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ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अब तक क्या-क्या मालूम है

ज्ञानवापी मस्जिद में तीन दिन तक चले सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने दावा किया कि मस्जिद में शिवलिंग पाया गया है. मुस्लिम पक्ष इसे फव्वारा बता रहा है. इसके बाद स्थानीय अदालत ने उस जगह को सील करने का आदेश दिया. आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है.

By BBC News हिन्दी
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वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे को चुनौती देने वाली याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो सकती है. यह याचिका मस्जिद की मैनेजमेंट कमिटी ने दायर की थी.

वाराणसी कोर्ट के निर्देश के बाद शनिवार को ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे की शुरुआत हुई थी जिसके बाद लगातार तीन दिनों तक मस्जिद में सर्वे हुआ था.

सोमवार को सर्वे के तीसरे और अंतिम दिन कोर्ट ने ज़िला प्रशासन को निर्देश देते हुए उस जगह को सील करने को कहा था जहां पर सर्वे टीम को कथित तौर पर 'शिवलिंग' मिला था.

शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच के आगे ज्ञानवापी मस्जिद की मैनेजमेंट कमिटी की याचिका सुनवाई के लिए भेजी थी.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में जस्टिस पीएस नरसिम्हा भी शामिल हैं जो इस याचिका की सुनवाई करेंगे.

ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर बीते तीन दिनों में लगातार कई घटनाक्रम बदले हैं. आइये जानते हैं कि शनिवार को सर्वे के पहले दिन से लेकर अब तक इस मामले में क्या कुछ हुआ है.

सर्वे का पहला दिन

पांच महिलाओं ने कोर्ट में याचिका दायर कर ज्ञानवापी मस्जिद के पीछे वाले हिस्से में मां शृंगार गौरी की पूजा और दर्शन करने की मांग की थी.

12 मई को वाराणसी कोर्ट की एक बेंच ने ज्ञानवापी मस्जिद में वीडियोग्राफ़ी और सर्वे करने का आदेश दिया था.

वाराणसी के डीएम कौशल राज शर्मा ने बीबीसी संवाददाता अनंत झणाणें से कहा था, "बनारस में सिविल कोर्ट द्वारा एक आदेश दिया गया था, जिसके मद्देनज़र ज्ञानवापी क्षेत्र और उसके आस-पास के इलाक़े में एक कोर्ट कमीशन की कार्यवाही की जानी थी. कमीशन की कार्यवाही सुबह आठ बजे से बारह बजे तक की गई."

कौशल शर्मा ने बताया था कि इसमें सभी पक्षकार और उनके एडवोकेट और ज़िला प्रशासन के लोग मौजूद थे और ये कार्यवाही शांतिपूर्ण तरीके से पूरी हुई.

डीएम कौशल राज शर्मा ने ये भी जानकारी दी, "लगभग 50 फीसदी से अधिक सर्वे हो चुका है."

उन्होंने कहा कि सर्वे गोपनीय कार्यवाही है और कोर्ट की निगरानी में हो रही है. यह जानकारी नहीं दी जा सकती है कि कौन-कौन से स्थानों का सर्वे हुआ और क्या क्या मिला. उनके मुताबिक़ पक्षकार कार्यवाही से संतुष्ट हैं.

सर्वे में हिस्सा लेने पहुंची महिला याचिकाकर्ता सीता साहू ने कहा, "प्रशासन ने पूरा सहयोग किया और विपक्ष ने भी पूरा सहियोग किया." मौके पर दूसरी महिला याचिकाकर्ता मंजू व्यास और रेखा पाठक भी थीं.

महिला याचिकाकर्ता के वकील सुधीर त्रिपाठी ने बीबीसी को बताया, "आज कार्यवाही में शांतिपूर्ण ढंग से वादी-प्रतिवादी दोनों के सहयोग से और शासन-प्रशासन के भरपूर सहयोग से सर्वे का काम लगभग चार घंटे चला. रविवार को फिर सर्वे होगा. चाबी आराम से मिल गयी. चाबी ही नहीं, किसी भी काम में कोई बाधा नहीं हुई."

मीडिया के "क्या मिला है?" के सवाल पर वकील सुधीर त्रिपाठी ने कहा, "यह सब मत पूछिए, क्या मिला है वो रिपोर्ट में आएगा. पिछली बार जो अड़चन हुई थी, इस बार ऐसा कुछ नहीं था."

