आखिर क्या है कृषि संबंधी विधेयक, क्यों मचा है इस पर बवाल?
नई दिल्ली। कृषि संबंधी विधेयक लोकसभा में पास होने के बाद भी मोदी सरकार टेंशन में है क्योंकि विपक्षी दलों और किसानों के साथ-साथ अब तो मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए के सहयोगी दल भी कृषि विधेयक के खिलाफ खड़े हो गए हैं, केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने गुरुवार को मोदी कैबिनेट से कृषि संबंधी विधेयकों का विरोध करते हुए इस्तीफा दे दिया, जिसे राष्ट्रपति ने मंजूर भी कर लिया है, जिसके बाद अब अकाली दल, NDA में रहेगा या नहीं, इस पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।
अब सवाल ये उठता है कि आखिर ये कृषि संबंधी विधेयक है क्या, जिस पर इतना बवाल मचा है, चलिए जानते हैं विस्तार से...
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कृषि संबंधी विधेयक पर मचा है बवाल
सोमवार को लोक सभा में तीन बिल पेश किए गए, मंगलवार को उनमें से एक बिल पास हो गया और बाकी दो विधेयक कल यानी गुरुवार को पारित हुए लेकिन इस पर हंगामा मच गया।
ये हैं वो 3 बिल
- पहला बिल है : कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल
- दूसरा बिल है : मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (संरक्षण एवं सशक्तिकरण बिल)
- तीसरा बिल है : आवश्यक वस्तु संशोधन बिल
किसानों के लिए वरदान है ये विधेयक: केंद्र सरकार
- सरकार के मुताबिक ये विधेयक किसानों के लिए वरदान है।
- इस विधेयक का उद्देश्य किसानों को उपज के लिए लाभकारी मूल्य दिलाना है जो कि खुद किसान सुनिश्चित करेंगे।
- नए विधेयकों के मुताबिक अब व्यापारी मंडी से बाहर भी किसानों की फसल खरीद सकेंगे।
- पहले फसल की खरीद केवल मंडी में ही होती थी लेकिन अब मंडी के बाहर भी खरीद-फरोख्त हो पाएगी।
- केंद्र ने अब दाल, आलू, प्याज, अनाज और खाद्य तेल आदि को आवश्यक वस्तु नियम से बाहर कर दिया है।
- केंद्र ने कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग (अनुबंध कृषि) को बढ़ावा देने पर भी काम शुरू किया है।
क्यों कर रहे हैं किसान विरोध?
- किसान संगठनों का आरोप है कि नए कानून से कृषि क्षेत्र भी पूंजीपतियों या कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा और इसका नुकसान किसानों को ही होगा।
- अब बाजार में एक बार फिर से पूंजीपतियों का बोलबाला होगा और आम किसान के हाथ में कुछ नहीं आएगा और वो पूंजीपतियों के लिए केवल दया का पात्र रह जाएगा।
- ये विधेयक बड़ी कंपनियों द्वारा किसानों के शोषण की स्थिति को जन्म देने वाला है।
- कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल पर किसानों को सबसे ज्यादा आपत्ति है।
- किसानों का कहना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली का प्रावधान खत्म हो जाएजा, जो कि किसानों के लिए सही नहीं है।
क्या कहा पीएम मोदी ने?
विधेयक पारित होने के बाद पीएम मोदी ने कहा, किसानों को भ्रमित करने में बहुत सारी शक्तियां लगी हुई हैं लेकिन मैं अपने किसान भाइयों और बहनों को आश्वस्त करता हूं कि MSP और सरकारी खरीद की व्यवस्था बनी रहेगी। ये विधेयक वास्तव में किसानों को कई और विकल्प प्रदान कर उन्हें सही मायने में सशक्त करने वाले हैं।
किसानों को स्वतंत्रता देने वाला विधेयक
आपको बता दें कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि उपज एवं कीमत आश्वासन संबंधी विधेयकों को 'परिवर्तनकारी' बताते हुए गुरुवार को कहा कि किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का तंत्र जारी रहेगा और इन विधेयकों के कारण तंत्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। तोमर ने कहा कि यह किसानों को बांधने वाला विधेयक नहीं बल्कि किसानों को स्वतंत्रता देने वाला विधेयक है।