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एनसीपी-कांग्रेस में उप-मुख्यमंत्री पद को लेकर टकराव की वजह क्या?

महाराष्ट्र में बीते कई हफ़्तों से ज़ारी राजनीतिक उठापटक के बाद आख़िरकार एनसीपी-कांग्रेस और शिवसेना के गठबंधन ने शनिवार को विधानसभा में अपना बहुमत सिद्ध कर दिया है. उद्धव ठाकरे इस गठबंधन के नेता के तौर पर महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले चुके हैं. लेकिन इसके बाद भी इन तीनों दलों के बीच तनातनी की ख़बरें आ रही हैं.

By अनंत प्रकाश
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शिवसेना
EPA
शिवसेना

महाराष्ट्र में बीते कई हफ़्तों से ज़ारी राजनीतिक उठापटक के बाद आख़िरकार एनसीपी-कांग्रेस और शिवसेना के गठबंधन ने शनिवार को विधानसभा में अपना बहुमत सिद्ध कर दिया है.

उद्धव ठाकरे इस गठबंधन के नेता के तौर पर महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले चुके हैं.

लेकिन इसके बाद भी इन तीनों दलों के बीच तनातनी की ख़बरें आ रही हैं.

इसका सबसे ताज़ा उदाहरण महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री पद को लेकर कांग्रेस और एनसीपी के बीच जारी तकरार है.

क्या सरकार पर संकट लाएगी ये मांग?

कांग्रेस और एनसीपी इस मुद्दे पर एक-दूसरे के सामने खड़े दिखाई दे रहे हैं.

कांग्रेस महाराष्ट्र की नई सरकार में अपने किसी नेता को उप-मुख्यमंत्री बनाने पर अड़ी हुई है.

वहीं, एनसीपी इसके लिए तैयार नज़र नहीं आ रही है.

अजित पवार
Getty Images
अजित पवार

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इन दोनों दलों के बीच ये तकरार ठाकरे सरकार के लिए कोई संकट पैदा करेगी?

महाराष्ट्र की राजनीति को करीब से समझने वालीं वरिष्ठ पत्रकार सुजाता आनंदन इससे सहमत नज़र नहीं आती हैं.

आनंदन कहती हैं, "हाल ही में मेरी कांग्रेस के कुछ नेताओं के साथ बातचीत हुई. इस बातचीत में उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र में कांग्रेस को दोबारा से मजबूत स्थिति में लाने के लिए उन्हें कम से कम तीन साल सरकार में रहने की ज़रूरत है. ऐसे में मुझे नहीं लगता कि इन मुद्दों की वजह से महाराष्ट्र की नवगठित सरकार पर किसी तरह का ख़तरा आएगा."

"कांग्रेस को भी डिप्टी सीएम का पद चाहिए और एनसीपी को भी. पहले भी यही तय हुआ था कि दो डिप्टी सीएम होंगे और एक सीएम होगा. ऐसे में मुझे इसमें कोई टकराव की वजह नहीं दिखती है. आंध्र प्रदेश में भी पांच-पांच डिप्टी सीएम हैं. ऐसे में इसे लेकर टकराव नहीं होना चाहिए."

शरद पवार
Getty Images
शरद पवार

इंडियन एक्सप्रेस में छपी ख़बर के मुताबिक़, एनसीपी नेता अजित पवार ने भी हाल ही में कहा है कि 27 नवंबर को तय हुए फॉर्मूले के लिहाज़ से ही आगे कोई बात होगी.

उन्होंने कहा था, "इस मामले में ये तय किया गया है कि कांग्रेस को स्पीकर का पद मिलेगा और एनसीपी को उप-मुख्यमंत्री का पद मिलेगा."

कांग्रेस के नाना पटोले को निर्विरोध स्पीकर चुन भी लिया गया है.

फिर टकराव की वजह क्या है?

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि उप-मुख्यमंत्री पद को लेकर तीनों दलों के बीच आपसी सहमति बनने के बाद विभागों के बंटवारे को लेकर तनातनी का दौर सामने आने की आशंका है.

वरिष्ठ पत्रकार सुजाता आनंदन इससे सहमत नज़र आती हैं.

