फ्लोर टेस्ट से पहले कोराना टेस्ट पर इसीलिए अमादा थी कमलनाथ सरकार, जानिए पूरा माजरा?
बेंगलुरू। कुल 22 विद्रोही विधायकों के इस्ताफे के बाद संकट में आई मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार का गिरना लगभग तय था, लेकिन विधानसभा स्पीकर नर्मदा प्रसाद त्रिपाठी ने कोराना वायरस के बहाने आगामी 26 मार्च तक विधानसभा स्थगित करके कमलनाथ सरकार को 10 दिन का ऑक्सीजन दे दिया है। हालांकि बीजेपी स्पीकर के फैसले के खिलाफ सुप्रीम चली गई है।
दरअसल, कमलनाथ सरकार को आभास था कि अगर आज फ्लोर टेस्ट हुआ तो उनकी सरकार भरभरा गिर जाएगी। शायद इसीलिए कमलनाथ सरकार ने फ्लोर टेस्ट को टालने की भूमिका तैयार कर ली थी और फ्लोर टेस्ट से पहले बागी विधायकों का कोरोना वायरस टेस्ट करवाने पर अमादा थी।
Recommended Video
हालांकि कमलनाथ सरकार का दांव अभी तो सफल रहा है और स्पीकर नर्मदा प्रसाद त्रिपाठी ने विधानसभा को 26 मार्च तक स्थगित करके कमलनाथ को संजीवनी दे दी है। कमलनाथ सरकार के फ्लोर टेस्ट से पहले विद्रोही विधायकों के कोरोना टेस्ट की अपील महज कांग्रेस की अल्पमत सरकार को बचाने का सीएम कमलनाथ का आखिरी दांव था, जो फिलहाल कामयाब होता दिख रहा है।
सीएम कमलनाथ ने कहा था कि बेंगलुरू और जयुपर से लौटने वाले सभी विद्रोही विधायकों को कोरोना वायरस का टेस्ट करवाएगी। इसके पहले कमलनाथ सरकार ने इस्तीफा देने वाले 16 विधायकों को इस्तीफा नकार दिया था। बाद 6 विधायकों का इस्तीफा पहले ही मंजूर कर लिया गया था। शेष 17 विधायकों ने दोबारा भी अपना इस्तीफा भी भेज दिया था।
गौरतलब है मध्य प्रदेश के गवर्नर लालजी टंडन ने कमलनाथ सरकार को सोमवार को फ्लोर टेस्ट करने को कहा था। गत शनिवार को राजभवन से एक पत्र राज्य के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता कमलनाथ को भेजा गया था।
राजभवन से सीएम को जारी किए गए पत्र के मुताबिक राज्यपाल ने सीएम को कहा है कि मध्य प्रदेश की राजनीतिक हालात काफी चिंताजनक है। उन्हें लगता है कि कमलनाथ सरकार सदन का विश्वास खो चुकी है और यह सरकार अल्पमत में है। इसलिए सीएम कमलनाथ 16 मार्च को सदन में बहुमत साबित करें।
यह भी पढ़ें- Scindia Impact: मध्य प्रदेश की ज्योति राजस्थान में बन सकती है ज्वाला, सचिन पायलट भी दिखा सकते हैं तेवर!
मुख्यमंत्री के नेहले पर स्पीकर नर्मदा प्रसाद त्रिपाठी ने चला दहला
चूंकि कमलनाथ सरकार फ्लोर टेस्ट को टालना चाहती थी, इसलिए उसने फ्लोर टेस्ट से पहले विधायकों का फ्लोर टेस्ट देने की अपील की थी। बड़ा सवाल यह है कि अगर कोरोना टेस्ट में कोई विधायक पॉजिटिव पाए जाते हैं तो उनके पास क्या विकल्प बचेंगे, लेकिन विधायकों के कोरोना टेस्ट से पहले ही स्पीकर नर्मदा प्रसाद त्रिपाठी ने कोरोना वायरस को हवाला देकर विधानसभा भंग करके कमलनाथ के नहेले पर दहला मार दिया और विधानसभा को 26 मार्च तक के लिए स्थगित करके कमलनाथ को सरकार बचाने के लिए 10 दिन का वक्त दे दिया है।
कमलनाथ सरकार हारी हुई बाजी में ट्विस्ट तलाश रही थी
दरअसल, कमलनाथ सरकार हारी हुई बाजी में ट्विस्ट तलाश रही थी और कोरोना वायरस उसके के लिए बेहतर विकल्प था, जिसका माहौल बनाने के लिए कमलनाथ सरकार ने पिछले कई दिनों से यह कोशिश कर रही थी। इसी क्रम में मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री पीसी शर्मा ने कहा था कि इस्तीफा देने वाले कांग्रेसी विधायकों का चिकित्सकीय परीक्षण जरूरी है। इनमें हरियाणा और बेंगलुरु से आने वाले सभी विधायक को शामिल किया जाना चाहिए। शर्मा ने दलील देते हुए कहा था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना को महामारी घोषित किया है। प्रदेश में 700 बाहर के व्यक्तियों ने प्रवेश किया है, जिनकी जांच की जा रही है, इसलिए फ्लोर टेस्ट से पहले विधायकों का भी टेस्ट होना चाहिए और कोरोना बीमारी के बारे में फैसला लेने के लिए CMHOको पूरी शक्तियां दी गई हैं।'
फिलहाल, कमलनाथ सरकार को 10 दिन तक मिली है संजीवनी
