यूपी से लेकर बिहार तक... बड़े दलों में सेंधमारी, आखिर क्या है ममता बनर्जी की प्लानिंग?
बीते कुछ दिनों पर नजर डालें तो गोवा से लेकर बिहार और यूपी तक ममता बनर्जी ने कांग्रेस सहित कई दलों में जबरदस्त सेंधमारी की है।
नई दिल्ली, 24 नवंबर: पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की निगाहें अब राष्ट्रीय राजनीति पर लगी हैं। बीते कुछ दिनों पर नजर डालें तो गोवा से लेकर बिहार और यूपी तक ममता बनर्जी ने कांग्रेस सहित कई दलों में जबरदस्त सेंधमारी की है। वहीं, मंगलवार को पूर्व जेडीयू नेता पवन वर्मा भी टीएमसी में शामिल हो गए। ममता बनर्जी फिलहाल दिल्ली में हैं और आज भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी से मुलाकात करने वाली हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि पश्चिम बंगाल के बाहर कांग्रेस और जेडीयू के बाद ममता बनर्जी अगला झटका भाजपा को दे सकती हैं। आइए समझते हैं कि क्या है इसके पीछे का सियासी गणित?
अभी तक कौन-कौन हुआ टीएमसी में शामिल?
विधानसभा चुनाव हारने के बाद पश्चिम बंगाल में भाजपा के कई दिग्गज नेता टीएमसी के सदस्य बन चुके हैं। इनमें मुकुल रॉय, बाबुल सुप्रियो, राजीब बनर्जी और सब्यसाची दत्ता का नाम शामिल है। इसके अलावा अटल बिहार वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने भी बीते दिनों टीएमसी का दामन थामा। पश्चिम बंगाल से बाहर की बात करें तो टीएमसी ने सबसे ज्यादा झटके कांग्रेस को दिए हैं। शुरुआत असम से हुई, जब महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुष्मिता देव टीएमसी में शामिल हुईं। इसके बाद कांग्रेस को अगला झटका गोवा में लगा और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में शामिल रहे पूर्व मुख्यमंत्री लुईजिन्हो फलेरियो टीएमसी में चले गए।
यूपी और बिहार तक ममता की सेंधमारी
असम और गोवा के बाद ममता बनर्जी ने अगली सेंधमारी यूपी में की और राजेशपति त्रिपाठी के साथ ललितेशपति त्रिपाठी ने टीएमसी का दामन थाम लिया। राजेशपति त्रिपाठी यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी के पोते और ललितेशपति त्रिपाठी उनके परपोते हैं। सोमवार को ममता बनर्जी ने कांग्रेस को दो और बड़े झटके दिए और कांग्रेस नेता कीर्ति आजाद के साथ हरियाणा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर टीएमसी में शामिल हो गए। इससे पहले अगस्त के महीने में त्रिपुरा के अंदर त्रिपुरा युवा कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष शांतनु साहा सहित करीब कांग्रेस और भाजपा के करीब 30 नेताओं ने टीएमसी की सदस्यता ली थी।
क्या है ममता बनर्जी की प्लानिंग?
सियासी जानकारों की मानें तो ममता बनर्जी की निगाहें पूरी तरह से 2024 के लोकसभा चुनाव पर हैं। लेकिन, मिशन 2024 से पहले ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल से बाहर के राज्यों में टीएमसी की जड़ें जमाना चाहती हैं। इनमें सबसे पहला नंबर गोवा का है, जहां ममता बनर्जी सबसे ज्यादा सक्रिय नजर आ रही हैं। गोवा में 2022 में विधानसभा के चुनाव होने हैं और ममता की कोशिश वहां भाजपा के सामने एक मजबूत विकल्प खड़ा करने की है।
यूपी को लेकर बना रही हैं खास रणनीति
इसके अलावा सूत्रों के हवाले से यह भी खबर है कि ममता बनर्जी यूपी में ललितेशपति त्रिपाठी और राजेशपति त्रिपाठी के जरिए समाजवादी पार्टी से गठबंधन की कोशिश में हैं। ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी को शिकस्त दे चुकी हैं, ऐसे में उनके चेहरे को अपने पार्टी के साथ जोड़ने में शायद अखिलेश यादव को भी कोई आपत्ति ना हो।
ममता के लिए बिहार क्यों है अहम?
अब बात करते हैं बिहार की, जहां ममता बनर्जी पर्दे के पीछे से एक बड़ी रणनीति को अंजाम देने में जुटी हैं। दरअसल, सूत्रों की मानें तो बिहार में ममता बनर्जी चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर को पार्टी का चेहरा बनाना चाहती हैं। टीएमसी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि कीर्ति आजाद और पवन वर्मा के बाद बिहार के कुछ और बड़े नेता भी जल्द ही उनकी पार्टी के साथ जुड़ेंगे। बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं और इसीलिए ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल के बाद बिहार पर अपना फोकस कर रही हैं।
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