वसीम जाफ़र पर टीम में सांप्रदायिकता फैलाने के आरोप का सच क्या है?
वसीम जाफ़र ने कुछ दिन पहले खिलाड़ियों के चयन को लेकर प्रशासकों के साथ विवाद होने के बाद कोच के पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.
पूर्व भारतीय स्पिनर अनिल कुंबले ने गुरुवार को उत्तराखंड क्रिकेट टीम में कथित रूप से सांप्रदायिकता फैलाने का आरोप झेल रहे पूर्व भारतीय क्रिकेटर वसीम जाफ़र के समर्थन में ट्वीट किया है.
वसीम जाफ़र ने कुछ दिन पहले खिलाड़ियों के चयन को लेकर प्रशासकों के साथ विवाद होने के बाद कोच के पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.
इस्तीफ़ा देने के बाद वसीम जाफ़र ने गुरुवार को अपनी नाराज़गी व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे पद का क्या फ़ायदा, जब कोच के साथ बदसलूकी की जाए और उसकी सिफ़ारिशों को न माना जाए.
जाफ़र ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपने ऊपर लगे सांप्रदायिकता के आरोपों का खंडन किया है.
जाफ़र ने एक ट्वीट करके इस मामले से जुड़े तथ्यों को सामने रखा है, जिस पर कुंबले ने अपना समर्थन जताया है.
कुंबले ने कहा है, "वसीम, मैं आपके समर्थन में हूँ. आपने सही काम किया. दुर्भाग्य से, खिलाड़ियों को तुम्हारी मेंटरशिप की कमी खलेगी."
With you Wasim. Did the right thing. Unfortunately it’s the players who’ll miss your mentor ship.
— Anil Kumble (@anilkumble1074) February 11, 2021
कुंबले के साथ-साथ मनोज तिवारी, डी गणेश और इरफ़ान पठान जैसे कई खिलाड़ियों ने वसीम जाफ़र के समर्थन में ट्वीट किए हैं. खिलाड़ियों के साथ-साथ क्रिकेट को देखने समझने वाले तमाम खेल पत्रकारों और विशेषज्ञों ने भी सोशल मीडिया पर वसीम जाफ़र का समर्थन किया है.
इन लोगों ने कहा है कि वसीम जाफ़र के साथ जो कुछ हुआ है, वो उत्तराखंड की क्रिकेट टीम का नुक़सान है.
लेकिन क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ़ उत्तराखंड के सचिव महिम वर्मा की मानें, तो वसीम जाफ़र पर लगाए जा रहे सभी आरोप बेबुनियाद हैं.
ऐसे में सवाल उठता है कि आख़िर वसीम जाफ़र पर टीम को मजहबी रंग देने, मुसलमान खिलाड़ियों को तरजीह देने, और ड्रेसिंग रूम में मौलवियों को बुलाने के आरोप कैसे लगे?
लेकिन इससे पहले ये जान लेते हैं कि वसीम जाफ़र पर किस तरह के आरोप लगाए गए हैं.
वसीम जाफ़र पर क्या आरोप लगाए गए?
भारतीय क्रिकेट में ओपनिंग बैट्समेन रह चुके वसीम जाफ़र ने घरेलू क्रिकेट में भी एक बड़ा मुकाम हासिल किया है. रणजी से लेकर ईरानी ट्रॉफी में उनके पास बेहतरीन प्रदर्शन करने के रिकॉर्ड हैं.
रणजी में सबसे पहले 12 हज़ार रन बनाने से लेकर सबसे ज़्यादा शतक लगाने का रिकॉर्ड भी वसीम जाफ़र के ही नाम है.
मुंबई और विदर्भ की तरफ से खेल चुके वसीम जाफ़र 150 से ज़्यादा मैच खेलने वाले पहले खिलाड़ी भी हैं. एक खिलाड़ी के रूप में अपना शानदार प्रदर्शन दिखाने के बाद वसीम जाफ़र ने एक कोच के रूप में भी बेहतरीन प्रदर्शन किया है.
लेकिन उत्तराखंड क्रिकेट टीम के कोच के रूप में इस्तीफ़ा देने के बाद उन पर सांप्रदायिकता फैलाने के आरोप लगाए गए हैं. स्थानीय मीडिया में इस संबंध में रिपोर्टें छपी और वसीम जाफ़र की प्रतिक्रिया के बाद मामले ने तूल पकड़ना शुरू किया.
