वो बात जो टीम बनाते वक्त ध्यान रखें नरेंद्र मोदी
हम यहां यह चर्चा नहीं करेंगे कि कैबिनेट में किसे होना चाहिये किसे नहीं, किसे कौन सा मंत्रालय दिया जाये, बल्कि उन बातों पर फोकस करेंगे, जो मोदी को अपनी टीम बनाते वक्त ध्यान में रखनी चाहिये। वो यह कि उनकी इस टीम के कार्यों की ओर बड़ी आशा के साथ देश के सवा सौ करोड़ लोग देख रहे हैं। टीम मोदी के बनने का मतलब पूरे भारत के सपने का रोडमैप तैयार होना होगा।
थर्ड जैनरेशन के हाथ में रोडमैप
यह वो रोडमैप है जो 1950 के दशक में डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पं. दीन दयाल उपाध्याय ने बनाया था। उनकी टीम पहली जैनरेशन थी, जिसे उस रोडमैप पर काम करने का मौका मिला। उसके बाद दूसरी जैनरेशन यानी अटल बिहारी वाजपेयी और उनकी टीम। थर्ड जैनरेशन यानी तीसरी जैनरेशन नरेंद्र मोदी और उनकी टीम की है। इस जैनरेशन के हाथों में भारत के सुपर पावर बनने का सपना टिका हुआ है।
राम मंदिर को करें किनारे
ऐसा नहीं है कि सिर्फ सवर्ण हिन्दुओं की बदौलत ही भाजपा सत्ता में आयी है। इस जीत में मुसलमानों और पिछड़े हुए तबकों का भी बड़ा हाथ है। अगर लोकसभा चुनाव के परिणाम देखें तो अनुसूचित जाति की 84 में से 40 सीटें यानी 47 प्रतिशत भाजपा ने जीतीं। 47 अनुसूचित जन जाति की सीटों में से 27 यानी 69 प्रतिशत भाजपा को मिलीं। वहीं एनडीए की बात करें तो इन दोनों समुदायों में क्रमश: 62 और 70 फीसदी सीटें मिलीं। यही नहीं भाजपा को कुल 28 महिला सांसद भी मिलीं।
इससे पता चलता है कि हर वर्ग ने नरेंद्र मोदी को जिताने में अपना योगदान दिया। इन परिणामों ने उन लोगों की सोच को बदल दिया जो ये सोचते थे कि भाजपा कुछ अपर क्लास के हिन्दुओं की पार्टी है।