मुजफ्फरनगर में राहुल गांधी ने मुस्लिमों के आंसू पोछे पर गले नहीं लगाया
मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश में हाल ही में जिस मुजफ्फरनगर में दंगे की आग भड़की और 47 लोग मौत के घाट उतार दिये गये, उसी मुजफ्फरनगर के जख्मों पर जब मरहम लगाने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पहुंचे, तो रोते बिलखते कई मुसलमानों के आंसू तो पोछे, पर गले नहीं लगाया। जी हां ऐसा ही हाल कुछ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का था।
यूपीस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ दंगा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने पहुंचे मनमोहन-राहुल की शायद आज की यह सबसे बड़ी गलती थी। आप सोच रहे होंगे कि आखिर हम कहना क्या चाहते हैं। तो लीजिये सीधी बात। मनमोहन, सोनिया और राहुल सोमवार को जब शहर के दौरे पर तो आये, लेकिन वो लोगों से नहीं मिले, बल्कि लोगों को उनसे मिलने के लिये विशेष रूप से बुलाया गया। कांग्रेस के तीनों शीर्ष नेता तावली गांव और बस्सी कल्लां गांव में स्थित राहत शिविरों में गये, जहां पर जबर्दस्त बैरीकेडिंग की गई थी।
मेरी इस बाप पर शायद आप कहें कि पीएम का प्रोटोकॉल होता है, जिसके अंतर्गत उसे चलना होता है। तो यहां हम सवाल सिर्फ सोनिया और राहुल से करना चाहेंगे, कि उनके लिये कौन सा प्रोटोकॉल था? सोनिया-राहुल ने आते ही कहा कि वो मुजफ्फरनगर के लोगों का दर्द बांटने आये हैं, तो दर्द बांटते वक्त ये बांस-बल्ली बीच में कैसे आ गई। एक और सवाल राहुल से पूछना चाहेंगे कि अगर आज आप प्रोटोकॉल में बंधे हुए थे तो तब आपका प्रोटोकॉल कहां चला गया था, जब भट्टा पारसौल में आप किसानों के बीच चले गये थे।
कुल मिलाकर देखा जाये तो आज के इस दौरे के सिर्फ दो तात्पर्य दिखाई देते हैं- पहला कि आपके अंदर कहीं न कहीं आम जनता का डर है, आपको लगता है कि कहीं आम जनता आप पर हमला न कर दे और दूसरा यह कि इस बांस-बल्ली के पार खड़े होकर जख्मों पर मरहम लगाना किसी राजनीतिक रोटियां सेकने से कम नहीं है।
मुजफ्फरनगर शहर का दौरा किया
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मुजफ्फनगर हिंसा को बड़ी त्रासदी करार दिया और दोषियों को दंडित किए जाने की बात कही। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ प्रधानमंत्री मुजफ्फनगर के दौरे पर गये। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार से विस्थापितों की सुरक्षा और पुनर्वास सुनिश्चित कराने के लिए कहा। इसके साथ ही उन्होंने इस कार्य के लिए राज्य सरकार को केंद्र द्वारा पूरी मदद दिए जाने का भरोसा दिया।
दु:ख दर्द सुना
मनमोहन, सोनिया और राहुल के साथ सबसे पहले बस्सीकलां गांव गए और राहत शिविरों में रह रहे लोगों का दुख-दर्द सुना। प्रधानमंत्री ने कहा, "मैं कांग्रेस अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के साथ संकट की घड़ी में शामिल होने आया हूं, ताकि घटना के भयावहता का आकलन कर सकूं।"
अबतक 47 लोगों की जान गई
सात सितंबर को भड़की सांप्रदायिक हिंसा में अबतक 47 लोगों की जान जा चुकी है और 100 से अधिक लोग घायल हुए हैं। हिंसा के कारण 43,000 से अधिक विस्थापित हो गए हैं। हालात को नियंत्रण में लाने के लिए सेना की मदद ली गई है।
क्या कहा पीएम ने
प्रधानमंत्री ने कहा, "लोगों के जानमाल की हिफाजत करने की पूरी कोशिश की जाए, ताकि लोग फिर से अपने घरों में जाकर बस सकें। उन्होंने कहा कि लोगों को सुरक्षा दी जाए। इस जघन्य हिंसा के जिम्मेदार लोगों को दंडित किया जाएगा और उत्तर प्रदेश सरकार को मदद जारी रखी जाएगी।"
पीड़ितों की तकलीफें सुनीं
सोनिया और राहुल के साथ राहत शिविरों में जाकर पीड़ितों की तकलीफें सुनीं। तीनों नेता बाद में तावली गांव पहुंचे। मुजफ्फरनगर शहर जाने के दौरान राहुल केंद्रीय गृह राज्य मंत्री आर.पी.एन. सिंह के साथ गांजक गांव गए और घटना के संबंध में स्थानीय लोगों से जानकारी ली।
टीवी पत्रकार के घर
इसके बाद सभी ने दिवंगत टीवी पत्रकार राजेश वर्मा के परिजनों से मुलाकात की और दस लाख रुपये मुआवजा राशि दिए जाने की घोषणा की। वर्मा के परिजनों ने संवाददाताओं से कहा, "प्रधानमंत्री ने हमें दस लाख रुपये की आर्थिक मदद के साथ दोनों बच्चों की पढ़ाई में मदद और सरकारी नौकरी का आश्वासन दिया। परिजनों ने प्रधानमंत्री के इस वादे के पूरा होने की उम्मीद जताई है।