सर्वे का दूसरा दिन

रविवार को सुबह 8 बजे दूसरे दिन फिर निरीक्षण शुरू हुआ जो दोपहर 12 बजे तक चला.

इस संबंध में वाराणसी ज़िलाधिकारी ने बयान जारी कर बताया था कि तीन कोर्ट कमिश्नर रविवार को भी सभी पक्षकारों की मौजूदगी में सुबह 8 से दोपहर 12 बजे तक निरीक्षण करते रहे.

इस दौरान सुरक्षा की सुदृढ़ व्यवस्था की गई थी. काशी विश्वनाथ मंदिर के श्रद्धालुओं को ढूंढी राज गणेश और गंगा नदी द्वार के माध्यम से प्रवेश देते हुए ज्ञानवापी के संयुक्त द्वार नंबर 4 से आम लोगों के प्रवेश को चार घंटे बंद रखा गया. कमीशन की कार्यवाही शांतिपूर्वक माहौल में सुचारू रूप से चली.

ज़िलाधिकारी के बयान के अनुसार, इस दौरान प्रतिवादी पक्षकार उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अपर ज़िलाधिकारी प्रशासन, ज़िलाधिकारी वाराणसी की ओर से अपर ज़िलाधिकारी नगर, पुलिस आयुक्त वाराणसी की ओर से अपर उपायुक्त और काशी विश्वनाथ ट्रस्ट की ओर से मुख्य कार्यपालक अधिकारी कमीशन कार्यवाही के हिस्सा बने.

रविवार को भी सभी पक्षों द्वारा न्यायालय के आदेशों का शांतिपूर्ण तरीके से पालन किया गया. कोर्ट कमीशन ने ये निर्णय लिया कि कमीशन की कार्यवाही सोमवार को भी जारी रहेगी.

तीसरा और अंतिम दिन

ज्ञानवापी मस्जिद में सोमवार को लगातार तीसरे दिन भी सर्वे सुबह 8 बजे के क़रीब शुरू हुआ.

सर्वे समाप्त होते ही हिंदू पक्ष के एक वकील ने बाहर आकर दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद में एक जगह 12 फ़ुट का शिवलिंग मिला है और इसके अलावा तालाब में कई और अहम साक्ष्य भी मिले हैं.

इसके बाद शिवलिंग मिलने के दावे पर वाराणसी के ज़िलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने कहा था, "अंदर क्या दिखा इसकी कोई जानकारी किसी भी पक्ष द्वारा बाहर नहीं दी गई है. तो किसी भी उन्माद के आधार पर नारे लगने का दावा झूठ है."

उन्होंने कहा था, "अंदर मौजूद सभी पक्षों को ये हिदायत दी गई थी कि 17 मई को कोर्ट में रिपोर्ट सौंपी जाएगी और तब तक किसी को कोई जानकारी सार्वजनिक करने की इजाज़त नहीं है. लेकिन किसी ने अपनी निजी इच्छा से कुछ बताने की कोशिश की है तो इसकी प्रामाणिकता कोई साबित नहीं कर सकता."

इसके बाद वकील हरिशंकर जैन ने स्थानीय अदालत में अर्ज़ी दायर करते हुए यह दावा किया कि कमीशन की कार्रवाई के दौरान 'शिवलिंग' मस्जिद कॉम्प्लेक्स के अंदर पाया गया है. अदालत को बताया गया कि यह बहुत महत्वपूर्ण साक्ष्य है, इसलिए सीआरपीएफ़ कमांडेंट को आदेश दिया जाए कि वो इसे सील कर दें.

थोड़े समय बाद ही स्थानीय अदालत ने उस स्थान को तत्काल सील करने का आदेश दे दिया.

जज रवि कुमार दिवाकर ने अपने आदेश में लिखा, "एक मामले में पक्षकार के वकील हरिशंकर जैन से सर्वे में शिवलिंग मिलने की जानकारी मिली है और उस स्थान को तत्काल सील कर दिया जाए."

"डीएम को आदेश दिया जाता है कि जिस स्थान पर शिवलिंग प्राप्त हुआ है, उस स्थान को तत्काल प्रभाव से सील कर दें और सील किये गए स्थान पर किसी भी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित किया जाता है."

