़ा. जिसके बारे में कभी खुद इमरान दावा करते थे कि आईएमएफ से कर्ज लेने की बजाए वो मर जाना पसंद करेंगे.
पाकिस्तान उस अंधी गुफा में घुस चुका है, जहां से निकलना संभव नहीं
आईएमएफ काफी कड़ी शर्तों पर पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज का लोन दे रहा है। इसकी रकम वो तीन सालों में देगा। शर्तें इतनी कठिन हैं कि पाकिस्तान में रहने वालों के होश फाख्ता हो रहे हैं। विशेषज्ञ मानने लगे हैं कि पाकिस्तान उस अंधी गुफा में घुस चुका है, जहां से निकलना संभव नहीं.
मौजूदा दौर में एक डॉलर की कीमत 145 पाकिस्तानी रुपए के बराबर है
पाकिस्तान के विशेषज्ञों का कहना है कि कोई भी देश इस तरह कर्ज में नहीं डूबता, जिस तरह हम डूबते जा रहे हैं। कर्ज से क्या दिक्कतें बढ़ने वाली हैं, ये भी जानना चाहिए। डॉलर और महंगा होता जाएगा, मौजूदा हालत में ही एक डॉलर की कीमत 145 पाकिस्तानी रुपये के बराबर हो गई है। माना जा रहा है कि यह और ज्यादा हो जाएगी।