एलओसी पर हमारे जवानों का सिर कलम करती पाक की बैट टीम
एलओसी पर पाकिस्तान आर्मी के साथ मिलकर बॉर्डर एक्शन टीम करती है इंडियन आर्मी के जवानों के साथ बदसलूकी।
माछिल। बॉर्डर एक्शन टीम (बैट), एलओसी पर पाकिस्तान की ओर से तैनात एक ऐसी सिक्योरिटी टीम जिसका जिक्र पहली बार वर्ष 2013 में हुआ।
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छह जनवरी 2013 को पुंछ में इंडियन आर्मी के जवान हेमराज का सिर काट कर पाक आतंकी अपने साथ ले गए। इसके साथ ही बॉर्डर एक्शन टीम या बैट का जिक्र होने लगा।
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बैट को पाक सेना की ओर से एलओसी पर मदद मिलती है और हर पल एलओसी पर यह टीम पेट्रोलिंग करती है। एक नजर डालिए कि आखिर बैट क्या है और इसका अहम मकसद क्या है।
आतंकियों का संगठन
बैट दरअसल स्पेशल फोर्सेज और पाकिस्तान के कुछ उच्च स्तर पर प्रशिक्षण हासिल किए हुए आतंकी शामिल होते हैं। इन्हें एलओसी पर एक से किलोमीटर के दायरे में पेट्रोलिंग के लिए लगाया जाता है। पाकिस्तान में एसएसजी यानी स्पेशल सर्विस ग्रुप की ओर से बैट को तैयार किया जाता है। इसका पहला का एलओसी छह जनवरी 2013 जैसे काम को अंजाम देना है।
पहले से रहती है तैयार
पुंछ या माछिल जैसी घटनाओं को अंजाम देने के लिए टीम पहले से तैयारी करके रखती है। इसके साथ ही पाक सेना को इस बात का भरोसा दिलाता है कि वह हर हाल में सफलता हासिल करके रहेगी। पाकिस्तान की एक टीम लगातार इस बात का पता लगाती रहती है कि एलओसी पर इंडियन आर्मी की कौन सी यूनिट पेट्रोलिंग कर रही है। इस वजह से एलओसी पर खतरा पहले के मुकाबले और बढ़ गया है।
एलओसी पर पाक खास टीम बैट
जनवरी 2013 में जब हेमराज का सिर काटा गया तो उस समय इस बात का पता लग गया था कि बैट टीम इसमें शामिल थी क्योंकि उनका कवर हट गया था। वर्तमान समय में मीडिया की सक्रियता की वजह से बैट की रेड्स अब कोई सीक्रेट नहीं रह गई हैं। बैट की टीम को जान-बूझकर एलओसी पर तैनात किया गया है। भारत हमेश से कहता आया है कि बीएसएफ या फिर इंडियन आर्मी के ट्रूप्स ने कभी भी एलओसी का उल्लंघन नहीं किया है। वहीं पाक आर्मी हमेशा बैट को लेकर अपना कंधा थपथपाती रहती है।
आतंकियों को जम्मू कश्मीर में दाखिल करती बैट
बैट का काम आतंकियों को जम्मू कश्मीर में दाखिल करना भी है। भारत की ओर से एलओसी पर चौकसी पहले की तुलना में काफी बढ़ा दी गई है। इस वजह से आतंकियों को घुसपैठ में काफी मुश्किलें आ रही थीं। लेकिन बैट ने आतंकियों का काम अब आसान कर दिया है।
कौन-कौन से हथियार
एके-47, स्विट्जरलैंड में बने स्नो क्लोदिंग, बर्फ में पहने जाने वाले जूते, हाई एनर्जी वाला खाना, सैटेलाइट फोन, डिजिटल नेवीगेशन सिस्टम, छोटी बंदूकें और स्पोर्ट्स जीपीएस। इनके पास ऐसे हथियार भी होते हैं जिनकी मदद से जवानों को मारना काफी आसान होता है।