जज ने यह भी आदेश दिया है, "बनारस के डीएम, पुलिस कमिश्नर, सीआरपीएफ़ कमांडेंट की सील किए गए स्थान को संरक्षित और सुरक्षित रखने की व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी होगी."

बनारस के ज़िलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने अदालत के आदेश की पुष्टि करते हुए बीबीसी को बताया था, ''ये इलाका 30 फ़ुट X 30 फ़ुट है और इसे पहले से ही कवर किया गया है. इसमें तीन दरवाज़े लगे हैं. प्रशासन इन तीनों दरवाज़ों को बंद कर सील कर देगा.''

जब उनसे पूछा गया कि मस्जिद की एंट्री को बंद किया जा रहा है तो उन्होंने जवाब दिया, ''नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है. ये मस्जिद के भीतर खुले इलाके में बना हुआ कृत्रिम तालाब है. इसमें तीन दरवाज़े हैं और इन्हें बंद किया जाएगा. ये पूरे परिसर का 10 फ़ीसदी हिस्सा होगा. बाक़ी परिसर मुसलमान समुदाय इस्तेमाल कर सकता है.''

ये पूछने पर कि वज़ू वाला हिस्सा बंद हो जाएगा, डीएम शर्मा ने कहा, ''जी हां, वज़ू की वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए प्रशासन अपनी ओर से मदद देगा. प्लम्बिंग, पाइप, नल वगैरह चीज़ों की ज़रूरत होगी और इस काम को मंगलवार को पूरा कर लिया जाएगा.''

मस्जिद मैनेजमेंट का क्या है कहना

अंजुमन इंतेज़ामिया मसाजिद के वकील रईस अहमद
BBC
अंजुमन इंतेज़ामिया मसाजिद के वकील रईस अहमद

ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन संभालने वाले संगठन अंजुमन इंतेज़ामिया मसाजिद का कहना है कि "जिसे वो शिवलिंग कहते हैं, वो एक वज़ुखाने के बीच में लगा एक फव्वारा है. वो नीचे चौड़ा होता है, और ऊपर से संकरा होता है. उसका आकर शिवलिंग जैसा होता है. उस फव्वारे को यह शिवलिंग कहते हैं. और उसके आधार पर इन्होंने सारा बवाल खड़ा किया है."

कोर्ट के तुरंत फ़ैसले को लेकर भी मस्जिद मैनेजमेंट कमिटी को आपत्ति है. उनके वकील रईस अहमद का आरोप है कि इस अर्ज़ी पर अंजुमन इंतेज़ामिया मसाजिद को अपना पक्ष रखने का कोई मौका नहीं दिया गया.

उन्होंने बीबीसी को बताया कि उन्होंने खुद कोर्ट में जाकर यह आदेश देखा. सोमवार को सर्वे की कार्रवाई सुबह 10:40 बजे तक चली और वहां से दस्तख़त होते हुए 11 बज गए.

रईस अहमद का कहना है, "आज (सोमवार को बुद्ध जयंती थी) कोर्ट भी नहीं बैठी हुई है, और आज पूरे दिन कोर्ट का बॉयकॉट है, आज कॉन्डोलेन्स भी है, लेकिन इसके बावजूद यह प्रार्थना पत्र दिया गया और ना इस पर हमें कोई सूचना दी गयी, न ही इसकी कॉपी दी गयी और सुनवाई का समय दो बजे होता है, लेकिन इसे 12 बजे सुनकर आदेश दे दिया गया."

वादी पक्ष के वकील हरिशंकर जैन द्वारा दी गयी दरख्वास्त पर आरोप लगाते हुए रईस अहमद कहते हैं, "कमीशन के सर्वे के दौरान बताया गया कि वो बीमार हैं, और जिस होटल में रुके हैं वहीं पर हैं. उनके बेटे विष्णु जैन ने संपर्क किया की उन्हें हॉस्पिटल ले जाना है. और इस तरह की कार्यवाही उन्होंने वहां कचहरी में करवाई है. जिस वक़्त कमीशन की कार्यवाही हो रही थी उस वक्त कचहरी में किस तरह की कार्यवाही हो रही थी. यह सरासर न्याय का उल्लंघन है.

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English summary
What is known so far in the Gyanvapi Masjid case
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