भारत में अचानक कोरोना संक्रमण में आई गिरावट का क्या है बड़ा कारण, आइए जानते हैं?
नई दिल्ली। भारत में कोरोना संक्रमण में आ रही गिरावट एक सुखद संकेत है कि भारत कोरोना मुक्त देशों में शुमार होने की तरफ आगे बढ़ रहा है। सोने पे सुहागा वाली बात यह है कि डीसीजीआई द्वारा दो घरेलू वैक्सीन की आपात इस्तेमाल की मंजूरी देने के बाद जल्द वैक्सीनेशन भी शुरू हो जाएगा, जिससे संक्रमण का खतरा लगभग समाप्त हो जाएगा। भारत में संक्रमण दरों में गिरावट को श्रेय सर्वाधिक युवा जनसंख्या को दिया जा रहा है, लेकिन इसमें हर्ड इम्यूनिटी की भूमिका भी महत्वपूर्ण बताई जा रही है।
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24 घंटे में पूरे देश में कोरोना के महज 16, 375 नए मामले सामने आए
गौरतलब है मंगलवार सुबह जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 1 करोड़ साढ़े तीन लाख से अधिक पहुंच चुकी है। वहीं कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या डेढ़ लाख पहुंच चुकी है, लेकिन लगातार संक्रमण के दरों में गिरावट दर्ज हो रही है। पिछले 24 घंटे में पूरे देश में कोरोना के महज 16, 375 नए मामले सामने आए हैं। यही नही, पिछले कुछ दिनों से नए मामले रोजाना 20,000 के करीब आ रहे हैं, जिससे देश में कोरोना के सक्रिय मामलों की संख्या तेजी से घटी है, जो अब महज 2 लाख 31 हजार के आसपास है।
देश में अब तक 99,75,958 लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं
रिपोर्ट के मुताबिक देश में अब तक 99,75,958 लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं। आईसीएमआर का कहना है कि भारत में रविवार को 7,35,978 टेस्टिंग के साथ अब तक कोरोना के कुल टेस्टिंग की संख्या 17,56,35,761 को पार कर गई है, जो संकेत है कि टेस्टिंग दर में वृद्धि ने भी देश में कोरोना के नए मामलों में तेजी से गिरावट में बड़ा योगदान किया है वरना पिछले तीन महीने के रिकॉर्ड उठाकर देखें तो स्थिति भयावहता का आकलन किया जा सकता है, क्योंकि भारत में तेजी से बढ़ रहे संक्रमितों की संख्या निः संदेह चिंता का विषय था।
आखिर देश में कोरोना संक्रमण में गिरावट की मूल वजह क्या है?
गत 7 अगस्त, 2020 में भारत में जहां 20 लाख संक्रमित थे, वहीं, 23 अगस्त तक आते-आते यह आकंड़ा 30 लाख पहुंच चुका है। वहीं, 5 सितंबर तक यह आंकड़ा दोगुना यानी 40 लाख पार कर चुका था, जबकि 16 सितंबर को यह संख्या 50 लाख, 28 सितंबर को 60 लाख और 11 अक्टूबर को 70 लाख और 29 अक्टूबर तक 80 के आंकड़े को टच कर लिया था। 20 नवंबर को भारत में संक्रमितों की संख्या 90 लाख पार कर चुकी थी। अब सवाल यह है कि आखिर देश में कोरोना संक्रमण में गिरावट की मूल वजह क्या है।
विशेषज्ञ संक्रमण में गिरावट में हर्ड इम्यूनिटी को प्रमुख वजह मानते हैं
