क्या होता है एनएसए? सीएम योगी ने यूपी में लागू करने के दिए आदेश, पुलिस को मिला ये पावर
लखनऊ। यूपी के मुरादाबाद में स्वास्थ्य विभाग की टीम और पुलिसकर्मियों पर हुए हमले की घटना पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोर की निंदा करते हुए दोषियों के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) तहत कार्रवाई करने की बात की है। कोराना वायरस के संक्रमण के बीच कोरोना वॉरियर्स पर हो रहे हमलों से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट करते हुए कहा हुए ने स्पष्ट कर दिया कि पुलिस तथा मेडिकल टीम पर हमला करने वालों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून NSA(एनएसए) के तहत कार्रवाई होगी। ऐसे में ये जानना जरुरी है कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून क्या हैं और ये कब ? किन नागरिकों को पकड़ा जा सकता है? इसमें कितने महीने जेल में रहने की सजा होती है?
इस स्थिति में सरकार इस रासुका लागू कर सकती है सरकार
बता दें ये कानून राष्ट्रीय सुरक्षा को रासुका भी कहा जाता है, राष्ट्रीय सुरक्षा में बाधा डालने वालों लोगों पर नकेल कसने के लिए बनाया गया है। सीधे तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980, देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक शक्ति प्रदान करने से संबंधित ये कानून है। अगर सरकार को लगता कि कोई व्यक्ति कानून-व्यवस्था को सही तरीके से चलाने में उसके सामने बाधा उत्पन्न हो रही है तो वह उसे सरकार एनएसए कानून के तहत गिरफ्तार करने का आदेश दे सकती है। इसके अलावा किसी समय सरकार को ये लगता है कि कोई व्यक्ति आवश्यक सेवा की आपूर्ति में बाधा बन रहा है तो वह उसे एनएसए के तहत गिरफ्तार करवा सकती हैं।
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इंदिरा गांधी के कार्यकाल में किया गया था इसे लागू
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी रासुका को 23 सितंबर, 1980 को इंदिरा गांधी की सरकार के कार्यकाल में अस्तित्व में आया था। ये कानून देश की सुरक्षा मजबूत करने के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित है। यह कानून केंद्र और राज्य सरकार को संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में लेने की शक्ति देता है। सीसीपी, 1973 के तहत जिस व्यक्ति के खिलाफ आदेश जारी किया जाता है, उसकी गिरफ्तारी भारत में कहीं भी हो सकती है।
इस कानून के तहत इन परिस्थितियों में की जाती हैं गिरफ्तारी
सरकार को अगर ये लगता है कि अगर कोई व्यक्ति कानून व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में बाधा उत्पन्न कर रहा तो उसे अरेस्ट कर सकती है। वहीं अगर सरकार को लगता है कि कोई व्यक्ति उसे देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले कार्यों को करने से रोक रहा है तो वह उसे एनएसए के तहत गिरफ्तार करने की शक्ति दे सकती है। इस कानून का इस्तेमाल जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, राज्य सरकार अपने सीमित दायरे में भी कर सकती है।
इतने महीने की होती है जेल
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत किसी संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी आरोप के 12 महीने तक जेल में रखा जा सकता है। राज्य सरकार को यह सूचना देनी होती है कि उक्त व्यक्ति को रासुका के तहत व्यक्ति को हिरासत में लिया गया है। रासुका के तहत हिरासत में लिए गए व्यक्ति को उनके खिलाफ आरोप तय किए बिना 10 दिनों के लिए रखा जा सकता है। हिरासत में लिया गया व्यक्ति उच्च न्यायालय के सलाहकार बोर्ड के समक्ष अपील कर सकता है लेकिन उसे मुकदमे के दौरान वकील की अनुमति नहीं होती है।
यह होती है पूरी प्रक्रिया
रासुका के तहत व्यक्ति को पहले तीन महीने के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है। फिर, आवश्यकतानुसार, तीन-तीन महीने के लिए गिरफ्तारी की समय बढ़ाया जा सकता है। एकबार में तीन महीने से अधिक की अवधि नहीं बढ़ाई जा सकती है। अगर, किसी अधिकारी ने ये गिरफ्तारी की हो तो उसे राज्य सरकार को बताना होता है कि उसने किस आधार पर ये गिरफ्तारी की है। जब तक राज्य सरकार इस गिरफ्तारी का अनुमोदन नहीं कर दे, तब तक यह गिरफ्तारी बारह दिन से ज्यादा नहीं हो सकती। अगर अधिकारी पांच से दस दिन में जवाब दाखिल करता है तो ये अवधि 12 की जगह 15 दिन की जा सकती है। अगर रिपोर्ट को राज्य सरकार मंजूर कर देती है तो इसे सात दिनों के भीतर केंद्र सरकार को भेजना होता है। इसमें इस बात का जिक्र करना आवश्यक है कि किस आधार पर यह आदेश जारी किया गया और राज्य सरकार का इसपर क्या विचार है और यह आदेश क्यों जरूरी है।
सीएम ने कहा कानून का पालन करना सिखाओ
बता दें यूपी में पिछले दिनों रामपुर, मेरठ, मुजफ्फनगर तथा अलीगढ़ में मेडिकल टीम पर हमले हुए। जिसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ सीएम योगी आदित्यनाथ ने नाराजगी व्यक्त की। सीएम ने साफ कर दिया कि पुलिस तथा मेडिकल टीम पर हमला करने वालों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि इंदौर तथा कर्नाटक जैसी घटना यूपी में किसी कीमत पर नहीं होनी चाहिए। प्रदेश में गाजियाबाद के साथ अन्य मामले में जो दोषी हैं, उन्हें कानून का पालन करना सिखाओ। आदेश दिया कि जहां भी अभी तक ऐसे मामले सामने आए हैं, वहां पर तत्काल कार्रवाई हो। इसके साथ ही अब जहां कहीं भी ऐसा मामला होता है तो दोषी को तत्काल गिरफ्तार किया जाए।
यूपी में इसलिए पड़ी जरुरत
बता दें यूपी के मुरादाबाद जिले में बुधवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम और पुलिस कोरोना वायरस के संक्रमण में आए परिवार के लोगों को क्वारंटाइन के लिए ले जाने पहुंची थी। तभी नवाबपुरा इलाके के लोगों ने हमला कर दिया। टीम पर न केवल पथराव किया गया, बल्कि एंबुलेंस में तोड़-फोड़ भी की गई। इसके चलते टीम को उल्टे पांव भागकर अपनी जान बचानी पड़ी।
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