लेकिन बीबीसी से बातचीत में महिम वर्मा इन सभी आरोपों को निराधार बताते हैं.
वे कहते हैं, "मुझे भी इस बारे में जानकारी अख़बार से ही मिली है. और ये पूरी तरह से निराधार आरोप हैं. अगर वसीम जाफ़र इस तरह के शख़्स होते, तो उन्हें मैं कोच के रूप में लेकर क्यों आता? वह ऐसे शख़्स नहीं हैं."
वसीम के ख़िलाफ़ कोई औपचारिक शिकायत नहीं
बीबीसी हिंदी ने महिम वर्मा से पूछा कि क्या वह किसी ऐसे मौक़े के साक्षी रहे हैं, जब जाफ़र ने ऐसा कुछ किया हो और टीम की ओर से इसका विरोध किया गया हो.
इस पर महिम वर्मा ने कहा, "मैं ऐसे किसी भी मौक़े का साक्षी नहीं रहा हूँ. मैंने ये सब अपनी आँखों से नहीं देखा और न ही अपने कानों से सुना."
इसके बाद जब बीबीसी ने महिम वर्मा से पूछा कि क्या उनके पास वसीम जाफ़र के ख़िलाफ़ खिलाड़ियों या सपोर्ट स्टाफ़ की ओर से किसी तरह की कोई लिखित शिकायत दर्ज की गई है.
इस पर भी महिम वर्मा ने कहा, "हमारे पास अब तक किसी की ओर से कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है."
क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ़ उत्तराखंड के कोषाध्यक्ष पृथ्वी सिंह नेगी जी ने भी बीबीसी को बताया कि बीती 9 फरवरी तक वसीम जाफ़र के ख़िलाफ़ किसी तरह की शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है.
वे कहते हैं, "ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं. ऐसा होने का सवाल ही नहीं उठता क्योंकि अगर ऐसा हुआ होता, तो एपेक्स काउंसिल में इसे लेकर शिकायत दर्ज कराई गई होती, जो बीती 9 फरवरी तक नहीं कराई गई है. मैं काउंसिल का सदस्य हूँ और मुझे ऐसी किसी शिकायत को लेकर जानकारी नहीं है."
ऐसे में सवाल उठता है कि अगर वसीम जाफ़र के ख़िलाफ़ कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई थी और महिम वर्मा ने वसीम जाफ़र के ख़िलाफ़ आरोप नहीं लगाए, तो किसने लगाए?
कौन हैं नवनीत मिश्रा
बीबीसी के साथ बातचीत में महिम वर्मा ने उत्तराखंड टीम के मैनेजर नवनीत मिश्रा का ज़िक्र किया.
महिम वर्मा ने कहा, "ये बयान हमारे टीम मैनेजर नवनीत मिश्रा की ओर से दिया गया है, मैंने उनसे लिखित में जवाब माँगा है कि आपने क्या देखा और जब ये सब कुछ हुआ तो मुझे सूचना क्यों नहीं दी गई."
नवनीत मिश्रा वो शख़्स हैं, जो इस पूरे विवाद के केंद्र में नज़र आते हैं. महिम वर्मा के मुताबिक़, नवनीत मिश्रा ने ही सबसे पहले मीडिया से बात करते हुए ये बयान दिए हैं.
बीबीसी से बातचीत में नवनीत मिश्रा ने कहा, "मेरे पास स्थानीय मीडिया के एक रिपोर्टर का फ़ोन आया था, जिसने मुझसे पूछा कि क्या चार-पाँच बार मौलवी आए थे, तो मैंने जवाब में कहा कि चार-पाँच बार नहीं सिर्फ़ दो बार आए थे. मैंने इससे आगे एक लफ़्ज़ नहीं कहा है."
बीबीसी ने जब नवनीत मिश्रा से पूछा कि अगर वह स्वयं ऐसी घटनाओं के साक्षी थे, तो उन्होंने एपेक्स काउंसिल में शिकायत दर्ज क्यों नहीं कराई.
इस पर नवनीत मिश्रा कहते हैं कि "वे टूर ख़त्म होने के बाद अपनी सबमिशन रिपोर्ट में ये सारी बातें डालते, लेकिन अभी कैसे शिकायत कर सकते थे."
बीबीसी ने नवनीत मिश्रा से ये भी पूछा कि क्या उन्होंने पत्रकार से ये सब भी कहा था कि वसीम जाफ़र हिंदू देवी-देवताओं के नारों से लेकर टीम का इस्लामीकरण कर रहे थे.
