भारत में दंगे फैलाकर फिर से 90 का दशक वापस लाने की तैयारी में आईएसआई।
नई दिल्ली। भारत में वर्तमान समय में एक अजीब सा माहौल देखने को मिल रहा है। संप्रदायों को लेकर बातें हो रही हैं, सहिष्णुता और असिहष्णुता पर बहस चल रही है। साथ ही छोटे-छोटी घटनाएं भी लोगों को परेशान कर रही हैं।
इंटेलीजेंस ब्यूरो और राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए की मानें तो इन सबके पीछे पाकिस्तान की इंटेलीजेंस एजेंसी आईएसआई की एक खतरनाक साजिश काम कर रही है। एक साजिश जिसके तहत फिर से देश को दंगों और सांप्रदायिक तनाव की आगे में झोंककर देश में शांति फैलाना है।
मिल रही दाऊद इब्राहीम की मदद
पिछले दो माह में कुछ ऐसी घटनाएं हुई हैं जिनसे इस ओर इशारा मिलता है। इंटेलीजेंस ब्यूरों के अधिकारियों की मानें तो तीन घटनाओं ने उन्हें परेशान कर दिया है।
इन घटनाओ को अलग-अलग व्यक्तियों ने अंजाम दिया लेकिन इनका मकसद एक ही था। खास बात है कि आईएसआई को इसके लिए अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहीम की भी मदद मिलने लगी है।
हिंदु नेता निशाने पर
पहली घटना महाराष्ट्र के यवतमाल में हुई जहां पर एक युवा ने एक पुलिस कर्मी की हत्या कर दी। इस युवा का कहना था कि उसने ऐसा करके राज्य में गौमांस पर लगे बैन का बदला लिया है।
जांच में जो बात सामने आई है उसके मुताबिक यह युवा एक मौलाना के साथ जुड़ा हुआ था और उसके कहने पर ही उसने इस घटना को अंजाम दिया था।
दूसरी घटना गुजरात के भरुच में हुई जहां पर बताया जा रहा है कि डॉन दाऊद इब्राहीम के करीब जावेद चिकना के कहने पर कुछ शार्प शूटर्स ने हिंदु नेताओं की हत्या की योजना बनाई।
गुजरात एटीएस की मानें तो यह घटना राज्य में सांप्रदायिक तनाव फैलाने के मकसद से अंजाम दी जाने वाली थी।
तीसरी घटना हाल ही में कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में हुई जहां पर इसी तरह की मॉडेस ऑपरेंडी के जरिए सैयद रहमान ने हिंदु नेताओं की हत्या की योजना बनाई। रहमान का अंडरवर्ल्ड से काफी करीबी नाता है।
आईबी की चेतावनी
इंटेलीजेंस ब्यूरों की ओर से चेतावनी जारी की गई है कि अलग-अलग हिस्सों, खासतौर पर जहां धार्मिक स्थल हैं, वहां पर कुछ हिंदु नेताओं को निशाना बनाया जा सकता है। गुजरात एटीएस एनआईए को भरुच की घटना की जांच करने की
जिम्मेदारी सौंपना चाहती है। एटीएस का मानना है कि एक केंद्रीय जांच एजेंसी इस मामले की सही जांच कर सकती है। जावेद चिकना देश से बाहर है और उसके कई राज्यों में संपर्क है। इस मामले में पर फिलहाल गृह मंत्रालय के पास रिपोर्ट जाने के बाद ही कोई फैसला लिया जा सकेगा।
90 के दौर में क्या करती थी आईएसआई
आपको बता दें 90 के दशक में देश में कुछ ऐसा ही माहौल था जब हिंदु नेताओं को निशाना बनाया जाता था और फिर किसी न किसी बात को लेकर दंगे भड़क जाते थे।
उस समय आईएसआई ने अपने इस खतरनाक खेल को देश में अंजाम देने में सफलता हासिल कर ली थी। उस समय आईएसआई ने कुछ आतंकी संगठनों को हिंदु नेताओं को निशाना बनाने का आदेश दिया था।
आईएसआई का मकसद देश में दंगे फैला कर यहां पर अस्थिरता का माहौल पैदा करना था। आईएसआई का तरीका बदल गया है और अब उसका मकसद अपने आर्थिक हितों को दंगे फैलाकर पूरा करना है।