आर्टिकल 370 को खत्म किए जाने के बाद आखिर क्या है जम्मू कश्मीर का भविष्य
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 को खत्म किए जाने के बाद सरकार लगातार इस कोशिश में लगी है कि घाटी के लोगों के जनजीवन को सामन्य पटरी पर लाया जा सके। मौजूदा समय में बड़ी संख्या में यहां जवान तैनात हैं, चप्पे -चप्पे पर नजर रखी जा रही है, जिससे कि यहां किसी भी तरह का माहौल ना खराब किया जा सके और हिंसा को टाला जा सके। लेकिन कश्मीर में कर्फ्यू की वजह से लोगों को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल 14 फरवरी को आत्मघाती झेलम के पास बिल्डिंग में विस्फोट किया था, उससे महज 100 मीटर की दूरी पर पैरामिलिट्री के तकरीबन 40 जवान मौजूद थे। इस घटना के छह महीने बीत जाने के बाद आज भी यहां के निवासी नजीर अहमद डरे हुए हैं और उनके भीतर इस हादसे की याद ताजा है। शुरुआत में उन्हें ऐसा लगा कि कोई विमान बिल्डिंग में क्रैश कर गया। इस धमाके के बाद एनआईए ने नजीर को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की थी।
व्यापार का बुरा हाल
नजीर बताते हैं कि आऱ्टिकल 370 के हटने के बाद मुझे डर है कि अगले 20 वर्षों में घाटी में बड़ी इंडस्ट्री लगेगी और यहां मेरा बिजनेस खत्म हो जाएगा, यहां लोगों को भारत से कच्चा माल सस्ते दाम पर मिलेगा। यही नहीं अगर यहां नौकरी की प्रतिस्पर्धा बढ़ी तो इसकी वजह से युवाओं में निराशा बढ़ेगी। जिसकी वजह से घाटी में आतंकवाद भी बढ़ सकता है। पिछले 9 दिन से घाटी में कर्फ्यू लगा है और सामान्य जीवन बिल्कुल भी अस्त-व्यस्त है।
नेता हिरासत में
5 अगस्त को जबसे कश्मीर में आर्टिकल 370 को खत्म किया गया उसके बाद से ही घाटी में राजनेताओं की जगह पूरी तरह से खाली है, तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को को हिरासत में ले लिया गया है, इसके अलावा 500 अन्य नेताओं, कार्यकर्ताओं को भी हिरासत में ले लिया गया है। बहुत से स्थानीय लोग ऐसे भी हैं जिनके भीतर इन नेताओं के प्रति सहानुभूति बहुत कम है क्योंकि ये नेता घाटी के हालात को बेहतर करने और इसे सुरक्षा देने में विफल रहे हैं।
राजनीति
अनंतनाग के स्थानीय व्यापीरी बशीर अहमद कहते हैं कि ये नेता फेल हैं, इन्होंने हमे धोखा दिया है, इनका क्या काम है। इसके अलावा अनंतनाग और अवंतीपुरा में भी लोग इन नेताओं को लेकर निराश हैं। जबसे घाटी में कर्फ्यू लगा है उसके बाद पिछले हफ्ते अबतक का सबसे बड़ा प्रदर्शन श्रीनगर के सौरा में शुक्रवार को हुआ था। जम्मू कश्मीर पुलिस के कॉस्टेबल का कहना है कि मेरा काम है कि आदेश का पालन करना और मैं वह कर रहा हूं, लेकिन इसका कतई यह मतलब नहीं है कि मैं दुखी या नाराज नहीं हूं। कश्मीर अब अपना जैसा नहीं लगता है।
सुरक्षा
घाटी में श्रीनगर को सबसे संवेदनशील माना जाता है और यहां बादामी बाग कैंटोनमेंट में बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी मौजूद हैं। अभी तक घाटी में यह भी साफ नहीं है कि यहां पर कितने दिन संचार के माध्यम बंद रहेंगे। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कश्मीरियों के लिए यह जरूरी है कि वह यह समझे कि आर्टिकल 370 को खत्म करने के बाद उसे वापस नहीं लाया जाएगा। यहां पर पाबंदी कुछ खास उद्देश्य से है। हम यहां पर तभी तक हैं जब तक कि हमारी यहां पर लोगों की सेवा की जरूरत है।
कब तक रहेगी पाबंदी
नॉर्दर्न आर्मी के पूर्व कमांडर रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुडा कहते हैं कि आखिर कितने समय तक आप पाबंदी लगाए रहेंगे। इसे एक समय पर हटाना ही पडेगा। सुरक्षा बलों को हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए। सबसे अहम बात यह है कि यहां पर होने वाले जन विरोध का कैसा सामना किया जाएगा, जोकि एक दिन होगा ही। सुरक्षाकर्मियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि कर्फ्यू हटने के बाद स्थिति को कैसे सामान्य रखा जाए। अनंतनाग के कॉलेज के एक छात्र परवेज याकूब का कहना है कि आप जो देख रहे हैं वह सरकार की कार्रवाई है, हमारी आजादी पर पहरा है, इसके खिलाफ प्रदर्शन होगा, यह आंधी के आने से पहले की शांति है।
अर्थव्यवस्था
घाटी की अर्थव्यवस्था की बात करें तो यहां के कुछ स्थानीय बिजनेसमैन, उद्योगपति आर्टिकल 370 के हटने से पहले जमकर कमाई करते थे। घाटी में पर कैपिटा ग्रॉस स्टेट जीडीपी की बात करें तो 2016-17 में यह 94675 से घटकर 74998 तक पहुंच गई। घाटी में बेरोजगारी दर 4.2 फीसदी है, जबकि पूरे देश में यह 6.1 फीसदी है। घाटी में निवेशकों का विश्वास कायम करना भी अहम चुनौती है। कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के पूर्व चेयरमैन का कहना है कि जल्द ही घाटी में अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। पिछले 30 वर्षों में घाटी में हिंसा की वजह से इंडस्ट्री को काफी नुकसान हुआ है। कई कोशिशों के बाद भी यहां इंडस्ट्री पटरी पर नहीं आ सकी है।
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