इस सवाल के जवाब में नवनीत मिश्रा कहते हैं कि उन्होंने इस तरह की बातें मीडिया में नहीं बताई हैं.
ऐसे में सवाल उठता है कि जब क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ़ उत्तराखंड वसीम जाफ़र के ख़िलाफ़ लगे आरोपों से पल्ला झाड़ती हुई दिख रही है तो इस पूरे विवाद की जड़ में कौन है.
क्या क्रिकेट एसोशिएसन ऑफ़ उत्तराखंड संबंधित अख़बार के ख़िलाफ़ कार्रवाई करेगा? या फिर क्या संबंधित अख़बार उस रिकॉर्डिंग को सामने रखेगा जिसमें क्रिकेट एसोशिएसन ऑफ़ उत्तराखंड के पदाधिकारियों ने कथित तौर पर वसीम जाफ़र के ख़िलाफ़ आरोप लगाए.
क्योंकि इन कथित आरोपों के आधार पर वसीम जाफ़र को ट्रोल किया जाना जारी है.
सामाजिक प्रतिष्ठा को पहुँची ठेस
एक समय में वसीम जाफ़र को कोचिंग दे चुके पूर्व भारतीय क्रिकेटर करसन घावरी इसे एक बेहद दुर्भाग्यपूर्ण लम्हा बताते हैं.
वे कहते हैं, "वसीम उस तरह के लोगों जैसा नहीं है, जो इस तरह का काम करें. क्रिकेट को लेकर वे बहुत ही ईमानदार रहे हैं. उन्होंने भारत और मुंबई का प्रतिनिधित्व किया है. वह सिर्फ़ अपनी टीम के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन चाहते हैं."
"क्रिकेट के अंदर कोई धर्म नहीं होता है. क्रिकेट अपने आप में धर्म होता है. हिंदुस्तान में जबसे क्रिकेट शुरू हुआ है, तब से सभी धर्मों के लोग खेले हैं. और हिंदुस्तान में इस आधार पर तरजीह नहीं दी जाती है, अगर दी जाती तो नवाब पटौदी, मुश्ताक़ अली, और इससे पहले इफ़्तिख़ार खान अली पटौदी इतना बड़ा क्रिकेट नहीं खेल पाते."
वो कहते हैं, "और मैं वसीम को बहुत अच्छी तरह से जानता हूँ, जब वसीम एक खिलाड़ी के रूप में खेल रहे थे, तो मैं उनका कोच था. ऐसे में मैं वसीम को बहुत अच्छी तरह जानता हूँ कि वह उन लोगों जैसे नहीं हैं."
वसीम जाफ़र के क्रिकेट को काफ़ी बारीकी से देखने वाले खेल पत्रकार विजय लोकपल्ली मानते हैं कि इस विवाद से वसीम जाफ़र की सामाजिक प्रतिष्ठा को जो हानि पहुँची है, उसकी भरपाई कैसे होगी.
लोकपल्ली कहते हैं, "कई लोग वो मानेंगे, जो एसोसिएशन ने कहा है, ये कितने लोग पढ़ेंगे कि वसीम जाफ़र ने क्या कहा है. लेकिन मैं इतना जानता हूँ कि खिलाड़ियों पर इस तरह के आरोप लगाना बहुत ही ग़लत बात है."
क्रिकेट प्रबंधन से जुड़ा विवाद
कुछ समय पहले उत्तराखंड टीम के कोच बनने वाले वसीम जाफ़र ने एसोसिएशन के साथ विवाद होने के बाद अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.
महिम वर्मा से लेकर नवनीत मिश्रा के भी आरोप हैं कि वह सम्मानपूर्वक बात नहीं करते थे.
वसीम जाफ़र ने टीम प्रबंधन से जुड़े सभी आरोपों को लेकर अपना पक्ष रख दिया है.
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए जाफ़र ने कहा, "ये दिल तोड़ने वाला और दुखद है. मैंने पूरी लगन से काम किया और उत्तराखंड के कोच के पद के लिए समर्पित था. मैं हमेशा सही कैंडिडेट को आगे बढ़ाना चाहता था. मुझे लगने लगा था कि मैं हर छोटी चीज़ के लिए लड़ रहा था. चयनकर्ताओं का इतना दख़ल था कि कई बार जो खिलाड़ी काबिल नहीं है, उन्हें आगे बढ़ाया जा रहा था."
