'यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट के खाना बनाने में प्रॉब्लम क्या है'
जेएनयू के एडमिन ब्लॉक में 'बिरयानी' बनाने पर छात्रों पर जुर्माना.
दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में एडमिनिस्ट्रेशन ब्लॉक के सामने बिरयानी बनाने पर कुछ विद्यार्थियों पर 6 से 10 हज़ार रुपये तक का जुर्माना लगाया गया है.
प्रशासन का कहना है कि कुछ विद्यार्थियों ने जेएनयू के एडमिन ब्लॉक में खाना बनाया और खाया. प्रॉक्टर कौशल कुमार ने इस बारे में चार छात्रों को नोटिस जारी किया है.
इन छात्रों में सतरूपा चक्रवर्ती, मनीष कुमार, मो. आमिर मलिक और चेपल शेरपा का नाम शामिल है.
सतरूपा पर दस हज़ार और बाक़ियों पर 6-6 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. आदेश में जुर्माना भरने के लिए केवल 10 दिनों का समय दिया गया है.
जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व जनरल सेक्रेटरी सतरूपा ने बीबीसी को बताया, ''हम शांति से वाइस चांसलर से मिलना चाहते थे, लेकिन वो नहीं मिल रहे थे. उन्होंने मुझ पर वीसी के खिलाफ़ नारे लगाने और बिरयानी बनाने का जुर्माना लगाया है.''
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सतरूपा कहा, ''प्रशासन ने हमारे साथ बहुत ही ख़राब व्यवहार किया. हम मिलना चाहते थे, लेकिन प्रशासन ने वहां पानी बंद करवा दिया और बिजली भी काट दी. फिर भी हम वीसी का इंतज़ार कर रहे थे. रात ज़्यादा हो गई थी."
सतरूपा के मुताबिक, "काफ़ी देर बाद रात के 9.40 बजे वाइस चांसलर से मिलने के लिए कहा गया. इतनी रात को हॉस्टल के मेस बंद हो जाते हैं. हम बात करने गए थे और वहां देरी होने के कारण अन्य साथियों ने खाने के लिए बिरयानी बना ली थी."
वो कहती हैं, "क्या प्रॉक्टर ऑफिस का काम अब हमारे खाने-पीने का ध्यान रखना भी शुरू हो गया है? मैं इसकी निंदा करती हूं."
उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार तो हुआ नहीं है, इससे पहले भी कई बार ऐसे खाना बनाया गया है. सतरूपा ने कहा, ''बीफ़ बिरयानी कुछ नहीं केवल एक राजनीतिक हथियार है और जेएनयू को गुजरात के इलेक्शन के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है."
स्टूडेंट एक्टिविस्ट मो. आमिर ने बीबीसी से कहा, "क्योंकि मेरा नाम आमिर है इसलिए बिरयानी को बीफ़ से जोड़ना आसान है. हम एक नॉर्मल बिरयानी बना रहे थे. नॉर्मल से मेरा मतलब है उसमें ऐसा कुछ 'ख़ास' नहीं मिलाया गया था."
आमिर बताते है कि इस तरह से खाना बनाना (कम्युनिटी किचन) जेएनयू का एक कल्चर रहा है. उन्होंने कहा कि जेएनयू के रिप्रेजेंटेटिव और जो लोग अंदर बात करने गए थे, उन्हें अंदर बंद कर दिया गया था. बिल्डिंग की लाइट बंद कर दी गई, वे गर्मी में वीसी का इंतजार कर रहे थे.
"विद्यार्थियों की कुछ मांगें थीं जिसे हम वीसी के सामने रखना चाहते थे. लेकिन वो मिलने के लिए तैयार नहीं थे. काफी रात हो गई थी इसलिए खाना बनाया गया. यह सब हमें फंसाने के लिए किया जा रहा है. साथ ही गुजरात में वोटिंग को ध्यान में रखकर किया जा रहा है."
मनीष कहते हैं कि ''हमने कुछ सोचा नहीं था कि क्या बनाना है. रात ज्यादा हो गई थी. सबको भूख लगी थी इसलिए जिसके पास जो था, वो ले आया और खिचड़ी जैसा बना दिया लेकिन बाद में वह बिरयानी बन गई.''
चेपल शेरपा बताते हैं कि यह जेएनयू के इतिहास में रहा है कि विद्यार्थी मिलकर खाना या चाय बनाते हैं. हम तो वहां अपनी मांग लेकर गए थे. पर वीसी कई महीनों से नहीं मिल रहे थे.
वो पूछते हैं, "अगर यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट खाना बना भी रहे हैं तो प्रॉब्लम क्या है?"
कई विद्यार्थियों का कहना है कि बिरयानी को बीफ़ से जबरन जोड़ा जा रहा है. इनका कहना है कि ऐडमिन ब्लॉक में कहीं कोई नोटिस या जानकारी नहीं है कि वहां खाना बनाना मना है.
वहीं प्रशासन का कहना है कि 'यूनिवर्सिटी में अनुशासनहीनता की गई. कुछ विद्यार्थी की जाँच-पड़ताल की गई इसके बाद ही उन पर एक्शन लिया गया.'
जेएनयू की जनसंपर्क अधिकारी पूनम कुदेशिया ने कहा कि प्रॉक्टर की जाँच में इन विद्यार्थियों को दोषी पाया गया और सज़ा दी गई है.
हालांकि कहीं भी प्रशासन द्वारा दिए गए किसी भी नोटिस में बीफ़ का नहीं, केवल बिरयानी का ज़िक्र है. लेकिन विद्यार्थियों का कहना है कि बिरयानी को बीफ़ से जोड़ा जा रहा है.
प्रशासन की ओर से पहले दिए गए नोटिस में केवल खाना बनाने, खाने और वहां सफाई का उल्लेख किया गया था. नौ नवंबर को मिले नोटिस में बिरयानी का ज़िक्र किया गया है.