जानिए क्या होता है Nisarga का मतलब, 1891 के बाद पहली बार महाराष्ट्र में हुई ये खास बात
नई दिल्ली। कोरोना संकट से जूझ रहे गुजरात और महाराष्ट्र पर अब चक्रवात 'निसर्ग' का खतरा मंडरा रहा है, भारतीय मौसम विभाग ने मंगलवार को अपने ताजा अपडेट में कहा है कि अरब सागर में बना डिप्रेशन आज दोपहर तक डीप डिप्रेशन में बदल जाएगा और ईस्ट सेंट्रल अरब सागर में अगले 12 घंटों के दौरान चक्रवाती तूफान में बदल जाएगा, इस तूफान से सबसे ज्यादा खतरा मुंबई को है, जिसके लिए वहां पर रेड अलर्ट जारी है, वैसे ये बहुत अचरज की बात है कि जून के महीने में कोई साइक्लोन महाराष्ट्र या गुजरात को परेशान करने वाला है, आमतौर पर ऐसा होता नहीं है।
1891 के बाद पहली बार महाराष्ट्र में जून में आया चक्रवात
आपको जानकर हैरत होगी कि साल 1891 के बाद पहली बार अरब सागर में महाराष्ट्र के तटीय इलाके के आसपास साइक्लोन का खतरा मंडराया है, इससे पहले साल 1948 और 1980 में ऐसी स्थिति उत्पन्न तो हुई थी लेकिन वो साइक्लोन में तब्दील नहीं हो पाई थी।
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बांग्लादेश ने दिया चक्रवात 'निसर्ग' का नाम
जैसा कि आपको पता है कि विश्व मौसम संगठन के 13 सदस्य देश बारी-बारी से तूफानों का नाम रखते हैं तो इस बार इस चक्रवात का नाम बांग्लादेश ने दिया है, जिसे कि कुछ लोग हिंदी में 'चक्रवात निसारगा' या 'चक्रवात निसर्ग' लिख रहे हैं लेकिन अंग्रेजी में एक ही शब्द है Nisarga, जिसका अर्थ बांग्ला भाषा में 'प्रकृति' होता है, मालूम हो कि विश्व मौसम संगठन के 13 सदस्य देशों में बांग्लादेश, भारत, ईरान, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, कतर, सऊदी अरब, श्रीलंका, थाईलैंड, यूएई और यमन शामिल हैं।
मुंबई में Red Alert
आईएमडी ने आशंका जताई है कि समुद्र में 4 जून तक स्थिति बेहद ही विकट होगी, इस दौरान 90 से 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा की गति बढ़कर 110 किलोमीटर भी हो सकती है, इस चक्रवात का असर मुंबई पर सबसे ज्यादा पड़ने वाला है और इसी वजह से मुंबई महानगरपालिका के कंट्रोल रूम और अन्य विभागों के कंट्रोल रूम में पर्याप्त कर्मचारियों को तैनात किया गया है ।
क्यों आते हैं 'चक्रवात'?
पृथ्वी के वायुमंडल में हवा होती है, समुद्र के ऊपर भी जमीन की तरह ही हवा होती है, हवा हमेशा उच्च दाब से निम्न दाब वाले क्षेत्र की तरफ बहती है. जब हवा गर्म हो जाती है तो हल्की हो जाती है और ऊपर उठने लगती है, जब समुद्र का पानी गर्म होता है तो इसके ऊपर मौजूद हवा भी गर्म हो जाती है और ऊपर उठने लगती है. इस जगह पर निम्न दाब का क्षेत्र बनने लग जाता है, आस पास मौजूद ठंडी हवा इस निम्न दाब वाले क्षेत्र को भरने के लिए इस तरफ बढ़ने लगती है. लेकिन पृथ्वी अपनी धुरी पर लट्टू की तरह घूमती रहती है, इस वजह से यह हवा सीधी दिशा में ना आकर घूमने लगती है और चक्कर लगाती हुई उस जगह की ओर आगे बढ़ती है, इसे चक्रवात कहते हैं।
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