"आख़िरी दिनों में उन लोगों ने विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी के लिए बिना मुझे बताए टीम चुन ली. उन्होंने कप्तान बदल दिया, 11 खिलाड़ी बदल दिए गए, अगर चीज़ें ऐसे चलेंगी, तो कोई कैसे काम करेगा? मैं ये नहीं कह रहा कि मुझे टीम का चयन करना है, लेकिन अगर आप मेरी सलाह नहीं लेंगे, तो मेरे वहाँ होने का क्या मतलब है."
अपने ऊपर लगे सांप्रदायिकता फैलाने के आरोपों पर उन्होंने कहा, "ये बहुत दुखद है कि मुझे यहाँ बैठकर सांप्रदायिक एंगल के बारे में बात करनी पड़ रही है. एक व्यक्ति जो 15-20 सालों से क्रिकेट खेल रहा है, उसे ये सब सुनना पड़ रहा है, ये बेबुनियाद आरोप हैं. ये दूसरे मुद्दों को छिपाने की कोशिश हैं. मैंने इज्ज़त के साथ क्रिकेट खेली है. मैंने इस्तीफ़ा दिया क्योंकि मैं खुश नहीं था, अगर मैं सांप्रदायिक था, तो मुझे बर्ख़ास्त किया जाता, अब जब मैंने इस्तीफ़ा दे दिया है, तो ये मुद्दे उठाए जा रहे हैं."
लेकिन भारतीय क्रिकेट के इतिहास में ये पहला मौक़ा नहीं है जब कोच और क्रिकेट प्रशासकों के बीच विवाद खड़ा हुआ हो. लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या इससे पहले कभी किसी कोच को इस तरह के आरोपों का सामना करना पड़ा है?
लोकपल्ली मानते हैं कि ऐसा कभी नहीं हुआ है कि कोच पर इस तरह के आरोप लगाए गए हैं.
वे कहते हैं, "ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि कोच और क्रिकेट प्रशासकों के बीच टकराव हुआ हो. क्योंकि क्रिकेट प्रशासक हमेशा चाहते हैं कि उनके किसी चहेते व्यक्ति को खिला दिया जाए. ये हम हमेशा सुनते हैं और होता आया है. ग्रेग चैपल जैसे कोच की बीसीसीआई से भिड़ंत हो गई थी. टीम के खिलाड़ियों ने उनके ख़िलाफ़ विद्रोह कर दिया था. इसके बाद उनको निकाला गया था."
लेकिन अब जो कुछ सामने आ रहा है कि किसी अख़बार का फोन आ गया और ये सब हो गया. अरे भाई, सचिव तब क्या कर रहे थे जब ये सब कुछ हो रहा था. अब जब उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया है तब आप इस तरह की बातें कर रहे हैं. सबसे पहले तो प्रशासक को हटाया जाना चाहिए क्योंकि वह अपने काम में चूक गए."
With you Wasim. Did the right thing. Unfortunately it’s the players who’ll miss your mentor ship.
— Anil Kumble (@anilkumble1074) February 11, 2021
I would request the Chief Minister of Uttarakhand (BJP) Mr.Trivendra Singh Rawat 2 intervene immediately nd take note of the issue in which our National hero Wasim bhai was branded as communal in the Cricket Association nd take necessary action.Time 2 Set an example #WasimJaffer pic.twitter.com/ZPcusxuo7v
— MANOJ TIWARY (@tiwarymanoj) February 11, 2021
अनिल कुंबले से लेकर मनोज तिवारी जैसे कई क्रिकेट खिलाड़ियों ने वसीम जाफ़र के पक्ष में ट्वीट किए हैं. इरफान पठान ने जाफ़र के समर्थन में ट्वीट करते हुए कहा है, "ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि तुम्हें इसकी सफ़ाई देनी पड़ी."
लेकिन ये ट्वीट करने के बाद से पठान को जाफ़र की तरह ट्रोल किया जाना जारी है.
“He asked us to open up not just with our batting but also as people. It made us more confident,” is how Sanjay Ramaswamy & Ganesh Satish had described @WasimJaffer14 the mentor during his time at Vidarbha. The onus is now on Indian cricket to open up & stand by #WasimJaffer
— Bharat Sundaresan (@beastieboy07) February 11, 2021