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#Euthanasia: क्या है इच्छामृत्यु, किसे मिली है इजाजत, क्या है आवश्यक दिशानिर्देश

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने ऐतिहासिक फैसले में इच्छामृत्यु की कुछ दिशानिर्देश के साथ इजाजत दे दी है। कोर्ट के इस फैसले के बाद जो सबसे बड़ा सवाल खड़ा हुआ है कि इसकी इजाजत किन लोगों को दी गई है और किन परिस्थितियों में इच्छा मृत्यु की यह इजाजत दी गई है। इन तमाम सवालों के जवाब इसलिए भी काफी अहम हो जाते हैं क्योंकि इसके बारे में सही जानकारी नहीं होना बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकता है और इसका दुरुपयोग होना लाजमी है। लिहाजा हम आपको कोर्ट के फैसले के बाद यह इजाजत किसपर लागू होगी इसकी पूरी जानकारी देंगे।

किसे मिली है इजाजात

किसे मिली है इजाजात

कोर्ट ने लिविंग विल को इजाजत देने का फैसला लिया है, यह लिविंग विल वह मरीज तैयार करता है जो अपना इलाज कराने जा रहा होता है। उसे इस बात के बारे में डॉक्टर बताते हैं कि इस बात की संभावना है कि इलाज के दौरान आप स्थायी रूप से हमेशा के लिए निष्क्रिय हो जाए। ऐसी स्थिति में मरीज अपने इलाज से पहले यह लिविंग विल तैयार करवाता है और इसपर अपने हस्ताक्षर करता है। कोर्ट के फैसले के बाद जिन मरीजों ने अपनी लिविंग विल बनवाई है उन्हे इच्छामृत्यु की इजाजत दी गई है।

क्या है आवश्यक दिशानिर्देश

क्या है आवश्यक दिशानिर्देश

कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा है कि इच्छामृत्यु की इजाजत कुछ आवश्यक दिशानिर्देश के अंतर्गत ही दी जा सकती है। कोर्ट ने यह साफ किया है कि जबतक इस बाबत कानून नहीं बन जाता है तबतक कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि इच्छामृत्यु दिए जाने से से पहले इस बात को सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि लिविंग विल को मजिस्ट्रेट के सामने तैयार किया गया है और दो गवाह इस दौरान मौजूद थे। अन्यथा इसका दुरुपयोग हो सकता है।

क्या कहा कोर्ट ने

क्या कहा कोर्ट ने

सुप्रीम कोर्ट कोर्ट का यह ऐतिहासिक फैसला 5 जजों की खंडपीठ ने दिया है, जिसके अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा कर रहे थे। पांच जजों की बेंच में जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा जस्टिस एके सीकरी, एएम खानविलकर, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण भी शामिल थे। पीठ ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले का मुख्य सार यह है कि क्या कानून पीड़ित को बिना दर्दरहित मृत्यु की इजाजत देता है या नहीं।

कोर्ट के अनुसार क्या है पैसिव यूथनेशिया यानि इच्छामृत्यु

कोर्ट के अनुसार क्या है पैसिव यूथनेशिया यानि इच्छामृत्यु

सुप्रीम कोर्ट ने इच्छामृत्यु को अरुणा रामचंद्र शानबाग बनाम केंद्र सरकार (7 मार्च,2017) मामले में परिभाषित किया था। इच्छामृत्यु को कोर्ट ने परिभाषित करते हुए कहा था कि अगर मरीज का मेडिकल ट्रीटमेंट हो रहा है और वह जीवन के लिए कृतिम मेडिकल सिस्टम पर निर्भर है जिसे हटाते ही उसकी मृत्यु हो जाएगी तो उसे दवाओं के द्वारा इच्छामृत्यु दी जा सकती है। पीठ के फैसले में जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जीवन और मृत्यु अभिन्न हैं, हर पल हमारे शरीर में परिवर्तन होता है, जीवन को मृत्यु से अलग नहीं किया जा सकता है, मरना जीवन प्रक्रिया का ही हिस्सा है।

इसे भी पढ़ें- #Euthanasia: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, आवश्यक दिशानिर्देश के साथ इच्छामृत्यु की इजाजत

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English summary
What is euthanasia who can be granted and what is the guideline for it complete information. SC give nod to the passive euthanasia.
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