आनंदन बताती हैं, "उप-मुख्यमंत्री पद को लेकर जो तनातनी चल रही है, ये दरअसल आने वाले दिनों की तैयारी है. अगले कुछ समय में तीनों पार्टियों के बीच महाराष्ट्र सरकार के अलग-अलग विभागों का बंटवारा होना है."

"इन विभागों में शहरी विकास मंत्रालय, ग्राम विकास मंत्रालय और सहकारी विभाग को लेकर तनातनी देखने को मिलेगी. इसमें से शहरी विकास मंत्रालय पर तो कोई समस्या नहीं होगी क्योंकि शिव सेना इसे अपने अधिकार में लेना चाहेगी. क्योंकि वह मूलत: शहरों की पार्टी है."

"लेकिन ग्राम विकास मंत्रालय, सहकारी विभाग और गृह मंत्रालय को लेकर एनसीपी के बीच टकराव हो सकता है. क्योंकि ग्राम विकास मंत्रालय कांग्रेस और एनसीपी दोनों के लिए अहम है. अगर कांग्रेस को आने वाले समय में महाराष्ट्र के गांवों तक अपनी पैठ बनानी है तो इसके लिए उसे ये मंत्रालय हासिल करना होगा. यही बात एनसीपी के साथ भी लागू होती है."

"दोनों पार्टियों का वोटर बेस भी गांवों में ही है. और दोनों की विचारधारा भी लगभग एक जैसी ही है.

"गृह विभाग के साथ भी यही बात लागू होती है. जिस भी पार्टी को ये मंत्रालय मिलेगा, महाराष्ट्र में उसी पार्टी का रुतबा रहेगा. क्योंकि पुलिस से लेकर तमाम विभागों में अधिकारियों की उठा-पटक इसी विभाग के ज़रिए होती है. ऐसे में मुझे लगता है कि इस समय मीडिया से लेकर राजनीतिक हल्कों में उप मुख्यमंत्री पद को लेकर जो तनातनी की ख़बरें उछाली जा रही हैं, वे इन विभागों के बंटवारे से पहले शक्ति-परीक्षण जैसा है."

बीबीसी मराठी सेवा के संपादक आशीष दीक्षित का भी मानना है कांग्रेस और एनसीपी के बीच उप मुख्यमंत्री पद के लिए तो विवाद अब नहीं होगा क्योंकि स्पीकर पद कांग्रेस को दिया जा चुका है. लेकिन, विभागों को लेकर टकराव हो सकता है.

वह कहते हैं, ''विभाग दोनों दलों के बीच टकराव का एक कारण बन सकते हैं क्योंकि कांग्रेस के पास भी कई बड़े नेता हैं जो पहले महत्वपूर्ण पोर्टफोलियों पर रह चुके हैं. यहां तक कि मुख्यमंत्री भी रहे हैं. हमारी भी जिन कांग्रेस नेताओं से बात हो रही है वो पोर्टफोलियो को लेकर नाराज़गी ज़ाहिर कर रहे हैं. अगर शुरू से ही कांग्रेस नाराज़ रही तो आगे चलकर मुश्किलें हो सकती हैं. जिस दिन अजित पवार देवेंद्र फडणनवीस के साथ चले गए थे उसके बाद जो प्रेस कांफ्रेंस हुई थी उसमें शिवसेना और एनसीपी थे, कांग्रेस नहीं थी. जब कॉमन मिनिमम प्रोग्राम की घोषणा करनी थी तो उस दिन भी कांग्रेस के नेता बहुत देर से आए. कांग्रेस इस गठबंधन में शिवसेना और एनसीपी की जितनी सम्मिलित होती नहीं दिख रही है.''

सोनिया गांधी और शरद पवार
Getty Images
सोनिया गांधी और शरद पवार

क्या अजित पवार बनेंगे उप-मुख्यमंत्री

महाराष्ट्र की राजनीति में रातोंरात अपने एक कदम से नाटकीय बदलाव लाने वाले अजित पवार एक बार फिर उप-मुख्यमंत्री पद के लिए रेस में हैं.

उन्होंने अपने बयानों में साफ़ किया है कि वे एनसीपी के साथ थे और रहेंगे.

