बिहार की राजनीति में क्या हो रहा है? नीतीश कुमार को जीतन राम मांझी का संदेश समझिए!
नई दिल्ली- बिहार में सत्ताधारी गठबंधन की अंदरूनी राजनीति में कोई बड़ा घमासान मचा हुआ है। इस बात के संकेत कई तरह से मिल रहे हैं। अब तो पूर्व मुख्यमंत्री और एनडीए (NDA) की सहयोगी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने सार्वजनिक तौर पर आंतरिक साजिशों की ओर इशारा करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की शान में कसीदे पढ़ने की कोशिश शुरू कर दी है। रविवार सुबह पहले जेडीयू के अंदर से फिर मांझी के हवाले से जो बातें सामने आई हैं, उससे जाहिर हो गया है कि भले ही खुद नीतीश दावा कर रहे हों कि उनकी सरकार अपने पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी, लेकिन इतना तय है कि अंदर ही अंदर बेचैनी जरूर मची हुई है।
नीतीश को मांझी के संदेश के मायने क्या हैं?
बिहार की एनडीए सरकार (NDA Government) में जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) की हैसियत सिर्फ 4 विधायकों की है। लेकिन, उन्हें इस बात का पूरा इल्म है कि मौजूदा विधानसभा में वही चार विधायक कितने करामाती साबित हो रहे हैं। यही वजह है कि वह सीधे तौर पर भले ही ना सही परोक्ष तौर पर गठबंधन के सबसे बड़े दल भाजपा (BJP)पर बिना नाम लिए ना सिर्फ तंज कस रहे हैं, बल्कि साजिशों के भी आरोप लगा रहे हैं। बिहार जदयू(JDU) में सुबह के घटनाक्रमों के बाद मांझी ने ट्विटर पर लिखा है- "राजनीति में गठबंधन धर्म को निभाना अगर सीखना है तो नीतीश कुमार (Nitish Kumar)जी से सीखा जा सकता है....गठबंधन में शामिल दल के आंतरिक विरोध और साज़िशों के बावजूद भी उनका सहयोग करना नीतीश जी को राजनैतिक तौर पर और महान बनाता है। नीतीश कुमार के जज़्बे को सलाम." ये वही मांझी हैं, जो नीतीश के आशीर्वाद से मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हीं को पहचानना भूल गए थे और नवंबर में बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आरजेडी का साथ तब छोड़ा था, जब वहां उन्हें कोई पूछने के लिए भी तैयार नहीं था।
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बिहार की राजनीति में क्या हो रहा है?
अब सवाल उठता है कि आखिर नीतीश कुमार को खुश करने के लिए मांझी बीजेपी से पंगा लेने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? क्या वह नीतीश मंत्रिपरिषद के संभावित विस्तार में अपने दल के लिए कुछ और उम्मीदें पाले बैठे हैं। क्योंकि, नीतीश कुमार को सलामी ठोकने के बाद उन्होंने राजद के तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के लिए भी एक ट्वीट ठोका है और उसमें कैबिनेट विस्तार पर नीतीश कुमार की सरकार की ओर से उन्हें जवाब दिया है- "तेजस्वी यादव जी और उनकी पार्टी को अनर्गल बयान से बचना चाहिए। जब वे अपने दल के राजनैतिक कार्यक्रम खरवास (खरमास) के बाद आरंभ कर रहें हैं तो मंत्रिपरिषद के विस्तार पर इतना क्यों उतावले हो रहें हैं? सही वक्त पर सबकुछ हो जाएगा बस उन्हें सकारात्मक राजनिति पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए।"
दोस्त कौन है और दुश्मन कौन ?
दरअसल, पटना में जनता दल यूनाइटेड की प्रदेश कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक में नीतीश कुमार ने बिना किसी का नाम लिए कहा था कि चुनाव के दौरान उन्हें पता ही नहीं चल सका कि उनका दोस्त कौन है और दुश्मन कौन? बता दें कि इसी बैठक में नीतीश कुमार की मौजूदगी में पार्टी के कुछ हारने वाले उम्मीदवारों ने अपनी हार का ठीकरा भाजपा पर फोड़ा था। उनका आरोप था कि चिराग पासवान की पार्टी को आगे करके बीजेपी ने जदयू के खिलाफ साजिश रची। इसकी वजह से नीतीश के बयान को भी इशारों में भाजपा के लिए ही माना जा रहा है। ऐसे में उसकी तस्दीक करते मांझी के बयान से लगता है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में अंदर ही अंदर भारी घमासान मचा हुआ है। असल में बीजेपी को जदयू से काफी ज्यादा सीटें मिली हैं और नीतीश की पार्टी की हैसियत तीसरे नंबर के दल की रह गई है और लगता है कि जदयू नेता और उनकी पार्टी इस पीड़ा से उबर नहीं पा रही है।