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Article 142 क्या है, जिसका सुशांत केस में पहली बार SC के सिंगल बेंच ने किया इस्तेमाल

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नई दिल्ली- सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच सीबीआई को सौंपकर सुप्रीम कोर्ट ने उनके करोड़ों प्रशंसकों और परिवार वालों की मुराद पूरी कर दी है। क्योंकि, बहुत सारे लोगों और सुशांत के परिवार वालों को लग रहा था कि मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार इस केस में कुछ ना कुछ छिपाने की कोशिश कर रही है। खासकर जिस तरह से घटना के दो महीने बाद एक भी एफआईआर दर्ज नहीं हुई थी, उससे शक की उंगलियां उठनी स्वाभाविक थीं। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को देने के लिए अपने जिस अधिकार का इस्तेमाल किया है, वह अपने आप में इस केस को ऐतिहासिक बना दिया है। सीबीआई जांच का आदेश संविधान के आर्टिकल 142 के तहत दिया गया है। आइए जानते हैं कि इस आर्टिकल के तहत सुप्रीम कोर्ट के पास क्या अधिकार हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 142 के तहत दिया आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 142 के तहत दिया आदेश

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत केस में सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से सीबीआई जांच को हरी झंडी दिखाई है, वह भारतीय न्याय व्यवस्था के लिए ऐतिहासिक बन गया है। क्योंकि, यह ऐसा पहला मामला है, जब सुप्रीम कोर्ट के सिंगल बेंच ने फैसला देने के लिए संविधान के आर्टिकल 142 के तहत अपनी असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल किया है। बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में किसी भी सिंगल बेंच ने संविधान के इस आर्टिकल के तहत कोई आदेश नहीं पारित किया था। सुप्रीम कोर्ट के सिंगल बेंच के जस्टिस हृषिकेश रॉय ने सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच सीबीआई से कराने के लिए संविधान के आर्टिकल 142 के तहत आदेश देते हुए कहा है, 'इस मामले में लोगों में जांच के प्रति भरोसा कायम करने और पूर्ण न्याय दिलाने के लिए, यह अदालत संविधान के आर्टिकल 142 के तहत मिली शक्तियों को लागू करना उपयुक्त समझती है।'

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सुशांत केस में अदालत ने सिंघवी की आपत्तियों को ठुकराया

सुशांत केस में अदालत ने सिंघवी की आपत्तियों को ठुकराया

महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी की ओर से इसको लेकर आपत्तियों को भी अदालत ने सिरे से खारिज कर दिया। सिंघवी ने अदालत को यह समझाने की कोशिश की थी कि सिंगल बेंच को आर्टिकल 142 के तहत मिली शक्तियों के इस्तेमाल का अधिकार ही नहीं है, इसके लिए कम से कम दो जजों का होना जरूरी है। लेकिन, जस्टिस रॉय ने उनकी आपत्तियों को नहीं माना। अदालत ने कहा, 'सौंपे गए रोस्टर के लिए न्यायिक क्षेत्राधिकार वाले न्यायालय के रूप में, वर्तमान मामले में पूर्ण शक्तियों के इस्तेमाल में कोई बाधा नहीं नजर आती।' जस्टिस रॉय ने यह भी कहा कि आर्टिकल 142 के मुताबिक 'सुप्रीम कोर्ट अपने अधिकार क्षेत्र के पालन के लिए' पूर्ण न्याय के लिए आवश्यक सभी तरह के उपयुक्त आदेशों को जारी कर सकता है।

क्या कहता है संविधान का आर्टिकल 142

क्या कहता है संविधान का आर्टिकल 142

यानि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि भारतीय संविधान के तहत सिंगल बेंच को भी आर्टिकल 142 के तहत आदेश पारित करने का पूर्ण अधिकार प्राप्त है। गौरतलब है कि भारतीय संविधान के आर्टिकल 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार है कि वह किसी भी केस में 'पूर्ण न्याय' देने के लिए कोई भी आवश्यक आदेश पारित कर सकता है। इस आर्टिकल के मुताबिक, 'अपने अधिकार क्षेत्र के पालन करने के दौरान सुप्रीम कोर्ट पूर्ण न्याय देने के लिए आवश्यकता पड़ने पर ऐसी व्यवस्था दे सकता है या आदेश जारी कर सकता है, जो किसी मुकदमे या मामले के रूप में उसके पास लंबित हो......'

सुशांत केस की निष्पक्ष जांच समय की जरूरत- सुप्रीम कोर्ट

सुशांत केस की निष्पक्ष जांच समय की जरूरत- सुप्रीम कोर्ट

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सुशांत सिंह राजपूत केस की जांच सीबीआई से कराने की बिहार सरकार की सिफारिश को जायज करार देते हुए, इस केस की जांच सीबीआई से ही कराने को हरी झंडी दे दी है। अदालत ने महाराष्ट्र सरकार की मांगों को खारिज करते हुए उसे सीबीआई जांच में पूरी तरह से सहयोग करने का भी आदेश दिया है। अदालत ने सुशांत की लिव-इन पार्टनर रही रिया चक्रवर्ती और महाराष्ट्र सरकार की उन दलीलों को भी खारिज कर दिया है कि बिहार में इस केस की एफआईआर होना गलत था या बिहार सरकार ने अपने अधिकारों का उल्लंघन किया। अदालत ने अपने फैसले में दो टूक कहा कि, 'सुशांत सिंह राजपूत एक टैलंटेड ऐक्टर थे और उनके पूरे टैलेंट का पता चलने से पहले ही उनकी मौत हो गई। काफी लोग इस केस की जांच के परिणाम का इंतजार कर रहे हैं, इसलिए कयासों को रोकना होगा। इसलिए इस मामले में निष्पक्ष, पूर्ण और तटस्थ जांच समय की जरूरत है।' पटना में एफआईआर दर्ज होने के खिलाफ याचिका रिया चक्रवर्ती लेकर गई थी।

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English summary
What is Article 142, which is used first time by the single bench of the SC in Sushant's matter
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