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जल्द मुफ्त अनलिमिटेड कॉलिग पर अंकुश लगा सकती है रिलायंस जियो!

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बेंगलुरू। सूचना क्रांति के क्षेत्र में पिछले तीन वर्षों में हलचल मचाने वाली रिलायंस जियो अब बाजारवाद के दौर में लौट रही है। इसका संकेत रिलायंस इंफोकॉम ने हाल ही में तब दिया जब उन्होंने ऐलान किया कि आने वाले कुछ हफ्तों में वह अपने टैरिफ में बड़ा बदलाव करने जा रही है। जी हां, यह सच है। कंपनी अब जियो उपभोक्ताओं के मुफ्त अनिलिमिटेड वॉयस कॉलिंग सुविधा में अंकुश लगाने अथवा कटौती की घोषणा भी कर सकती है।

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रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड अब पेशेवर तरीके से टेलीकॉम इंडस्ट्री में उतरने जा रही है, जिससे अनिलिमिटेड मुफ्त कॉलिंग और सस्ते टैरिफ वाले डेटा सर्विसेज के दिन लदने वाले हैं। हालांकि पिछले दिनों ही रिलायंस जियो ने जियो से दूसरे नेटवर्क पर कॉल करने के लिए पैसे चार्ज करने शुरू कर दिए थे, जिसकी वजह कंपनी ने ट्राई द्वारा आईयूसी चार्ज की वैधता को 2022 तक जारी रखने को बताया था।

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गौरतलब है टेलीकॉम इंडस्ट्री की शीर्ष कंपनी में शुमार एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया कंपनियों ने 1 दिसबंर से टैरिफ दर बढ़ाने का ऐलान कर चुकी है। दोनों कंपनियों ने सितंबर महीने में खत्म हुई तिमाही में कुल 74000 करोड़ रुपये की नुकसान का हवाला देते हुए टैरिफ दर में बढ़ोत्तरी को घोषणा की है। माना जाता है कि एजीआर के भुगतान के चलते दोनों कंपनियों को व्यापार में भारी नुकसान झेलना पड़ा है और अगर दोनों कंपनियां ने टैरिफ दर में बढ़ोत्तरी नहीं करती तो उनका दीवाला निकल सकता था।

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एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया द्वारा 1 दिसंबर से टैरिफ दर में वृद्धि की घोषणा के बाद अभी रिलायंस जियो ने भी एजीआर का हवाला देते हुए ऐलान कर दिया है कि वह भी जल्द टैरिफ प्लान में बदलाव करने जा रही है। टेलीकॉम इंडस्ट्री के बड़े प्लेयर्स द्वारा उठाए जा रहे इन कदमों से माना जा रहा है कि अब सस्ती कॉलिंग और सस्ते टैरिफ वाले डेटा सर्विस के दिन बीतने वाले हैं।

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भारतीय टेलीकॉम इंडस्ट्री में पिछले 20 वर्षों से राज कर रही एयरटेल, वोडाफोन -आइडिया की घोषणा के बाद दोनों कंपनियों के शेयरों में उछाल दर्ज किया गया है और माना जा रहा है कि दोनों कंपनियों को बढ़े हुए टैरिफ दर से एजीआर भुगतान से होने वाले नुकसान की भरपाई करने में काफी हद तक मदद मिल सकती है।

ऐसा पहली बार है जब रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चैयरमेन मुकेश अंबानी ने शीर्ष टेलीकॉम कंपनियों के फैसलों के सुर में सुर मिलाते हुए रिलायंस जियो के टैरिफ में वृद्धि करने की घोषणा की है। हालांकि मुकेश अंबानी ने इसके लिए शब्द अलग चुने हैं। उनका कहना है कि रिलायंस इंफोकाम भी अन्य ऑपरेटर्स की तरह सरकार के साथ काम करेगी।

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जियो इंफोकॉम के मुताबिक कंपनी टेलीकॉम इंडस्ट्री को मजबूत करने के लिए जियो टैरिफ में वृद्धि करने साथ अन्य जरूरी कदम भी उठाने जा रही है। हालांकि जियो इंफोकॉम अनलिमिटेड वॉयस कॉलिंग और डेटा टैरिफ में क्या बदलाव करने जा रही है अभी तक इसका खुलासा नहीं किया गया है।