वैज्ञानिक और विशेषज्ञ इसके लिए हर्ड इम्यूनिटी को प्रमुख वजह मानते हैं। हर्ड इम्यूनिटी यानी सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होना है। हालांकि संक्रमण में गिरावट की दूसरी बड़ी वजह भारत में बड़ी युवा आबादी को भी दिया जाता है। वैज्ञानिकों की मानें तो इस रहस्य को सुलझाने के लिए उन्होंने कोरोना के मामलों की संख्या में उतार-चढ़ाव को समझने का प्रयास किया। गत सोमवार को कोरोना के 16, 504 नए मामले सामने आए थे, जो 16 सितंबर को सामने आए 97,894 नए मामलों की तुलना में छह गुना कम है।
सितंबर के मध्य में चरम पर पहुंचने के बाद लगातार कम हो रहे हैं संक्रमण
उल्लेखनीय है भारत में कोरोना के मामले सितंबर के मध्य में चरम पर पहुंचने के बाद लगातार कम हो रहे हैं। राष्ट्रीय रूख के मुताबिक दिल्ली में कोरोना के मामलों का ग्राफ भी गत सोमवार को नीचे आया और महज 384 नए मामले दर्ज किए गए, जो सात महीनों में सबसे कम है। इससे उम्मीद की जा रही है कि यह गिरावट हर्ड इम्यूनिटी के स्थापित होने के कारण हो सकती है। राजधानी दिल्ली में हुए सीरो सर्वे में भी यह स्पष्ट हुआ था कि वहां 30 फीसदी से अधिक लोगों में कोरोना के खिलाफ इम्यूनिटी विकसित हुई थी, जिससे 60-70 लाख लोग खुद ब खुद स्वस्थ हो गए थे।
क्या है हर्ड इम्युनिटी का मतलब?
हर्ड इम्युनिटी होने का मतलब है कि लोगों के एक बड़े हिस्से में किसी वायरस से लड़ने की ताकत को पैदा करना। नई दिल्ली के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी (एनआईआई) के रोग प्रतिरक्षा हालांकि वास्तविक संख्याओं को अच्छी तरह से आंका जा सकता है और मामलों की संख्या कम होने की प्रवृत्ति वास्तविक प्रतीत होती है और संक्रमण के प्रसार की दर कम होने की संभावना है।
65 फीसदी युवा आबादी के चलते संक्रमण से सुरक्षित हुआ भारत
ऐसा माना जाता है कि अधिकांश युवा आबादी के चलते कोरोना संक्रमण से अधिक सुरक्षित रह पाया। मौजूदा समय में भारत में 65 फीसदी आबादी की उम्र 35 वर्ष से कम है, जिनमें संक्रमण की संभावना प्रायः कम होती है। इस तथ्य को अधिकांश राज्यों में संक्रमण की संख्या में आई स्वाभाविक गिरावट की वजह के रूप में देखा जा रहा है।
दिल्ली में करीब एक तिहाई लोगों स्वतः इम्युनिटी हासिल किया
जुलाई महीने में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक बयान में कहा था कि राजधानी दिल्ली में करीब एक तिहाई लोग इम्युनिटी हासिल कर चुके हैं। यानी जो दिल्ली कुछ हफ्ते पहले कोरोना की जबर्दस्त चपेट में थी, वहां हर्ड इम्युनिटी विकसित होने से कोरोना के मामलों में कमी आई थी। आपको याद हो तो दिल्ली के एक तिहाई लोगों में हर्ड इम्यूनटी यानी कोरोना प्रूफ होने की ओर बढ़ने को आधार बना कर सीएम केजरीवाल ने दिल्ली मेट्रो सेवा को दोबारा शुरू करने की हरी झंडी दी थी।
एम्स में वैक्सीन के ट्रायल के लिए पहुंचे 20% में मिली थी एंटीबॉडी
