EU के सांसदों को कश्मीर घुमाने वाली मादी शर्मा का असली नाम क्या है? जानिए उनका बैकग्राउंड
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नई दिल्ली- यूरोपियन यूनियन के सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को भारत लाने, उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से करवाने से लेकर उन सबको जम्मू-कश्मीर की यात्रा करवाने को लेकर इन दिनों मादी शर्मा का नाम भारत में ही नहीं दुनिया भर में खूब सुर्खियां बटोर रहा है। विदेशी प्रतिनिधिमंडल के कश्मीर दौरे को जहां मोदी सरकार की कूटनीतिक कामयाबी बताया जा रहा है, वहीं विपक्ष इसको लेकर सरकार पर हमलावर भी है और उसमें भी खासकर मादी शर्मा की भूमिका को लेकर कई तरह के सवाल उठा रहा है। विपक्ष यहां तक पूछ रहा है कि मादी शर्मा ने आखिर किस हैसियत से इस यात्रा को अंजाम दिया और उसने किस तरह से पीएम मोदी से उन सांसदों की मीटिंग फिक्स करवाई। इस सभी राजनीतिक सवालों से इतर आज हम आपको बता रहे हैं मादी शर्मा के बारे में कि वो आखिरकार अचानक भारत में इतनी हाई प्रोफाइल यात्रा को संपन्न करवाने में सफल कैसे हो गईं और उनका इस संबंध में अबतक का कूटनीतिक बैकग्राउंड क्या रहा है?
क्यों सुर्खियों में आया है नाम?
बताया जा रहा है कि यूरोपियन यूनियन के 27 सांसदों को भारत लाने से लेकर प्रधानमंत्री मोदी से उनकी मुलाकात और उनके जम्मू-कश्मीर के पूरे दोरे तक में मादी शर्मा और उनके एनजीओ वुमेंस इकोनॉमिक और सोशल थिंक टैंक (WESTT) का सबसे अहम रोल रहा है। कहा जा रहा है कि यूरोपियन यूनियन के 30 सांसदों को भारत आने, उन्हें प्रधानमंत्री मोदी से मिलवाने और जम्मू-कश्मीर की यात्रा कराने के लिए उनकी संस्था की ओर से पिछले 7 अक्टूबर को ही ईमेल के जरिए निमंत्रण पत्र भेजा गया था। उस निमंत्रण पत्र का मजमून कुछ इस तरह से है- 'मैं भारत के प्रधानमंत्री महामहिम नरेंद्र मोदी के साथ एक प्रतिष्ठित मीटिंग का आयोजन कर रही हूं और यह मेरा सौभाग्य कि मैं आपको निमंत्रण भेज रही हूं....जैसा कि आपको पता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत में हुए हाल के चुनावों में भारी जीत हासिल की है और वे भारत और उसकी जनता के लिए तरक्की और विकास के मार्ग पर आगे बढ़ते रहने की योजना बना रहे हैं। इस संबंध में वे यूरोपियन यूनियन के प्रभावशाली निर्णयकर्ताओं से मिलना चाहते हैं।'
कौन हैं मादी शर्मा ?
बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में रहने वाली मादी शर्मा भारतीय मूल की ब्रिटिश नागरिक हैं। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर खुद का पेशा सोशल कैपिटलिस्ट, इंटरनेशनल बिजनेस ब्रोकर, एजुकेशनल आंत्रप्रेन्योर और स्पीकर बताया है। आज दुनिया भर के कूटनीतिक जगत में उनकी पहचान मादी शर्मा के रूप में है, लेकिन उनका असली नाम मधु शर्मा बताया जाता है।
मादी शर्मा करती क्या हैं?
मादी शर्मा की वेबसाइट के मुताबिक वो ही मादी ग्रुप की संस्थापक और मोटिवेटर हैं, जो कि नॉन-प्रॉफिट कंपनियों वाली अंतरराष्ट्रीय निजी क्षेत्र और सामाजिक उद्यमों का एक नेटवर्क है। इस ग्रुप के बारे में बताया जाता है कि इसका नेटवर्क यूरोपीय देशों के नेताओं का भारत और आसपास के देशों में यात्राओं का आयोजन कराता रहा है। इस ग्रुप ने पिछले साल यूरोपियन यूनियन के एक ऐसे ही प्रतिनिधिमंडल का मालदीव दौरा भी आयोजित करवाया था, जब वहां अब्दुल्ला यामीन की ही सरकार थी। इससे पहले भी इसकी ओर से भारत में और यात्राएं आयोजित करवाने की भी बातें कही जा रही हैं।
मादी शर्मा का कश्मीर कनेक्शन क्या है ?
मादी शर्मा का नाम कश्मीर को लेकर तब सबसे पहले चर्चा में आया जब आर्टिकल-370 पर उनका एक लेख प्रकाशित हुआ था। इस लेख की शीर्षक था- 'व्हाई डिमॉलिशिंग आर्टिकल 370 इस बोथ अ विक्टरी और अ चैलेंज फॉर कश्मीरी वुमेन'। यह लेख ईपी टुडे में प्रकाशित हुआ था, जो कि यूरोपीय संसद से जुड़ा प्रकाशन है। इसके बाद वो तब चर्चा में आईं हैं जब उनके बुलावे पर यूरोपियन यूनियन के 27 सांसदों का निजी प्रतिधिमंडल ने जम्मू-कश्मीर की यात्रा की है।
किस-किस क्षेत्र में काम करती हैं उनकी कंपनियां?
मादी शर्मा की वेबसाइट के मुताबिक उनकी संस्था महिलाओं के विकास के लिए काम करने के साथ ही राजनीतिक मुद्दों पर जागरुकता अभियान चलाने का काम भी करता है। मादी ग्रुप की वेबसाइट के मुताबिक उनकी कंपनियां कई बिजनेस में हैं, जिसमें आयात-निर्यात, पर्यटन, बिजनेस ब्रोकरेज, कंसल्टेंसी और बैंक ऑफिस रिसोर्स सॉल्यूशन जैसे व्यवसाय भी शामिल हैं। उनके एनजीओ में 14 देशों के सदस्य मौजूद हैं।