Green Fungus: ग्रीन फंगस क्या है, इसके लक्षण और इंफेक्शन को कैसे रोकें, जानें सबकुछ
Green Fungus: ग्रीन फंगस क्या है, इसके लक्षण और इंफेक्शन को कैसे रोकें, जानें सबकुछ
नई दिल्ली, 17 जून: कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच ब्लैक फंगस (म्यूकोर्मिकोसिस), येलो फंगस, व्हाइट फंगल के बीच अब देश में पहली बार ग्रीन फंगस का मामला सामने आया है। ग्रीन फंगस का पहला मामला मध्य प्रदेश इंदौर से सामने आया है। पहले तो मरीज कोविड-19 से ठीक हो गया था और उसके बाद उसे कुछ टेस्ट के लिए कहा गया था। डॉक्टरों को शक था कि मरीज को ब्लैक फंगस म्यूकोर्मिकोसिस का इंफेक्शन है। लेकिन टेस्ट के बाद पता चला कि मरीज को ग्रीन फंगस है। तो आइए आपको बताते हैं कि ग्रीन फंगस क्या है? कोरोना से इसका कैसे संबंध है, और इसके लक्षण और इंफेक्शन रोकने के उपाए क्या है?
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क्या है ग्रीन फंगस?
ग्रीन फंगस को एस्परगिलोसिस इंफेक्शन भी कहा जाता है। ग्रीन फंगस या एस्परगिलोसिस एक दुर्लभ इंफेक्शन है जो आमतौर पर पाए जाने वाले फंगस की ही प्रजाति है। जिसे मेडिकल टर्म में एस्परगिलस कहा जाता है। यह घर के अंदर और बाहर दोनों जगह पाया जाता है। डॉक्टरों के मुताबिक अधिकांश लोग प्रतिदिन एस्परगिलस बीजाणुओं में ही सांस लेते हैं।
एस्परगिलोसिस या ग्रीन फंगस अब कोरोना से रिकवर हो रहे मरीजों को भी हो रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि ग्रीन फंगस गंभीर वजन घटाने और कमजोरी का कारण भी हो सकता है। cnbctv18 में छपी रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर में ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस और येलो फंगस के मामले तेजी से बढ़ते देखे गए हैं। ये सारे फंगल इंफेक्शन को अलग-अलग रंगों का नाम दिया गया है। लेकिन असल में ये अक्सर फंगस की एक ही प्रजाति के कारण से होते हैं।
एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा था कि कैंडिडा, एस्परगिलोसिस, क्रिप्टोकोकस, हिस्टोप्लास्मोसिस और कोक्सीडियोडोमाइकोसिस जैसे अलग-अलग प्रकार के फंगल इंफेक्शन होते हैं। म्यूकोर्मिकोसिस, कैंडिडा और एस्परगिलोसिस कम इम्यून सिस्टम वाले लोगों में ज्यादा देखा जाता है।
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक ग्रीन फंगस पर अभी और अधिक रिसर्च की जरूरत है। इस बात पर रिसर्च करने की जरूरत है कि क्या कोविड-19 से ठीक हुए लोगों में ग्रीन फंगस के इंफेक्शन की लक्षण बाकी अन्य मरीजों से अलग हैं या नहीं।
क्यों होता है ग्रीन फंगस?
एस्परगिलोसिस फंगस यानी ग्रीन फंगस एस्परगिलस फंगस के सूक्ष्म बीजाणुओं को सांस लेने से हो सकता है। हालांकि आमतौर पर ये शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) कमजोर होने से भी ये हो सकता है। कमजोर इम्यून सिस्टम और फेफड़ों की बीमारियों से ठीक होने वाले या उससे पीड़ित लोगों में एस्परगिलोसिस (ग्रीन फंगस विकसित होने का खतरा अधिक होता है।
कोरोना मरीजों में फंगल इंफेक्शन की बढ़ती संख्या के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं। फेफड़े में दिक्तत, सांस लेने में दिक्कत, स्टेरॉयड का ज्यादा उपयोग, कमजोर इम्यून सिस्टम का होना शामिल है। फंगल इंफेक्शन फैलने वाला रोग नही है, ये एक इंसान से दूसरे इंसान में या फिर लोगों और जानवरों के बीच नहीं फैलता है।
ग्रीन फंगस के सामान्य लक्षण क्या हैं?
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक ग्रीम फंगस के सामान्य लक्षण ये हो सकते हैं; बुखार, छाती में दर्द, खांसी, खांसी में खून का आना, सांस लेने में परेशानी, नाक से खून बहना, कमजोरी, वजन का कम होना इत्यादी।
फंगल इंफेक्शन को कैसे कंट्रोल करें?
-फंगल इंफेक्शन को रोकने के लिए आपको हाइजिन का बहुत ध्यान देना होता है। खासकर ओरल और फीजिकल हाइजिन का।
-वैसे जगहों पर मत जाए, जहां बहुत अधिक धूल हो या फिर दूषित पानी का जमाव हो। अगर आप ऐसे इलाकों में जाते भी हैं को N95 मास्क पहनकर ही जाएं।
- ऐसे काम करने से खुद को रोकें, जिसमें मिट्टी या धूल का इस्तेमाल ज्यादा होने वाला हो।
-अपने चेहरे और हाथों को साबुन और पानी से बार-बार घोते रहें।