मंत्रालय में कमरा नंबर 602 के पीछे का रहस्य क्या है, जिसका नाम लेने से भी कतरा रहे हैं अजित पवार? जानिए
नई दिल्ली- महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब उद्धव ठाकरे मंत्रियों के बीच विभागों के बंटावारे में दिमाग खपा रहे हैं। उद्धव कैबिनेट में एनसीपी नेता अजित पवार डिप्टी सीएम होने के नाते घोषित तौर पर मंत्रालय के पावर सेंटर में नंबर- 2 की पोजिशन पा चुके हैं। लेकिन, फिर भी वह मुख्यमंत्री के बाद सत्ता केंद्र माने जाने वाले उनके ठीक सामने मौजूद दफ्तर में बैठने के लिए हरगिज तैयार नहीं हैं। दरअसल, पवार के इस फैसले के पीछे एक गहरा रहस्य छिपा हुआ है, जिसके बारे में बातें तो सब कर रहे हैं, लेकिन मंत्रालय का कोई भी शख्स इसे खुलकर स्वीकार करने को तैयार नहीं है। आइए जानते हैं कि आखिर उस कमरे के साथ ऐसा क्या है, जो कभी महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री दफ्तर के बाद सबसे बड़ा सत्ता केंद्र माना जाता था और खुद अजित पवार भी उसमें बैठकर सरकार चला चुके हैं, अब उसका नाम लेने के लिए भी तैयार नहीं हैं?
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कमरा नंबर-602 में नहीं बैठना चाहते अजित पवार
उपमुख्यमंत्री होने के नाते अजित पवार को मुंबई स्थित मंत्रालय में छठी मंजिल पर मुख्यमंत्री के ठीक सामने वाला दफ्तर कमरा नंबर-602 आवंटित किया जा रहा है। लेकिन, सूत्रों के मुताबिक पवार इस कमरे में कदम रखने से भी साफ इनकार कर चुके हैं। जानकारी के मुताबिक इस कमरे को लेकर उपमुख्यमंत्री की अपनी कुछ आशंकाएं हैं, जो वह उचित जगह पर जाहिर कर चुके हैं। जानकारी के मुताबिक इसकी जगह अजित पपवार इसी मंजिल पर उससे काफी छोटा कमरा लेने को भी तैयार हो चुके हैं। चर्चा है कि वह अपने लिए तय किए गए बड़े कमरे की जगह उसी फ्लोर पर मुख्य सचिव के लिए बने उससे काफी कम जगह वाले छाटे से केबिन से भी काम करने के लिए तैयार हैं।
कैसा है कमरा नंबर-602?
कमरा नंबर-602 की हैसियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के कमरे के ठीक सामने है। 3,000 वर्ग फीट में फैले इस कमरे में एक बड़ा कॉन्फ्रेंस रूम और मंत्री जी के लिए एक बड़ा सा केबिन मौजूद है। मंत्रालय की छठी मंजिल पर मौजूद सीएम के कमरे और 602 नंबर कमरे को ही अभी तक प्रदेश का पावर सेंटर माना जाता रहा है। उद्धव सत्ता की बागडोर संभालने के बाद से अपने ही कमरे से सरकार चला रहे हैं और महा विकास अघाड़ी सरकार की ओर से बड़े-बड़े फैसले ले रहे हैं। इसलिए ऐसा माना जा रहा था कि अगर मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री आसपास ही बैठकर शासन चलाएंगे तो सरकार का काम करने में ज्यादा आसानी रहेगी। लेकिन, उस कमरे के प्रति अजित पवार की अनिच्छा से ऐसा होना मुश्किल लग रहा है।
क्या कमरा नंबर-602 मनहूस है?
अजित पवार उसी कमरे से पहले काम कर चुके हैं। लेकिन, पिछले कुछ वर्षों में उस कमरे से कुछ वाक्या ऐसा जुड़ गया है, शायद उसके चलते अजित पवार को उसमें कदम रखने में भी डर लगने लगा है। इसके पीछे की वजह ये है कि 2014 में यह कमरा वरिष्ठ भाजपा नेता एकनाथ खडसे को आवंटित किया गया था। उन्हें भारी-भरकम कृषि, राजस्व और अल्पसंख्यक मंत्रालयों की जिम्मेदारी मिली थी। खास बात ये है कि पार्टी और सरकार में उनके बड़े ओहदे को देखते हुए ही यह कमरा उन्हें आवंटित किया गया था। लेकिन, वह 2 साल तक ही इस कमरे में टिक पाए और जमीन हड़पने के एक मामले में फंसने के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ गया। बाद में वही कमरा भाजपा नेता पांडुरंग फुंडकर को दिया गया और वे भी कृषि मंत्री बनाए गए थे। लेकिन, 2018 में उनकी अचानक हार्ट अटैक से मौत हो गई। इसी साल देवेंद्र फडणवीस सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान अनिल बोंडे को वही कमरा दिया गया था और उन्हें भी कृषि मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में वह अपनी सीट भी नहीं बचा सके।
मंत्रालय ने कहा-सब अफवाह है
खुद अजित पवार कह रहे हैं कि सरकार में अच्छी तालमेल के लिए उनका दफ्तर मुख्यमंत्री के दफ्तर के पास रहना ज्यादा अच्छा है। लेकिन, वह कमरा नंबर-602 में जाने से बच रहे हैं और अपनी परेशानियां खुलकर बयां करने से बचना चाहते हैं। वहीं मंत्रालय प्रशासन कमरा नंबर 602 के साथ जुड़ी मनहूसियत की खबरों को महज अफवाह बता रहा है। बहरहाल, अब मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद विभागों के बंटवारे का काम चल रहा है और जल्द ही तय हो जाएगा कि कौन सा कमरा किस मंत्री को मिलेगा। लेकिन, इतना तय लग रहा है कि अगर उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने एक बार उस कमरे को नकार दिया है तो उन्हें किसी दूसरे कमरे देने के अलावा कोई उपाय नहीं है।
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