Citizenship Amendment Bill 2019: क्या है नागरिकता संशोधन बिल, जानें 10 खास बातें
Citizenship Amendment Bill 2019: क्या है नागरिकता संशोधन बिल, जानें 10 खास बातें
नई दिल्ली। लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी आज नागरिकता संशोधन विधेयक ( Citizenship Amendment Bill 2019 ) पास हो गया। दोनों सदनों में पास होने के बाद अब इस बिल को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद अब नागरिकता संशोधन विधेयक कानून बन जाएगा। इस विधेयक के कानून बनने के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान मिलेगा। इस बिल के बारे में कुछ खास बातें आपको जरूर जाननी चाहिए। आइए जाने नागरिकता संशोधन बिल 2019 से जुड़ी 10 खास बातें...
नागरिक संशोधन बिल 2019 के पास होने और कानून का रूप लेने के बाद पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से प्रताड़ित होकर भारत आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी।
इस बिल के पास होने के बाद जिन शरणार्थियों ने 31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश किया है उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी, जिसके लिए वो आवेदन कर सकेंगे।
इस बिल के पास होने और कानून बनने के बाद भारतीय नागरिकता के लिए भारत में कम से कम 11 साल भारत में रहना अनिवार्य है।वहीं नए बिल में प्रावधान है कि पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक अगर पांच साल भी भारत में रहे हों तो उन्हें भारत की नागरिकता दी जा सकती है।
इस बिल के मुताबिक अगर भारत में अवैध रूप से रहने को लेकर उनपर पहले से कोई भी कानूनी कार्रवाई चल रही हो तो भी वो उनकी स्थायी नागरिकता की पात्रता को प्रभावित नहीं करेगी।
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इस विधेयक के मुताबिक अगर ओसीआई कार्डधारक नियमों का उल्लंघन करते हैं तो उनका कार्ड रद्द किया जा सकता है। उनके लिए जुर्माने और सजा का प्रावधान है।
वहीं इस बिल के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले मुसलमानों को भारत की नागरिकता नहीं दी जाएगी। केंद्र सरकार ने इसके पीछे की वजह बताते हुए कहा कि पाकिस्तान, बंग्लादेश और अफगानिस्तान से आए मुस्लिमों को इस विधेयक से बाहर रखने के पीछे का कारण यह है कि इन तीन देशों में मुस्लिम बहुसंख्यक हैं।मुस्लिम बाहुल्य देशों में मुस्लिमों का धार्मिक आधार पर उत्पीड़न नहीं हो सकता।
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इस बिल से मुस्लिमों को बाहर रखने पर अमित शाह ने कहा कि भारत के मुसलमान भारतीय नागरिक थे, हैं और बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के मकसदों को लेकर वोट बैंक की राजनीति से जोड़ना गलत है।
इस बिल को लेकर देश के पूर्वोत्तर राज्यों में विरोध हो रहा है। उनकी चिंता है कि पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिन्दुओं को नागरिकता प्रदान की जा सकती है।
इस बिल के पक्ष में भाजपा, अन्नाद्रमुक , बीजद , जदयू , अकाली दल समेत कई और दल है। शिवसेना ने लोकसभा में समर्थन किया, जबकि राज्यसभा में इस बिल पर वोटिंग से पहले शिवसेना ने वॉकआउट कर लिया।
वहीं कांग्रेस , टीएमसी , सपा , राजद , एनसीपी , माकपा , टीआरएस , डीएमके , बसपा , आम आदमी पार्टी, मुस्लिम लीग, जेडीएस दलों ने इस बिल का विरोध किया और इसे संविधान विरोधी बताया है।