क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

ISRO जासूसी कांड क्या है, जिसपर सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते करेगा सुनवाई ?

Google Oneindia News

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा है कि वह 1994 के इसरो वैज्ञानिक नम्बी नारायण से जुड़े जासूसी मामले की सुनवाई अगले हफ्ते करेगा। इस मामले में 2018 में बनी एक उच्च-स्तरीय जांच समिति ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी है। इस मुद्दे को राष्ट्रीय मुद्दा बताते हुए केंद्र सरकार ने फौरन सुनवाई की मांग की थी। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने इसे महत्वपूर्ण मसला तो माना है, लेकिन इसपर अगले हफ्ते सुनवाई करने की बात कही है। गौरतलब है कि इस मामले में नम्बी नारायण को सीबीआई ने क्लीनचिट दे दी थी और सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें 1998 में ही बरी कर दिया था। लेकिन, अब इस मामले में उनकी गैरकानूनी गिरफ्तारी के लिए तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारियों पर गाज गिरने की आशंका है। यह मामला राजनीतिक भी है, क्योंकि इसकी वजह से केरल के एक पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री को अपने पद से इस्तीफा भी देना पड़ा था। क्योंकि, उन्हीं के कार्यकाल में देश के एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक को झूठे मामले में फंसाकर उनके साथ भारी अत्याचार किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने ही बनाई थी उच्च-स्तरीय जांच समिति

सुप्रीम कोर्ट ने ही बनाई थी उच्च-स्तरीय जांच समिति

14 सितंबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने इसी अदालत के पूर्व जज जस्टिस (रिटायर्ड) डीके जैन की अगुवाई में इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नम्बी नारायण के मामले को देखने के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति बनाई थी। यही नहीं सर्वोच्च अदालत ने इसरो के पूर्व वैज्ञानिक के 'घोर अपमान' के लिए केरल सरकार को उन्हें 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया था। अदालत ने उनका जबर्दस्त उत्पीड़न और उन्हें पहुंची अपार पीड़ा के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई के लिए ही जांच समिति बनाने का आदेश दिया था, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार दोनों को एक-एक अधिकारियों को नामित करने का निर्देश दिया गया था। अब इस समिति की रिपोर्ट आ चुकी है, जिसके बाद ही सॉलिशिटर जेनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच के सामने इस केस की तत्काल सुनवाई की मांग की थी। इस बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम भी शामिल हैं।

1994 में सामने आया था इसरो का 'झूठा' जासूसी कांड

1994 में सामने आया था इसरो का 'झूठा' जासूसी कांड

इसरो का यह जासूसी कांड 1994 का है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नम्बी नारायण के साथ केरल पुलिस के बर्ताव को घोर अमानवीय मान चुका है, जिन्हें उसने सभी कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए गिरफ्तार किया था। इस मामले में केरल पुलिस ने उनके अलावा एक और वैज्ञानिक और मालदीव की दो महिलाओं समेत चार और लोगों पर भारत के स्पेस प्रोग्राम से जुड़े गोपनीय दस्तावेज पाकिस्तान को देने का आरोप लगाया था। जिस समय नारायण को झूठे आरोपों में गिरफ्तार किया गया था, उस समय केरल में कांग्रेस की सरकार थी। इस केस की जांच में सीबीआई ने पाया था कि उनकी अवैध गिरफ्तारी में केरल सरकार के तत्कालीन बड़े अधिकारी शामिल थे। इसी वजह से केरल की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार भी निशाने पर आईथी और दिवंगत सीएम के करुणाकरन को इसी मुद्दे पर इस्तीफा तक देना पड़ गया था। अब करीब ढाई साल की छानबीन के बाद जस्टिस (रि) जैन ने उन हालातों की पड़ताल की है, जिसकी वजह से नारायण को गैर-कानूनी तौर पर गिरफ्तार किया गया था और उन्हें भारी मानसिक प्रताड़ना से गुजरना पड़ा।

'जिस तकनीक को बेचने का आरोप था, वह तबतक थी ही नहीं'

'जिस तकनीक को बेचने का आरोप था, वह तबतक थी ही नहीं'

79 वर्षीय पूर्व वैज्ञानिक कह चुके हैं कि केरल पुलिस ने जानबूझकर उनके खिलाफ यह केस बनाया था कि और जिस तकनीक को 1994 में उनपर बेचने का आरोप लगाया गया था, वह उस समय तक थी भी नहीं। उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि उनके साथ हुई बर्बरता,अमानवीयता के लिए जो भी अधिकारी जिम्मेदार हैं, जिनकी वजह से उनके दिमाग पर बहुत ही भयानक असर हुआ, उन्हें कानून का सामना करना ही चाहिए। सितंबर,2018 में अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, 'जब किसी के साथ साइको-पैथोलॉजिकल बर्ताव किया जाता है तो व्यक्ति की गरिमा आहत होती है। जब एक इंसान के आत्मसम्मान को छलनी किया जाता है तो वह न्याय की गुहार लगाता है।'

इसरो में क्रायोजिनक प्रोजेक्ट के डायरेक्टर थे नम्बी नारायण

इसरो में क्रायोजिनक प्रोजेक्ट के डायरेक्टर थे नम्बी नारायण

सीबीआई ने अपनी जांच के बाद नारायण को क्लीनचिट देते हुए केरल के पूर्व डीजीपी सिबी मैथ्यूज पर बिना किसी ठोस सबूत के उनकी गिरफ्तारी के आदेश देने की बात कही थी। इस मामले में दो रिटायर्ड एसपी केके जोशुआ और एस विजयन भी आरोपों के घेरे में हैं, जिन्हें सीबीआई ने भी उनकी गैरकानूनी गिरफ्तारी में शामिल होने का जिम्मेदार पाया है। 1994 में यह मामला तब चर्चा में आया था जब तिरुवनंतपुरम में मालदीव की नागरिक रशीदा को इसरो के रॉकेट इंजन का गोपनीय ड्रॉइंग कथित तौर पर पाकिस्तान को बेचने के लिए हासिल करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उस समय नारायण इसरो में क्रायोजिनक प्रोजेक्ट के डायरेक्टर थे और उनके साथ इसरो के तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर डी शशिकुमारन और राशीदा की मालदीव की ही दोस्त फॉजिया हसन को भी गिरफ्तार किया गया था।

इसे भी पढ़ें- कांग्रेस ने राफेल डील को लेकर फिर उठाए सवाल, पूछा राफेल डील में किसे दिए करोड़ों के 'गिफ्ट'?इसे भी पढ़ें- कांग्रेस ने राफेल डील को लेकर फिर उठाए सवाल, पूछा राफेल डील में किसे दिए करोड़ों के 'गिफ्ट'?

Comments
English summary
What is the ISRO espionage issue, on which the Supreme Court will hear next week?
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X