क्या है कांग्रेस का 'छत्तीसगढ़ मॉडल', जिसे अपनाकर असम में भाजपा को सत्ता से हटाना चाहती है
गुवाहाटी: पांच साल बाद असम में सत्ता की वापसी चाह रही कांग्रेस, वहां भी विधानसभा चुनाव में बूथ मैनेजमेंट के लिए छत्तीसगढ़ मॉडल अपनाने की तैयारी कर चुकी है। पार्टी को लगता है कि जिस मॉडल के जरिए छत्तीसगढ़ में 2018 के विधानसभा चुनाव में 15 साल पुरानी भाजपा की सरकार को उखाड़ फेंका था, वही असम में भी उसे वापस कुर्सी दिलाएगा। इस छत्तीसगढ़ी मॉडल की कमान एक तरह से खुद वहां के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हाथों में हैं, जो पार्टी ऑब्जर्वर के तौर पर आए दिन रायपुर से गुवाहाटी के लिए उड़ान भर रहे हैं। कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि अभी करीब दो हफ्ते ही हुए हैं, लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं में इससे नई जान फूंकी जा चुकी है और उनका मनोबल चरम पर पहुंच चुका है।
छत्तीसगढ़ की टीम ने कांग्रेसियों का किया कायाकल्प
साल 2018 के आखिर में हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सभी चुनावी पंडितों का गुना-गणित बिगाड़ दिया था और भारी बहुमत से वहां रमन सिंह की सरकार को हटाकर कुर्सी पर काबिज हुई थी। पार्टी वहां पर विधानसभा की 90 सीटों में से 68 सीटें जीत गई थी और बाद में हुए उपचुनाव में दो और जगहों पर सफलता पाकर अपनी सीटों का आंकड़ा 70 तक पहुंचा चुकी है। करीब महीने भर से बाहर से असम में आकर काम कर रहे पार्टी के एक नेता ने बताया है कि जब से छत्तीसगढ़ से आई टीम ने जमीन पर उतरकर काम करना शुरू किया है, यहां के कार्यकर्ताओं का उत्साह बहुत ज्यादा बढ़ गया है। उन्होंने पीटीआई को बताया 'पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के निधन से असम कांग्रेस के मनोबल पर बहुत ज्यादा असर पड़ा था, क्योंकि वह सबके लिए पिता-तुल्य थे। जब हम जनवरी के शुरू में यहां आए थे तो उनमें बीजेपी के आक्रामक प्रचार के खिलाफ बहुत ज्यादा उत्साह नजर नहीं आ रहा था।'
अब आक्रामक प्रचार में जुट चुकी है कांग्रेस
असम में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं में तब से ज्यादा उत्साह देखा जा रहा है, जबसे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को विधानसभा चुनावों के लिए असम में पार्टी का पर्यवेक्षक बनाया गया है। इसके बाद पार्टी के अंदर तेजी से एक सकारात्मक बदलाव नजर आ रहा है। पार्टी के उस नेता ने अपना नाम नहीं जाहिर होने देने की शर्त पर कहा कि 'पिछले 15-20 दिनों में पूरा माहौल ही बदल गया है और अब कायाकल्प के बाद कांग्रेस बीजेपी और उसके सहयोगियों के खिलाफ आक्रामक प्रचार कर रही है।......अब पार्टी को पूरा भरोसा है कि वह सत्ताधारी एनडीए को कड़ी टक्कर देगी।' 14 फरवरी को जब राहुल गांधी ने राज्य में पार्टी के चुनाव मुहिम की शुरुआत की थी तो बघेल उनके पास ही मौजूद थे। नई जिम्मेदारी मिलने के बाद से छत्तीसगढ़ के सीएम लगातार पूर्वोत्तर के इस राज्य के दौरे पर आ रहे हैं।
क्या है कांग्रेस का छत्तीसगढ़ मॉडल?
पार्टी के उस पदाधिकारी ने कांग्रेस की रणनीति का थोड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ की जो टीम असम में कैंप कर रही है, उसका पूरा जोर माइक्रो-लेवल बूथ मैनेजमेंट पर है, जिसने 2018 में उनके राज्य में भाजपा को हराने में कामयाबी दिलाई थी। उनके मुताबिक, 'करीब 15 स्पेशल ट्रेनरों ने 1 फरवरी से लेकर अबतक करीब 100 विधानसभा क्षेत्रों में 100 ट्रेनिंग सेशन का आयोजन किया है। अगले दो-तीन दिनों में हम असम की सभी 126 विधानसभा सीटों को कवर कर लेंगे।' पहले चरण के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता हर विधानसभा में जाएंगे और जमीनी हालातों की समीक्षा करेंगे। उसके बाद फिर से दूसरे और तीसरे राउंड की ट्रेनिंग अलग-अलग तरह के ट्रेनर तब तक देते रहेंगे, जब तक चुनाव खत्म नहीं होते।
बीजेपी से कैसे अलग है कांग्रेस का गेम प्लान?
कांग्रेस नेता के मुताबिक 'बीजेपी हर पोलिंग बूथ पर पृष्ठ प्रमुख या पन्ना प्रभारी को मतदाताओं को मैनेज करने के कॉन्सेप्ट पर काम करती है। हालांकि, छत्तीसगढ़ में हमने उनका मॉडल फेल करते देखा है, क्योंकि उसमें साइक्लॉजिकल गेम प्लान पर ज्यादा जोर रहता है। हम शुद्ध रूप से विज्ञान और गणित के आधार पर काम कर रहे हैं।' जब कांग्रेस की चुनावी रणनीति को लेकर छत्तीसगढ़ सीएम बघेल के पॉलिटिकल एडवाइजर विनोद वर्मा से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि 'मुद्दे और नेता महत्वपूर्ण हैं, लेकिन सिर्फ प्रभावी और बारीक बूथ मैनेजमेंट से ही चुनावों में पार्टी को जीत मिल सकती है।' पत्रकार से पॉलिटिकल स्ट्रैटजिस्ट बने वर्मा वहां मौजूद छत्तीसगढ़ की टीम और असम के पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच कोऑर्डिनेटर का काम कर रहे हैं और चुनाव परिणाम आने तक वहीं रहेंगे।
2016 के चुनाव परिणाम क्या रहे थे?
कांग्रेस 2001 से 2016 तक लगातार 15 वर्षों तक असम की सत्ता में थी। इसबार उसने एआईयूडीएफ, सीपीआई, सीपीएम और आंचलिक गण मोर्चा के साथ महागठबंधन (महाजोत) बनाया है। यहां बाकी चार राज्यों के साथ ही मार्च-अप्रैल में चुनाव होने की संभावना है। 2016 के चुनाव में भाजपा 60 सीटें लेकर 126 सदस्यों वाली विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। जबकि, इसकी सहयोगियों असम गण परिषद को 13 और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट को 11 सीटें मिली थी। सरकार को एक निर्दलीय विधायक का भी समर्थन हासिल है। वहीं कांग्रेस के पास अभी सिर्फ 19 विधायक हैं, जबकि इत्र के कारोबारी और मुस्लिम नेता बदरुद्दीन अजमल की पार्टी (एआईयूडीएफ) के 14 विधायक जीते थे।
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