मोदी-ट्रंप की नई 'दुश्मनी' की वजह क्या है?
भारत और अमरीका बीते कई साल में कई बार दोस्ती की कसमें खाते रहे हैं.
दोनों एक-दूसरे को स्वाभाविक साझेदार बताते रहे हैं. दुनिया के सबसे बड़े और सबसे पुराने लोकतंत्र के बीच मज़बूत रिश्तों को नए दौर की ज़रूरत बताया गया है.
लेकिन पैसा ऐसी चीज़ है, जो अच्छी-ख़ासी दोस्ती में भी दरार डालने का दम रखता है. और इन दिनों भारत-अमरीका को ये बात समझ आ रही होगी.
भारत और अमरीका बीते कई साल में कई बार दोस्ती की कसमें खाते रहे हैं.
दोनों एक-दूसरे को स्वाभाविक साझेदार बताते रहे हैं. दुनिया के सबसे बड़े और सबसे पुराने लोकतंत्र के बीच मज़बूत रिश्तों को नए दौर की ज़रूरत बताया गया है.
लेकिन पैसा ऐसी चीज़ है, जो अच्छी-ख़ासी दोस्ती में भी दरार डालने का दम रखता है. और इन दिनों भारत-अमरीका को ये बात समझ आ रही होगी.
भारत ने अमरीका से आने वाले 29 सामानों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी है. इनमें दालें, लोहा और स्टील उत्पाद शामिल हैं. लेकिन ये क़दम क्यों उठाया गया?
मोदी का पलटवार क्यों?
मोदी सरकार ने जवाबी कार्यवाही में ऐसा किया है. दरअसल, अमरीका ने एकतरफ़ा फैसले में कुछ स्टील और एल्यूमीनियम उत्पादों पर टैरिफ़ बढ़ा दिया है.
भारत ये दोनों उत्पाद अमरीका को निर्यात करता है, इसकी वजह से उस पर 24 करोड़ डॉलर का दबाव पड़ेगा.
मोदी और ट्रंप की तुलना पर बोलीं अरुंधति रॉय
दावोस में क्यों जुटते हैं अरबपति और मोदी, ट्रंप जैसे नेता
कारोबार के मोर्चे पर इन दिनों अलग क़िस्म की जंग जारी है. अमरीका इन दिनों संरक्षणवादी नीतियां अपना रहा है और इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ा रहा है, ऐसे में ट्रेड वॉर छिड़ती दिख रही है.
दूसरी तरफ़ यूरोपीय संघ भी अमरीका से आने वाले कई उत्पादों पर इम्पोर्ट ड्यूटी लगाने का फ़ैसला कर चुका है और चीन भी कुछ ऐसा करने के बारे में सोच रहा है.
ईयू-चीन के साथ भारत?
भारत दुनिया में अमरीकी बादाम का सबसे ज़्यादा आयात करता है. ऐसे में बादाम पर 20 फ़ीसदी और अख़रोट पर 120 फ़ीसदी की इम्पोर्ट ड्यूटी लगाकर वो भी अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के स्टील-एल्यूमीनियम पर टैरिफ़ बढ़ाने के फ़ैसले पर यूरोपीय संघ और चीन की तरह पलटवार करना चाहता है.
भारत ने पिछले महीने अमरीका से टैरिफ़ के मोर्चे पर राहत देने को कहा था. दलील थी कि उसका स्टील और एल्यूमीनियम एक्सपोर्ट काफ़ी कम है.
चीनी राष्ट्रपति को दिखाने के लिए गले लगे मोदी-ट्रंप?
मोदी और ट्रंप की पहली मुलाक़ात में क्या होगा?
लेकिन भारत का आग्रह अमरीका ने नज़रअंदाज़ कर दिया, जिसके बाद उसके वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइज़ेशन में जाने का फ़ैसला किया.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक जब से डोनल्ड ट्रंप ने कार्यभार संभाला है, भारत और अमरीका के बीच कारोबार को लेकर तल्ख़ी बढ़ती जा रही है.
दोनों के बीच कारोबार कहां?
साल 2016 में दोनों के बीच दोतरफ़ा कारोबार 115 अरब डॉलर पहुंच गया था लेकिन ट्रंप सरकार भारत से साथ अपना 31 अरब डॉलर का घाटा कम करना चाहती है.
इस साल की शुरुआत में ट्रंप ने भारत से हार्ले-डेविडसन मोटरबाइक पर लगने वाली ड्यूटी हटाने को कहा था. उनके आग्रह के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महंगी मोटरसाइकिल पर लगने वाली इम्पोर्ट ड्यूटी 75 फ़ीसदी से घटाकर 50 फ़ीसदी कर दी थी.
लेकिन इससे भी ट्रंप सरकार संतुष्ट नहीं हुई. उनका कहना था कि अमरीका में बिकने वाली भारतीय बाइक पर कोई ड्यूटी नहीं लगता और भारत को भी ऐसा ही करना चाहिए.
दरअसल, ट्रंप इन दिनों काफ़ी आक्रामक है. और इसकी वजह है कि अमरीका की अर्थव्यवस्था इन दिनों मज़बूत नज़र आ रही है.
ट्रंप की नीति क्या?
'अमरीका पहले' के वादे पर अमल की कोशिश में ट्रंप ने कारोबार को लेकर सख़्त रवैया अपनाया है. उन्होंने स्टील पर 25 और एल्यूमीनियम पर 10 फ़ीसदी टैरिफ़ बढ़ा दिया है.
हालांकि, भारत का अमरीका को स्टील-एल्यूमीनियम निर्यात कनाडा, मेक्सिको या चीन जैसी ज़्यादा नहीं है लेकिन ये टैरिफ़ भारत पर भी लागू होते हैं.
जवाब में भारत ने जो 29 सामान पर ड्यूटी लगाई या बढ़ाई है, उससे अमरीका पर लगभग 23.5 करोड़ डॉलर का बोझ पड़ेगा. ये 4 अगस्त से लागू होगा. भारत ने अमरीका को विवादों के निपटारे को लेकर डब्ल्यूटीओ में भी लपेटा है.
लेकिन ये पहली बार नहीं है. ट्रंप के आने के बाद से कारोबार को लेकर भारत और अमरीका के बीच ठन चुकी है. और उनसे पहले भी ऐसा हो चुका है.
भारत-अमरीकी की कारोबारी दुश्मनी?
बराक ओबामा के दौर में अमरीका पोल्ट्री आयात पर पाबंदी और घरेलू सोलर पैनल मैन्युफ़ैक्चरर के लिए सब्सिडी प्रोग्राम की वजह से भारत को डब्ल्यूटीओ खींच ले गया था. और भारत कारोबार में अवरोध पैदा करने के आरोप में अमरीका को इसी पंचायत में खींच ले गया.
भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक भारत और अमरीका के बीच दोतरफ़ा कारोबार साल 2014 में 104 अरब डॉलर पर था जो 2016 में बढ़कर 114 अरब डॉलर पहुंच गया. दोतरफ़ा मर्चेंडाइज़ ट्रेड 66.7 अरब डॉलर पर था.
अमरीका को भारत का निर्यात 46 अरब डॉलर पर खड़ा था जबकि उससे आयात 21.7 अरब डॉलर रहा था.
सितंबर, 2014 में भारतीय प्रधानमंत्री के अमरीकी दौरे में दोनों पक्षों ने उत्पाद-सेवाओं का दोतरफ़ा कारोबार 500 अरब डॉलर ले जाने का लक्ष्य बनाया था.