स्वच्छ भारत अभियान: जानें कितना स्वच्छ हुआ भारत, विस्तार से....
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महात्मा गांधी के जन्मदिन (2 अक्टूबर 2014) के मौके पर महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की। इस अभियान की शुरुआत के साथ ही टारगेट फिक्स कर दिया गया। लक्ष्य तय है साल 2019 है जो की महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती है तक देश को खुले में शौच मुक्त, स्वच्छ और साफ बनाना। मोदी सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत 5 साल में 1.2 करोड़ टॉयलेट्स बनाने का लक्ष्य रखा। आपको बता जें कि यह विश्व का सबसे बड़ा अभियान माना जा रहा है।
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लोगों को प्रेरित करने के लिए पीएम मोदी ने खुद झाड़ी ल गाकार, कुराद चलाकर इस मिशन को सफल बनाने का आवाहन किया। लोगों को स्वच्छता चैलेंज दिया गया। बड़े-बड़े सेलिब्रिटीज जोड़े गए। पीएम ने इस अभयान का एक नारा दिया 'न गंदगी करेंगे, न करने देंगे।'सरकार का लक्ष्य ग्रामीण भारत में 1.96 लाख करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से देशभर में 1.2 करोड़ शौचालयों का निर्माण करके खुले में शौंच मुक्त भारत (ओडीएफ) को हासिल करना है। आइए जानें मोदी सरकार के ये मिशन कितना सफल रहा?
देश को खुले में शौच मुक्त बनाना-आंकड़ों पर नजर
इस मिशन का टागरेट अगले साल पूरा होना है। साल 2019 तक सरकार को देशभर में 1.2 टॉयलेट का निर्माण करना है। नेशनल सैंपल सर्वे ऑगनाइजेशन (एनएसएसओ) ने एक सर्वे के मुताबिक देश की आधी से ज्यादा ग्रामीण आबादी (55.4 फीसदी) खुले में शौच करती है, जबकि शहरी इलाकों में 8.9 फीसदी लोग ही खुले में शौच करते हैं। आज भी भारत में 62.6 करोड़ (626 मिलियन) आबादी खुले में शौच करती है। 4 साल पूरे होने पर सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत निर्मात शौचालयों के आंकड़े जारी किए थे। जिसके मुताबिक साल 1947 से लेकर 2014 6.5 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया गया था, जबकि साल 2014 से लेकर 2018 के बीच 7.25 करोड़ शौचालय का निर्माण हुआ है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2013-14 के बीच देश की स्वच्छता कवरेज 38.70 % थी, जबकि 2014-18 तक 83.71 % रही। सरकारी वेबसाइट के मुताबिक अब तक देशभर में 84,339,710 शौचालय स्वच्छ भारत अभियान के तहत बनाए गए हैं।
स्वच्छ भारत अभियान का उद्देश्य
स्वच्छ भारत मिशन का उद्देश्य कई सारे लक्ष्यों की प्राप्ति करना है। सरकार इस मिशन के माध्यम से देश को खुले में शौच से मुक्त बनाना चाहती है। सरकार इस मिशन के माध्यम से अस्वास्थ्यकर शौचालयों को बहाने वाले शौचालयों में बदलना चाहती है। सरकार का मिशन हाथों से मल की सफाई करने की व्यवस्था को पूरी तरह खत्म करना है। लोगों को स्वास्थ्य के विषय में जागरुक करना है। जन-जागरुकता पैदा करने के लिये सार्वजनिक स्वास्थय और साफ-सफाई के कार्यक्रम से लोगों को जोड़ना, साफ-सफाई से संबंधित सभी व्यवस्था को नियंत्रित, डिज़ाइन और संचालन करने के व्यवस्था स्थापित करना है। वैज्ञानिक प्रक्रियाओं से म्यूनिसिपल ठोस अपशिष्ट का पुनर्चक्रण करना है।
स्वच्छ भारत अभियान और कॉरपोरेट जगत
पीएम मोदी ने इस अभियान को कॉरपोरेट जगत से जोड़ने की पहल की। पीएम ने स्वच्छता चैलेंज की शुरुआत की तो कॉरपोरेट जगत ने भी अपनी भागिदारी दिखाई। पीएम के बुलावे पर कॉरपोरेट भारत ने भी इस अभियान को सफल बनाने के लिये उत्साह के साथ कदम आगे बढ़ाया। कंपनियों ने CSR के तहत स्वच्छता अभियान में बढ़-चढ़ का हिस्सा लिया। एलएनटी, डीएलएफ, वेदांता, भारती, टीसीएस, अंबुजा सीमेंट, टोयोटा किरलोस्कर, मारुती, टाटा मोटर्स, कोका कोला, डॉबर्र, आदित्य बिरला, अदानी, इंफोसिस, टीवीएस जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियों ने स्वच्छ भारत अभियान के बजट तैयार किए। एक अनुमान के मुताबिक कॉरपोरेट सेक्टर के द्वारा 1000 करोड़ की कीमत के कई स्वच्छता परियोजनाए तैयार होने के कगार पर हैं।
स्वच्छ भारत मिशन
साल 2017 के आंकड़ों के मुताबिक स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत अब तक 1,58,957 गांवों के खुले में शौच से मुक्त कर दिया गया। स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहरी क्षेत्र में 1.04 करोड़ शौचालय और 5.08 लाख सामुदायिक शौचालय बनाने का टारगेट है। जबकि अब तक शहरों में 46 लाख 36 हजार 158 व्यक्तिगत और 3 लाख 6 हजार 64 सामुदायिक शौचालयों का निर्माण हुआ है जो लक्ष्य से काफी पीछे चल रहा है। पीएम मोदी के इस मिशन से देश के 78.98 प्रतिशत के क्षेत्र पर शौचालयों का विस्तार हुआ। 31 मार्च 2018 तक के आंकड़े बताते हैं कि देश के 266 जिलों के 3 लाख 40 हजार गांवों में, 6.8 करोड़ शौचालयों का निर्माण केन्द्र सरकार के स्वच्छता अभियान के तहत किया जा चुका है।
खुले में शौच से मुक्त होता भारत
आंकड़ों के मुताबिक स्वच्छ भारत अभियान के तहत बनाए जाने वाले शौचालयों से न केवल देश में स्वच्छता आई है बल्कि लोगों के व्यवहार में भी परिवर्तन आने लगा है। लोग खुले में शौच जाना भी बंद हो गया। 31 मार्च 2018 तक के आंकड़ों के मुताबिक देश में 2477 शहरों में खुले में शौच से मुक्ति हो चुकी है। शहरों में 46,36,158 व्यक्तिगत और 3,600,64 सामुदायिक शौचालयों बनें है।
62 करोड़ लोगों के पास अभी भी शौचालय नहीं
ये मिशन पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है और अपने टारगेट ईयर के करीब है, लेकिन अभी भी इस मिशन का लक्ष्य दूर है। आंकड़ों के मुाबिक अभी भी देश में 62 करोड़ लोग ऐसे हैं जिनके पास शौचालय नहीं है। एनएसएसओ की रिपोर्ट के मुताबिक आज भी भारत में 62.6 करोड़ आबादी खुले में शौच करती है। गैर सरकारी संगठन वाटरएड की रिपोर्ट के मुताबिक भारत की करीब 60 फीसदी आबादी के सुरक्षित और निजी टॉयलेट नहीं है। इस योजना के बारे में यहां विस्तार से पढ़ें-https://swachhbharat.mygov.in/
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