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क्या है उर्मिला मातोंडकर को शिवसेना में लाने के पीछे उद्धव ठाकरे का बड़ा दांव?

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नई दिल्ली- बॉलीवुड की पूर्व अभिनेत्री और कांग्रेस से इस्तीफा दे चुकीं उर्मिला मातोंडकर मंगलवार को औपचारिक तौर पर शिवसेना में शामिल हो जाएंगी। महाराष्ट्र की सत्ताधारी पार्टी में उनकी एंट्री कितनी हाई प्रोफाइल है, इसका अंदाजा इसी बात से लगता है कि वह पार्टी सुप्रीमो के पैतृक आवास मातोश्री में खुद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में 'शिवसैनिक' बनेंगी। तकरीबन साल भर पहले कांग्रेस के अदर 'तुच्छ राजनीति' का आरोप लगाकर इस्तीफा दे चुकीं उर्मिला तभी से मातोश्री की आंखों का तारा बनी हुई हैं, जब वो अभिनेत्री कंगना रनौत के शब्दों के बाण के सामने ठाकरे परिवार के लिए ढाल बनकर कूद पड़ी थीं। वह पार्टी की सदस्यता तो अब ले रही हैं, लेकिन सीएम ठाकरे राज्यपाल कोटे से उन्हें एमएलसी बनवाने की सिफारिश पहले ही कर चुके हैं।

कांग्रेस से शिवसेना तक का कैसा रहा है सफर ?

कांग्रेस से शिवसेना तक का कैसा रहा है सफर ?

2019 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले यानि 27 मार्च को अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर कांग्रेस में शामिल हुई थीं। पार्टी ने उन्हें उत्तर मुंबई लोकसभा सीट से टिकट दिया था। चुनाव में वह बीजेपी के गोपाल शेट्टी से हार गईं। 10 सितंबर, 2019 को वह पार्टी के अंदर 'तुच्छ राजनीति' का विलाप करते हुए उससे बाहर हो गईं। इससे पहले उन्होंने कांग्रेस के कुछ नेताओं पर चुनाव में मदद नहीं करने का आरोप लगाने वाला एक गोपनीय पत्र आलाकमान को भेजा था, जो मीडिया में लीक हो गया। आखिर यही खत पार्टी से उनकी विदाई का कारण बना। करीब साल भर तक ऐसा लगा कि वह अब राजनीति से दूर हो चुकी हैं। पिछले दिनों जब उनका नाम विधान परिषद के लिए मनोनीत सदस्यों की लिस्ट में भेजा गया तो कांग्रेस ने उसका विरोध नहीं किया। जबकि, चर्चा थी कि वह कांग्रस के कोटे से ही एमएलसी बनाई जाएंगी। लेकिन जानकारी के मुताबिक मुंबई कांग्रेस के कुछ नेताओं के चलते मातोंडकर ने कांग्रेस में वापसी से इनकार कर दिया। इसलिए, शायद जब शिवसेना ने उनका नाम दिया तो कांग्रेस को उसपर कोई आपत्ति नहीं हुई। जानकारी के मुताबिक खुद उद्धव ने उर्मिला को फोन करके एमएलसी बनाए जाने के प्रस्ताव की जानकारी दी थी।

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कंगना से लड़ाई में ठाकरे परिवार का दिया साथ

कंगना से लड़ाई में ठाकरे परिवार का दिया साथ

कांग्रेस से निकलने के करीब एक साल तक लो-प्रोफाइल रहने के बाद उर्मिला मातोंडकर कुछ महीने पहले अचानक तब फिर सुर्खियों में आ गईं जब उन्होंने अभिनेत्री कंगना रनौत की ओर से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर हो रहे जुबानी हमले पर तीखा पलटवार करना शुरू कर दिया। ठाकरे परिवार को तब मातोंडकर का साथ मिला जब उनकी सहयोगी पार्टियों एनसीपी और कांग्रेस ने संदेहास्पद चुप्पी साधे रखने में ही भलाई समझी थी। उर्मिला और कंगना का वार-पलटवार न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया पर खूब चला। एक वक्त कंगना के अटैक से डिफेंसिव हो चुके शिवसेना के नेताओं को जैसे उर्मिला के आक्रमण ने एक नया जीवनदान दिया और उन्होंने वापस से फिर से उनके खिलाफ मोर्चा खोल लिया। फिर क्या था उद्धव ठाकरे का परिवार और उनकी पार्टी उर्मिला की ऐसी कायल हो गई कि उन्हें पार्टी में लाना तय कर लिया गया। लेकिन, उर्मिला को एमएलसी बनवाकर या पार्टी में शामिल करके ठाकरे सिर्फ उनके एहसानों का बदला नहीं चुका रहे हैं, बॉलीवुड की पूर्व अभिनेत्री से पार्टी को काफी उम्मीदें भी हैं।

शिवसेना समझती है हर मर्ज की दवा!