देश में विकसित हर्ड इम्यूनिटी की पहचान एम्स में वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल के दौरान भी पता चला था, जहां ट्रायल के लिए पहुंचे 20 फीसदी में एंटीबॉडी मिली थी जिन्हें ह्यूमन ट्रायल से इसलिए बाहर कर दिया गया था, क्योंकि उनके शऱीर में नोवल कोरोनावायरस के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हो चुकी है और ऐसे लोगों को ट्रायल में शामिल नहीं किया जा सकता है। ट्रायल के लिए चुने गए हर 5 वालंटियर्स में से 1 में रोग प्रतिरोधक क्षमता मौजूद थी।
दिल्ली में हर्ड इम्यूनिटी से 60-70 लाख ठीक हुएः रिपोर्ट
राजधानी दिल्ली में हर्ड इम्यूनिटी से 60-70 लाख लोग खुद ब खुद स्वस्थ होने की पुष्टि खुद सीएम अरविंद केजरीवाल कर चुके हैं। माना जा रहा है कि अन्य प्रदेशों में भी हर्ड इम्यूनिटी की संभावना पैदा हुई होगी, जहां लोग बिना लक्षणों वाले कोरोना स्ट्रेन से संक्रमित होकर स्वस्थ हो चुके होंगे। यह सर्वाधिक कोरोना प्रभावित महाराष्ट्र जैसे में तेजी से घटे मरीजों की संख्या से भी समझा जा सकता है।
हर्ड इम्यूनिटी संक्रामक बीमारी की एक अवस्था है
हर्ड इम्यूनिटी किसी मेडिकल प्रक्रिया का नाम नहीं है, यह संक्रामक बीमारी की एक अवस्था को कहा जाता है जब आबादी का एक निश्चित हिस्सा वायरस के प्रति खुद ब खदु इम्यूनिटी विकसित तैयार कर लेता है। आमतौर पर हर्ड इम्यूनिटी शब्द वैक्सीनेशन के संदर्भ में यूज किया जाता है, लेकिन हर्ड इम्यूनिटी तब भी हासिल हो सकती है जबकि पर्याप्त संख्या में लोग इन्फेक्टेड होने के बाद इम्यून हुए हों।
हर्ड इम्यूनिटी को कोरोना से लड़ाई के तरीके के रूप में देखा जा सकता है?
माना जाता है कि अगर एक निश्चित आबादी इम्यून हो जाए तो वो लोग किसी और को संक्रमित नहीं कर पाएंगे। इससे कम्युनिटी ट्रांसमिशन की चेन टूट जाएगी। हालांकि 'द लांसे' में छपी एक ताजा रिसर्च के मुताबिक कोविड-19 के खिलाफ हर्ड इम्यूनिटी हासिल करना मुश्किल है। ऐसे में बड़ा सवाल यही है क्या हर्ड इम्यूनिटी को कोरोना से लड़ाई के तरीके के रूप में देखा जा सकता है?
हर्ड इम्युनिटी' पर निर्भर नहीं रहा जा सकता है
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक कोरोना वायरस को हराने के लिए देश को पूरी तरह वैक्सीन पर निर्भर रहना होगा, क्योंकि हर्ड इम्यूनिटी पर निर्भरता ठीक नहीं हैं। एक अधिकारी ने बताया कि हर्ड इम्युनिटी किसी बीमारी से अप्रत्यक्ष सुरक्षा है। यह आबादी को बीमारी से बचा लेती है, लेकिन यह तभी होती है, जब कोई वैक्सीन बन जाए या अधिकतर लोग बीमार होकर ठीक हो जाएं।
मकर संक्रांति के बाद भारत में शुरू हो रही वैक्सीनेशन?
दुनिया भर के वैज्ञानिक और शोधकर्ताओं की अथक मेहनत का परिणाम है कि भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों ने जानलेवा नोवल कोरोना वायरस के खिलाफ एंटी डोज बनाने में कामयाब हुए हैं। DCGI ने घरेलू वैक्सीन कोविशील्ड और कोवाक्सिन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी है, जिससे मकर संक्रांति के बाद देश में वैक्सीनेशन की शुरूआत होने जा रही है। कोविशील्ड सीरम इंस्टीट्यूटड ऑफ इंडिया और कोवाक्सिन भारत बायोटेक ने विकसित की है।