हलाल सर्टिफाइड क्या है, जिसको लेकर हो रहा है विवाद?
नई दिल्ली- ट्विटर पर बुधवार को कई घंटो तक 'धार्मिक सर्टिफाइड' ट्रेंड करता रहा। इस मुहिम के अगुवा वही ऐक्टिविस्ट हैं, जो अमेरिकी फूड-चेन कंपनी मैकडॉनल्ड को चोरी-छिपे अपने उपभोक्ताओं को हलाल मीट खाने को मजबूर करने के लिए खिलाफ कामयाब अभियान चला चुके हैं। इन्होंने केंद्रीय खाद्य और आपूर्ति मंत्रालय से मांग की है कि जिस तरह से सरकार ने मुसलमानों के लिए कंपनियों को अपने प्रोडक्ट पर 'हलाल सर्टिफाइड' लगाने की इजाजत दे रखी है, वैसे ही शाकाहारी खानों के पैकेट पर 'धार्मिक सर्टिफाइड' स्टैंपिंग की भी इजाजत दी जाए। सबसे बड़ी बात ये है कि उनके इस अभियान को भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी का भी सहयोग मिला हुआ है। ऐसे में आइए जानते हैं कि 'हलाल सर्टिफाइड' में क्या होता है, जिसकी वजह से कुछ लोगों को ऐसी मांग करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
'हलाल सर्टिफाइड' की तर्ज पर 'धार्मिक सर्टिफाइड' की मांग
इन दिनों सोशल मीडिया पर 'धार्मिक सर्टिफाइड' खूब ट्रेंड कर रहा है। इसके जरिए एक हस्ताक्षर अभियान चलाकर सरकार से मांग की जा रही है कि जिस तरह से 'हलाल सर्टिफाइड' चीजों की बिक्री को देश में वर्षों से इजाजत मिली हुई है, वैसे ही सनातन धर्म के लिए शाकाहारी या सात्विक फूड को भी बाकायदा मान्यता मिलनी चाहिए। बुधवार को भी ट्विटर पर 'धार्मिक सर्टिफाइड' जोरदार तरीके से ट्रेंड करता रहा। इस मुहिम को आगे बढ़ाने में पेशे से वकील, ऐक्टिविस्ट और राजनीतिक विश्लेषक इशकरण सिंह भंडारी खूब जोर लगा रहे हैं। उन्होंने सरकार के लिए आवेदन भी तैयार किया है कि जैसे देश में 'हलाल सर्टिफाइड' को मंजूरी मिली हुई है, वैसे ही सनातन धर्म के लिए सात्विक खाद्य पदार्थों को ये सर्टिफिकेट दिया जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि मुहिम शुरू करने के कुछ ही घंटों में हजारों लोगों ने इस आवेदन पर हस्ताक्षर किए हैं।
आर्टिकल-14 के आधार पर मांग
इस मुहिम के समर्थकों की दलील यही है कि जब मुसलमान अपनी पसंद से 'हलाल सर्टिफाइड' सामान खरीद सकते हैं तो दूसरों को भी उनका मनपसंद खाना खरीदने का अधिकार मिलना चाहिए। सबसे बड़ी बात है कि इस मुहिम को बीजेपी के बड़े नेता सुब्रमण्यम स्वामी का भी समर्थन प्राप्त है। उन्होंने इशकरण सिंह भंडारी का समर्थन करते हुए दो दिन पहले ही ट्वीट किया था, 'हलाल सर्टिफाइड' को सरकार ने इजाजत दी थी। अब सनातन धर्म की ओर से सात्विक फूड के लिए 'धार्मिक सर्टिफाइड' को मंजूरी दी जाए। एक और ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'इशकरण ने खाद्य मंत्रालय को लिखा है कि चूंकि हलाल सर्टिफिकेट को अनुमति है, तो सनातन धर्म के मानदंडों पर बने हुए खाद्य पदार्थों को 'धार्मिक सर्टिफाइड' की अनुमति भी मिलनी चाहिए। हमारे सामने चेन्नई पुलिस का उदाहरण है जहां एक हिंदू की दुकान के इसलिए सील कर दिया गया कि उसने लिखा था कि सिर्फ 'धार्मिक' खाना। आर्टिकल-14 का मामला- कानून के सामने समानता का अधिकार।'
हलाल क्या है ?
हलाल एक अरबी शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है 'जायज।' मोटे तौर पर हलाल शब्द को नॉनवेज खानों से जोड़ा जाता है, जो पूरी तरह सत्य नहीं है। लेकिन, यह सच है कि जो 'हलाल' नहीं है उसका इस्तेमाल इस्लाम में 'नाजायज' है। अगर बाजार की भाषा में समझें तो 'हलाल' का मतलब वह प्रोडक्ट है, जो शरिया (इस्लामी कानून) कानूनों के मुताबिक है। यानि जो प्रोडक्ट इस्लामी कानूनों के तहत उपयोग के योग्य है, केवल वही हलाल है। खासकर नॉनवेज आइटम की बात करें तो जो प्रोडक्ट 'हलाल' नियमों के तहत तैयार नहीं है, उसका इस्तेमाल गैर-इस्लामिक माना जाता है।
हलाल सर्टिफिकेशन क्या है ?
भारत में हलाल सर्टिफिकेशन के लिए पूरी दुकान खुली हुई है। इस मामले में हलाल इंडिया जैसे संगठन का जिक्र करना जरूरी हो जाता है जो कंपनियों से सिर्फ 'हलाल सर्टिफाइड' स्टैंपिंग के लिए मोटी रकम वसूलते हैं। क्योंकि, बिना 'हलाल सर्टिफाइड' के इस बात को तबज्जो देने वाले मुसलमान वह प्रोडक्ट खरीदेंगे ही नहीं। एक मुहर उन्हें इस बात के लिए निश्चिंत कर देती है कि संबंधित प्रोडक्ट का उत्पादन शरिया कानूनों के तहत किया गया है और उसमें ऐसी कोई भी चीज की मिलावट नहीं है, जो खाना इस्लाम में वर्जित है।
हलाल इंडिया कैसे काम करता है ?
'हलाल सर्टिफाइड' की मुहर लगाने के लिए हलाल इंडिया ने तो एक शरिया बोर्ड तक का गठन कर रखा है, जो इस बात की जांच करता है कि प्रोडक्ट शरिया कानूनों के हिसाब से बना हुआ है या नहीं। आजकल यह सर्टिफिकेट खाने के अलावा दवाई, कॉस्मेटिक्स प्रोडक्ट पर भी लगने लगा है। हलाल इंडिया इस बात का भी प्रचार करता है कि लोग 'हलाल सर्टिफाइड' देखकर ही दुकानों से सामान खरीदें। हलाल इंडिया अंतरराष्ट्रीय हलाल मानकों के पालन का भी दावा करता है। कुल मिलाकर यह पूरी तरह से एक धार्मिक व्यवस्था है।
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