शिवसेना समझती है हर मर्ज की दवा!

उर्मिला मातोंडकर का शिवसेना में आना पार्टी के लिए किसी पुरस्कार से कम नहीं है। पार्टी को लगता है कि उनके आने पर पार्टी को एक ऐसी महिला राष्ट्रीय वक्ता मिलेगी, जो एक साथ हिंदी-अंग्रेजी और मराठी में धाराप्रवाह बोल सकती है। पार्टी के पास अभी तीन महिला चेहरा हैं- नीलम गोरे, मनीषा कायंडे और प्रियंका चतुर्वेदी। पहली दोनों मराठी में धुरंधर हैं तो प्रियंका का अंग्रेजी और हिंदी पर कमांड है। लेकिन, उर्मिला मातोंडकर हर मर्ज की दवा साबित हो सकती हैं। यही नहीं पार्टी मानती है कि वह एक ऐसी अभिनेत्री हैं, जिनका समाज में भी अच्छा संपर्क है। वह भले ही चुनाव हार गई हों, लेकिन राजनीतिक तौर पर वह काफी समझदार हैं और उन्हें राजनीतिक विषयों पर अच्छी पकड़ भी है।

उर्मिला के पति के जरिए मुस्लिम वोटों पर नजर!

उर्मिला के पति के जरिए मुस्लिम वोटों पर नजर!

लेकिन, शिवसेना को उर्मिला से इससे भी ज्यादा उम्मीदें हैं। वह उन्हें पार्टी की बदली हुई विचारधारा के लिए पूरी तरह से फिट मानती है। उद्धव ठाकरे तय कर चुके हैं कि वह अपने पिता की तरह की हिंदुत्व वाली पार्टी की छवि बदलकर रहेंगे। वो कांग्रेस और एनसीपी के साथ रहकर आगे के सारे चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। इसलिए वह शिवसेना का जनाधार उन मुस्लिम मतदाताओं के बीच भी बढ़ाना चाहते हैं, जो पिछले विधानसभा चुनावों तक उनकी विचारधारा के ठीक विपरीत रहा है। उर्मिला मातोंडकर से 10 साल छोटे उनके पति मोहसिन अख्तर मीर एक कश्मीरी मुसलमान हैं। इसलिए उद्धव को उर्मिला में मुस्लिम वोट बटोरने की मशीन भी नजर आने लगी है।

अब एक मंच पर प्रियंका-उर्मिला

अब एक मंच पर प्रियंका-उर्मिला

उर्मिला मातोंडकर को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे शिवसेना में लाने को इतनी तबज्जो दे रहे हैं तो उसके पीछे की वजहें आप जान ही चुके हैं। उर्मिला से पहले कभी कांग्रेस की हाई प्रोफाइल प्रवक्ता रहीं प्रियंका चतुर्वेदी भी शिवसेना का दामन थाम चुकी हैं। दिलचस्प बात ये है कि प्रियंका ने उर्मिला की वजह से ही नाराज होकर कांग्रेस से तोबा किया था। करीब एक दशक तक कांग्रेस की आवाज रहीं प्रियंका को दरकिनार करके पार्टी ने जब पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तर मुंबई से हवा-हवाई नेता की तरह पार्टी में शामिल हुईं उर्मिला को टिकट दे दिया था तो उनका पार्टी से मोहभंग हो गया और वह उद्धव ठाकरे के साथ चली गईं। सियासत का खेल देखिए कि अब ये दोनों नेत्रियां एकसाथ एक ही नाव की सवारी करने को तैयार हैं। उर्मिला को एंट्री से पहले एमएलसी बनाने की कोशिश की गई है तो साल भर में प्रमोट होकर प्रियंका चतुर्वेदी राज्यसभा पहुंच चुकी हैं और सदन में शिवसेना की उपनेता हैं।

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English summary
What is Uddhav Thackeray's big bet behind bringing Urmila Matondkar to the Shiv Sena?
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