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जानिए S-400 की डील के बाद भारत पर कौन से प्रतिबंध लगा सकता है अमेरिका

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नई दिल्‍ली। हैदराबाद हाउस में इस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमिर पुतिन के बीच मुलाकात चल रही है। मीटिंग के बाद दोनों नेताओं की ओर से ज्‍वॉइन्‍ट स्‍टेटमेंट जारी किया जाएगा। इस स्‍टेटमेंट के बाद ही पता लग पाएगा कि भारत और रूस के बीच एस-400 एयर एंड मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम की डील पर मोहर लग पाई है या नहीं। अमेरिका की तरफ से इस डील को लेकर पहले ही प्रतिबंधों की धमकी दी जा चुकी है। अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि अगर भारत पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाए तो फिर भारत उनसे कैसे निबटेगा। ये भी पढ़ें-Putin in India: हैदराबाद हाउस में हो रही है पीएम मोदी और रूस के राष्‍ट्रपति पुतिन की मुलाकात

क्‍या है काटसा

क्‍या है काटसा

काटसा यानी काउंटरिंग अमेरिकाज एडवरसरीज थ्रू सैंक्‍शंस एक्‍ट और इस एक्‍ट अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से 'एकमात्र लक्ष्‍य' करार दिया गया है। इसका मकसद रूस की सरकार को रक्षा सौदों से होने वाले फायदे को रोकना है। अमेरिका ने साफ कर दिया है कि एस-400 सिस्‍टम की खरीद एक 'महत्‍वपूर्ण सौदा' है। ऐसे में भारत पर प्रतिबंधों का विकल्‍प भी खुला है। पिछले दिनों चीन ने रूस के साथ सुखोई-35 और एस-400 की ही डील को अंजाम दिया। इस सौदे के बाद अमेरिका ने चीन के इक्विपमेंट डेवलपमेंट डिपार्टमेंट (ईडीडी) सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (सीएमसी) और इसके डायरेक्‍टर पर प्रतिबंध लगा दिए थे। काटसा के तहत कोई ऐसे खास प्रतिबंधों की जानकारी नहीं दी गई है जो किसी पर लगाए जाएंगे बल्कि 12 में से सिर्फ पांच या फिर कुछ प्रतिबंध लगाए जाएंगे जिनकी मंजूरी राष्‍ट्रपति की तरफ से मिलेगी।

किस पर लग सकता है प्रतिबंध

किस पर लग सकता है प्रतिबंध

यह प्रतिबंध उस व्‍यक्ति पर लगे जो जान-बूझकर किसी 'महत्‍वपूर्ण लेन'देन' में शामिल होंगे। चीन पर जो प्रतिबंध लगा है वही ईडीडी पर लगा है जो चीन की सेना के लिए उपकरण खरीदती है। ऐसे में अगर भारत की ओर से डील को अंजाम दिया जाता है तो फिर ये प्रतिबंध रक्षा खरीद परिषद यानी डीएसी जिसकी मुखिया रक्षा मंत्री हैं या फिर रक्षा खरीद मंडल यानी डीपीबी पर लग सकते हैं जिसके मुखिया रक्षा सचिव होते हैं। अमेरिका के राष्‍ट्रपति या फिर विदेश मंत्री या वित्‍त मंत्री इस बात का फैसला करेंगे कि प्रतिबंध किस पर लगाया जाए।

क्‍या होंगे प्रतिबंध

क्‍या होंगे प्रतिबंध

काटसा के नियम 231 के तहत कोई खास तरह का प्रतिबंध नहीं बताया गया है। इस नियम में राष्‍ट्रपति को यह अधिकार है कि वह पांच या फिर इससे ज्‍यादा प्रतिबंधों को जिन्‍हें नियम 235 के तहत मान्‍यता दी गई है, मंजूरी दे। प्रतिबंधों की लिस्‍ट में 12 तरह के प्रतिबंध बताए गए हैं। इनमें से 10 प्रतिबंध ऐसे हैं जिनका प्रभाव या बहुत कम है या फिर इन प्रतिबंधों से भारत के रूस या अमेरिका के साथ रिश्‍तों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इनमें से कुछ प्रतिबंध इस तरह से हैं-

प्रतिबंधित व्‍यक्ति को कर्ज देने पर रोक।
एक्‍सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक की मदद पर रोक।
अमेरिकी सरकार की ओर से वस्‍तुओं और सेवाओं की खरीद पर रोक।
प्रतिबंधित व्‍यक्ति या संस्‍था के करीबी व्‍यक्तियों के वीजा पर रोक। ये भी पढ़ें-'अंकल सैम' की परवाह किए बिना रूस के लिए अपना प्‍यार जताएगा भारत, चीन और पाकिस्‍तान भी होंगे परेशान!

कैसे पड़ेगा रिश्‍तों पर असर

कैसे पड़ेगा रिश्‍तों पर असर

विशेषज्ञों के मुताबिक इनमें से सिर्फ दो ही तरह के प्रतिबंध जिसमें बैंकों से जुड़ा लेनदेन शामिल है, भारत और रूस के रिश्‍तों पर प्रभाव डालेगा। अगर यह प्रतिबंध लागू हुआ तो फिर भारत को एस-400 सिस्‍टम की खरीद के लिए अमेरिकी डॉलर में पेमेंट क‍रना मुश्किल हो जाएगा। इसके अलावा वहीं निर्यात से जुड़ा प्रतिबंध भारत और अमेरिका के रिश्‍तों को प्रभावित कर सकता है। इसके लागू होने से भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी प्रभावित होगी क्‍योंकि अमेरिक की तरफ से नियंत्रित होने वाली किसी वस्‍तु के लाइसेंस को मिलने में मुश्किल हो सकती है।

तो क्‍या अमेरिका करेगा फैसले पर विचार

तो क्‍या अमेरिका करेगा फैसले पर विचार

अमेरिका की तरफ से यह प्रतिबंध उसी समय भारत पर लागू होंगे जब डील के तहत पेंमेंट किया जाएगा या फिर इन आइटम को ट्रांसपोर्ट करके भारत लाया जाएगा। ऐसे में भारत के पास मौका होगा कि वह अमेरिका से इस पर चर्चा कर सकेगा। हो सकता है कि भारत और रूस पेमेंट पर कुछ अलग तरह से रजामंदी जाहिर करें। अगर सिस्‍टम के लिए रकम अदायगी में देर होगी तो भारत को थोड़ी राहत मिल सकती है। सूत्रों की मानें तो भारत यह संदेश देने की कोशिश कर सकता है कि उसके आसपास का सुरक्षा माहौल काफी खतरनाक है। साथ ही साउथ चाइना सी में चीन की गतिविधियों की वजह से साउथ ईस्‍ट एशिया के देशों में चिंता का माहौल है। इसके अलावा पाकिस्‍तान दक्षिण एशिया में अस्थिरता पैदा करने वाली वजह है। हो सकता है कि इन वजहों के बाद अमेरिका, भारत पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले पर कुछ विचार करे।

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English summary
It remains to be a ticklish issue for India how to deal with the matter if the United States imposes sanctions in view of India purchasing S-400 Triumf.
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