लेकिन क्या एनसीपी चीफ़ शरद पवार उनके बागी तेवर देखने के बाद भी उन्हें उप-मुख्यमंत्री के पद पर बिठाएंगे?

सुजाता आनंदन मानती हैं कि अजित पवार को किसी भी बड़े पद के लिए अभी थोड़ा इंतज़ार करना होगा.

वे कहती हैं, "शरद पवार एक बहुत ही अनुभवी नेता हैं. अगर उन्होंने अजित पवार के बागी तेवर सामने आने के तुरंत बाद उप-मुख्यमंत्री की कुर्सी थमा दी तो ये माना जाएगा कि ये पूरा खेल शरद पवार का ही रचा हुआ था. और इसके साथ ही महाराष्ट्र की जनता में भी इसे भाई-भतीजावाद की राजनीति के संकेत के रूप में देखा जाएगा. ऐसे में अजित पवार को कोई बड़ी ज़िम्मेदार देने में वे थोड़ा वक़्त ले सकते हैं."

अगर अजित पवार को उप-मुख्यमंत्री पद नहीं मिलता है तो एनसीपी की तरफ़ से किस नेता को ये ज़िम्मेदारी दी जाएगी.

अजित पवार के बागी तेवर सामने आने और विधायकों के शपथ ग्रहण में सुप्रिया सुले की भूमिका देखने के बाद राजनीतिक हल्कों में सुप्रिया सुले को शरद पवार की राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है.

उन्हें उप-मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर भी चर्चा गरम है.

सुप्रिया सुले
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सुप्रिया सुले

लेकिन सुजाता आनंदन सुप्रिया सुले के उप-मुख्यमंत्री बनने की बात को पूरी तरह निराधार बताती हैं.

वे कहती हैं, "जो लोग इस तरह की ख़बरें मीडिया में उछालते हैं, वे महाराष्ट्र की राजनीति से पूरी तरह वाकिफ़ नहीं हैं. शरद पवार कई बार कह चुके हैं कि सुप्रिया सुले केंद्र की राजनीति में रहेंगी और अजित पवार महाराष्ट्र की राजनीति में रहेंगे. वे हाल ही में एक बार फिर ये स्थिति साफ़ कर चुके हैं."

ऐसे में सवाल उठता है कि अगर अजित पवार और सुप्रिया सुले को उप-मुख्यमंत्री पद नहीं मिलेगा तो एनसीपी के किस नेता को ये ज़िम्मेदारी दी जाएगी.

इस सवाल के जवाब में आनंदन जयंत पाटिल का नाम सुझाती हैं.

वे कहती हैं, "जयंत पाटिल एक वरिष्ठ नेता हैं. और इस समय एनसीपी में उन्हें एक ख़ास ज़िम्मेदारी भी दी गई है. वर्तमान राजनीतिक घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुए जयंत पाटिल को उप-मुख्यमंत्री पद मिलने की संभावना ज़्यादा नज़र आती है."

आशीष दीक्षित भी कहते हैं, ''दो नाम हैं एक जयंत पाटिल और दूसरा अजित पवार. वो इस पद के बड़े दावेदार माने जा रहे हैं. अगर उन्हें नहीं ये पद नहीं दिया गया तो वो नाराज़ भी हो सकते हैं. इसलिए अब शरद पवार को ये फ़ैसला करना है कि क्या जयंत पाटिल को पद देना है जो इतने सालों के पार्टी के प्रति वफ़ादार रहे हैं, गृह मंत्री और वित्त मंत्री भी रह चुके हैं या अजित पवार को जो बीजेपी से जुड़ने के बाद वापस आए हैं. ''

महाराष्ट्र की गठबंधन राजनीति में इससे पहले भी ऐसे कई मौके देखे जा चुके हैं जब अहम विभागों को लेकर घटक दलों ने कई-कई दिनों तक एक-दूसरे के साथ रस्साकशी की है.

ऐसे में ये तो वक़्त ही बताएगा कि इस सरकार में विभागों के बंटवारे के समय कौन-सा घटक दल किस पर भारी पड़ता है.

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English summary
What is the reason for the NCP-Congress clash over the post of Deputy Chief Minister?
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