नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (NRC) में क्या है अंतर? जानिए
नई दिल्ली- केंद्र सरकार ने मंगलवार को 2021 में जनगणना और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। हालांकि, जनगणना का काम 2021 में होगा, लेकिन राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट करने का काम 2020 में अप्रैल और सितंबर के बीच किया जाएगा। एनपीआर का काम असम को छोड़कर देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में होगा। मोदी सरकार ने इन दोनों कार्यों के लिए 13,000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है, जिसमें 8,754 करोड़ रुपये जनगणना और 3,941 करोड़ रुपये एनपीआर के लिए आवंटित किए गए हैं। आइए जानते हैं कि नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर या राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर क्या है और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स से इसमें क्या अंतर है, जिसके खिलाफ इस वक्त में देश में एक माहौल बना हुआ है।
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नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर में क्या है?
- यह नागरिकता का प्रमाण पत्र नहीं होगा।
- इसका मकसद देश के किसी क्षेत्र या इलाके में सामान्य तौर पर रहने वाले सभी निवासियों की पहचान के लिए व्यापक डेटाबेस तैयार करना है।
- सामान्य निवासी मतलब जो किसी इलाके में पिछले 6 महीने या उससे ज्यादा वक्त से रह रहा हो और जो आगे भी 6 महीने या उससे ज्यादा वहीं रहने की इच्छा रखता हो।
- एनपीआर में देश के सभी सामान्य निवासियों (गैरभारतीय भी) की पहचान का डेटाबेस तैयार किया जाएगा।
- भारत में रहने वाले हर निवासियों के लिए एनपीआर में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा।
- एनपीआर में हर व्यक्ति की जनसांख्यिकी संबंधी जानकारी दर्ज होगी। 21 बिंदुओं वाली इन जानकारियों में माता-पिता के जन्म स्थान, पिछले आवास की जानकारी, पैन नंबर, आधार (स्वैच्छिक), वोटर आईडी कार्ड नंबर, ड्राइविंग लाइसेंस नंबर और मोबाइल नंबर में शामिल है।
- पहली बार एनपीआर का काम 2010 में हुआ और 2015 में इसे अपडेट भी किया गया था।
- सरकार ने इसके अगले अपडेशन को मंजूरी दी है जो कि 1 अप्रैल, 2020 से 30 सितंबर, 2020 तक तक किया जाएगा।
- 2010 में इसमें सिर्फ 15 बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई थी, जिसमें माता-पिता के जन्म स्थान और पिछले आवास की जानकारी नहीं ली गई थी।
नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स क्या है?
- इसमें सिर्फ देश के सभी वैध नागरिकों की जानकारी दर्ज होगी।
- इसमें सभी नागरिकों का नाम और उनसे संबंधित जानकारी दर्ज होगी जो देश में रह रहे हों या देश के बाहर रह रहे हों।
- एनआरसी का असल मकसद देश में रह रहे घुसपैठियों की पहचान करना है।
- 2013 में एनआरसी की शुरुआत सुप्रीम कोर्ट की देख-रेख में असम में हुई थी और फिलहाल असम के अलावा यह कहीं भी लागू नहीं है।
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