सुनने में यह मामला बेहद दिलचस्प था और 26 मार्च तक विधानसभा स्थगित करके कमलनाथ सरकार ने 10 दिन तक अपनी सरकार फिलहाल बचा लिया है वरना यह तय था कि अगर 16 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराया जाता तो कमलनाथ सरकार घुटने टेक देती। हालांकि विधासभा स्थगन के लिए कमलनाथ सरकार जिस तरह से प्रदेश की राजनीति में माहौल बना रही थी, उससे यह निश्चित हो गया था कि मध्य प्रदेश में 16 मार्च को कमलनाथ सरकार का फ्लोर टेस्ट नहीं होगा। फ्लोर टेस्ट पर असमंजस की स्थिति इसलिए बनी हुई थी, क्योंकि एक ओर जहां राज्यपाल लालजी टंडन ने विधानसभा स्पीकर को चिट्ठी लिखकर 16 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराने को कहा है तो दूसरी तरफ 16 मार्च की कार्यसूची में फ्लोर टेस्ट का कहीं भी कोई जिक्र नहीं था, इसलिए राजनीतिक गलियारों में असमंजस की स्थिति बनी हुई थी।
प्रदेश मे एक बार फिर सरकार बनाने की उम्मीद कर रही बीजेपी
हालांकि कांग्रेस के कोरोना दांव से आशंकित होने के बावजूद प्रदेश मे एक बार फिर सरकार बनाने की उम्मीद कर रही बीजेपी ने अपने सभी विधायकों को व्हिप जारी दिया था ताकि अगर फ्लोर टेस्ट हों तो सभी विधानसभा में सदन में मौजूद रहे। वैसे, व्हिप कांग्रेस की ओर से भी जारी किया गया था, लेकिन कांग्रेस का व्हिप फ्लोर टेस्ट के लिए नहीं, बल्कि कोरोना टेस्ट के लिए था। 16 मार्च के फ्लोर टेस्ट के लिए बीजेपी ने पूरी तैयारी कर रखी थी और कल ही जयपुर से कांग्रेस के सभी विद्रोही विधायक मध्य प्रदेश वापस भी आ चुके थे, जिन्हें हरियाणा में ठहराने गए थे और सभी बीजेपी विधायक भी भोपाल पहुंच चुके थे।
जब फ्लोर टेस्ट के सवाल पर कन्नी काट गए थे कलमानाथ के मंत्री
दिलचस्प बात यह है कि कमलनाथ सरकार के कोरोना टेस्ट के दांव पर टिप्पणी करते हुए निर्दलीय विधायक और मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री प्रदीप जायसवाल कहा था कि सरकार के पास जरूरी संख्या है जबकि उसके कमलनाथ के पक्ष में विधायकों की संख्या बहुमत से इतनी कम थी कि फ्लोर टेस्ट में सरकार का धड़ाम होना तय था। शायद यही कारण था कि मंत्री प्रदीप जायसवाल ने 16 मार्च को होने वाले फ्लोर टेस्ट के सवाल पर पूरी तरह से कन्नी काट गए और बोले, कल फ्लोर टेस्ट हो यह जरूरी नहीं है, क्योंकि अभी तो कोरोना चल रहा है।
22 विधायकों के इस्तीफे के बाद अभी कमलनाथ के साथ हैं 99 विधायक
मध्य प्रदेश विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कमलनाथ सरकार को कम से कम 116 विधायकों की जरूरत है, लेकिन 22 विद्रोही विधायकों (6 का इस्ताफा मंजूर हो चुका है) के इस्तीफा देने के बाद अब कमलनाथ सरकार अल्पमत हैं, क्योंकि उसके पास अभी केवल 114-22=92 कांग्रेसी विधायक और सपा 1 और बसपा 2 और 4 निर्दलीय को जोड़ दिया जाए तो महज 99 विधायक की मौजूद हैं, जो बहुमत से 17 विधायक कम है जबकि 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद बीजेपी के स्थिति सदन में अच्छी होगी।
कल कमलनाथ सरकार गिरती है तो बीजेपी आराम से सरकार बनाएगी
बीजेपी ने पिछले विधानसभा चुनाव में 109 सीटें जीती थीं और अब अगर कमलनाथ सरकार गिरती है तो इस्तीफा देने वाले 22 विधायकों को जोड़कर बीजेपी के विधायकों की संख्या 131 हो जाएगी, जो बहुमत के आंकड़े से 15 ज्यादा है और यह और भी हो सकती है, क्योंकि मौजूदा सरकार में मंत्री बने कई निर्दलीय विधायकों ने जिसकी सरकार उसमें शामिल होने का सार्वजनिक बयान दे चुके थे।
आगे क्या होगा, लेकिन अभी MP विधानसभा में बीजेपी मजबूत स्थिति में है
आगे क्या होगा, लेकिन अभी बीजेपी विधानसभा में फिलहाल मजबूत स्थिति में दिख रही है, क्योंकि 6 कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफे की मंजूरी के बाद अभी भी उसके पास 115 विधायक हैं और सदन बहुमत के लिए उसे मात्र 1 विधायक की जरूरत है और उसे ऐसे निर्दलीय विधायकों को अपने पाले में देर नहीं लगेगी, जो अभी कमलनाथ सरकार में मंत्री हैं। शेष 16 विधायक भी उसके पक्ष में वोट करेंगे, जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से इस्तीफे के बाद कांग्रेस से इस्तीफा देकर कमलनाथ सरकार की जड़ें हिला दी थी।