मध्य प्रदेश में क्या है सियासी गणित, क्या भाजपा बना पाएगी सरकार?
Will the BJP be able to form a government with the support of Scindia and the resigning MLAs in Madhya Pradesh?क्या मध्य प्रदेश में सिंधिया और इस्तीफा देने वाले विधायकों के सपोर्ट से भाजपा सरकार बनाने में कामयाब हो पाएगी?इस सियासी उठापटक के बीच आइए, जानते हैं कि विधानसभा का गणित क्या कहता है।
बेंगलुरु। मध्य प्रदेश में सियासी भूचाल मचा हुआ हैं। मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार पर संकट अभी बरकरार है। ज्योतिरादित्य सिंधिया से गुट के विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। 20 विधायकों के इस्तीफे से कमलनाथ सरकार संकट में आ गई है। मध्य प्रदेश में सरकार बचाने और जोड़-तोड़ में कांग्रेस और भाजपा के बीच कश्मकश बेहद तेज हो गई है।
भाजपा जहां सिंधिया की मदद से सरकार बाने की जद्दोजह में हैं, वहीं भारी संकट से जूझ रही कांग्रेस सरकार को बचाने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ समेत पूरी पार्टी एड़ी चोटी का जोर लगा दिया हैं। वहीं सिंधिया को मनाने की कोशिशें जारी है लेकिन माना जा रहा हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में कभी भी शामिल हो सकते हैं। ऐसे में सवाल उठता हैं कि सिंधिया और इस्तीफा देने वाले विधायकों के सपोर्ट से क्या भाजपा मध्य प्रदेश में सरकार बनाने में कामयाब हो पाएगी? इस सियासी उठापटक के बीच आइए, जानते हैं कि विधानसभा का गणित क्या कहता है।
सिधिंया को हल्के में लेना कांग्रेस को पड़ा मंहगा
बता दें विधानसभा के चुनावी नतीजों के आने के बाद जब से पार्टी ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री के तौर पर चुना था तभी से ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी से नाराज चल रहे हैं। पिछले 15 महीनों की कमलनाथ सरकार में कई बार अपने बागी तेवर दिखा चुके हैं। लंबे समण्य से सिंधिया के भाजपा में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थी लेकिन वो हर बार इससे इंकार करते आए। लेकिन अब साफ हो चुका है कि वो अपने पिता माधवराज सिंधिया के नक्शेकदम पर चलते हुए भाजपा से हाथ मिला रहे हैं। मालूम हो कि कांग्रेस में अंदरूनी कलह और विधायकों की खरीद फरोख्त के आरोपों के बीच सोमवार को वरिष्ठ कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा कम से कम 17 विधायक अचानक ‘लापता'हो गए थे। ये भी माना जा रहा हैं कि अगर कांग्रेस पार्टी उन्हें मनाने में असफल हो गई तो भारतीय जनता पार्टी उन्हें राज्यसभा भेजने का बड़ा दांव चल सकती है। इतना ही भाजपा सिंधिया को मंत्री भी बना सकती हैं।
यह है विधानसभा का गणित
संख्याबल की बात करें तो 230 विधानसभा सीटों वाले मध्यप्रदेश में सरकार बनाने के लिए 116 विधायकों की जरूरत होती है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। इस चुनाव में कांग्रेस को 114 सीटें मिली थीं, हालांकि वह बहुमत के आंकड़े से दो सीट दूर रह गई थी। वहीं, भाजपा को 109 सीटें मिली थीं। इसके अलावा निर्दलीय को चार, बसपा को दो सीटें और सपा को एक सीट मिली थी।मध्यप्रदेश में चुनाव परिणाम के बाद चार निर्दलीय, सपा के एक और बसपा ने एक विधायक ने कांग्रेस को समर्थन देने का एलान किया था। ऐसे में कमलनाथ को बहुमत से चार ज्यादा यानी 120 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। लेकिन, कमलनाथ सरकार में शामिल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के विधायक अक्सर कांग्रेस से अपनी नाराजगी जाहिर करते भी दिखाई दिए हैं।
क्या भाजपा बना पाएगी सरकार
2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 109 सीटें मिली थीं, लेकिन अभी विभिन्न कारणों से भाजपा की सदस्य संख्या घटकर 107 हो गई है।अगर कांग्रेस के बागी विधायक पार्टी के खिलाफ हो चुके हैं तब दल बदल कानून के हिसाब से उनकी सदस्यता खत्म हो जाएगी। अब जबकि कमलनाथ सरकार के 20 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया हैं तो ऐसे में भाजपा को सरकार बनाने में कोई मुश्किल नही होगी। अगर कमलनाथ सरकार से केवल पांच विधायक भी टूटते तो कमलनाभ सरकार आराम से गिर जाती। पहले से ही भाजपा के पास कांग्रेस के तीन और एक निर्दलीय विधायक है। ऐसे में हर हाल में मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनती दिख रही हैं
भाजपा के दो विधायक नेतृत्व से नाराज
सूत्रों के हवाले से भाजपा के दो विधायक नारायण त्रिपाठी व शरद कोल राज्य नेतृत्व से नाराज बताए जा रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने रीवा, शहडोल संभाग के विधायकों की बैठक बुलाई थी, इसमें से दोनों विधायक नदारद रहे। ऐसे में भाजपा कभी ऐसी सरकार नहीं बनाना चाहेगी जो कभी भी संकट में आ जाए।