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उल्लेखनीय है सितंबर, वर्ष 2016 में रिलायंस जियो के भारतीय टेलीकॉम इंडस्ट्री में प्रवेश के बाद देश की आधी आबादी रिलायंस जियो की ओर रूख कर गई। वजह थी मुफ्त वॉयस कॉल और 5 रुपए प्रति जीबी से कम डेटा टैरिफ। पिछले तीन वर्ष अकेले ही पूरी टेलीकॉम इंडस्ट्री में राज कर रही रिलायंस जियो ने तब से लेकर अब तक पिछले 20 वर्षों से भारतीय टेलीकॉम इंडस्ट्री शीर्ष रही कंपनियों को धूल चटा दिया था।

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मुफ्त कॉलिंग और सस्ते टैरिफ वाले डेटा सर्विस ने उपभोक्ताओं को एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया जैसी कंपनियों की सेवा को छोड़कर रिलायंस जियो को अपना लिया और देखते ही देखते रिलायंस जियो महज तीन वर्ष में टेलीकॉम इंडस्ट्री की बादशाह बन गई। जियो द्वारा उपभोक्ताओं को मुफ्त और सस्ते टैरिफ ने शीर्ष कंपनियों का कीमतों पर एकाधिकार कम से कम 4जी सर्विस पर खत्म कर दिया, लेकिन अभी शीर्ष कंपनियां 58 फीसदी 2जी यूजर्स से पैसे छाप रही थीं।

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रिलायंस जियो अभी 35.4 करोड़ यूजर्स के साथ भारत की दूसरी बड़ी टेलीकॉम कंपनी है जबकि वृहद सब्सक्राइबर्स के मामले एयरटेल शीर्ष यानी पहले स्थान पर मौजूद और वोडाफोन -आइडिया तीसरे स्थान पर मौजूद हैं। रिलायंस जियो चाहती तो जियो उपभोक्ताओं के हित को देखते हुए टैरिफ नहीं बढ़ाकर एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया कंपनी पर पलटवार कर सकती थी।

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क्योंकि एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया के टैरिफ में 1 दिसंबर से वृद्धि के बाद भारी मात्रा में एयरटेल और वोडाफोन यूजर्स जियो की ओर स्विच कर सकते थे। इससे जियो इंफोकॉम एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया से बदला ले सकती थी, जिन पर आईयूसी को शून्य करने की वैधता के खिलाफ लॉबिंग करने का आरोप लगता रहा है।

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मालूम हो, सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर माह में दूर संचार विभाग की याचिका पर एक फैसला सुनाया था, जिसके तहत दूर संचार विभाग को ये अधिकार दिया गया कि टेलीकॉम कंपनियों से बतौर एजीआर 94000 करोड़ रुपए वसूले जाएं, जो कुल मिलाकर लगभग 1.3 करोड़ रुपए की रकम बैठती है।

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इसमें वोडाफोन-आइडिया को सबसे ज्यादा पैसा चुकाना है। यही कारण है कि सभी कंपनियों ने टैरिफ बढ़ाने के पीछे सरकार द्वारा वसूले जाने वाले एजीआर का हवाला दे रही हैं। कहा जा रहा है कि टेलीकॉम कंपनियों द्वारा बढ़ाई जा रही कीमतें प्रीपेड और पोस्टपेड दोनों उपभोक्ताओं पर लागू होंगी।

यह भी पढ़ें- जियो लांचिंग के 3 वर्ष बाद पहली बार एयरटेल-वोडाफोन के बुने जाल में फंस गए मुकेश अंबानी

क्या है एजीआर? एयरटेल और वोडाफोन को बढ़ाना पड़ा टैरिफ

क्या है एजीआर? एयरटेल और वोडाफोन को बढ़ाना पड़ा टैरिफ

दूरसंचार ऑपरेटरों को लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम शुल्क के भुगतान के रूप में केंद्र को 'राजस्व हिस्सेदारी' के रूप में करना होता है। इस राजस्व हिस्सेदारी की गणना के लिए इस्तेमाल की जाने वाली राजस्व राशि को एजीआर के रूप में जाना जाता है। DoT के अनुसार गणना में एक टेलीकॉम कंपनी द्वारा अर्जित सभी राजस्व को शामिल किया जाना चाहिए। इसमे गैर-टेलीकॉम स्रोत मसलन पेमेंट्स बैंक में जमा राशि पर ब्याज और परिसंपत्तियों की बिक्री शामिल है। हालांकि टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि AGR में केवल दूरसंचार सेवाओं से उत्पन्न राजस्व शामिल होना चाहिए और इससे गैर-दूरसंचार राजस्व को बाहर रखा जाना चाहिए।

वर्ष 2005 से एजीआर को लेकर चल रही है लड़ाई

वर्ष 2005 से एजीआर को लेकर चल रही है लड़ाई

दूरसंचार विभाग (DoT) और टेलीकॉम कंपनियों के बीच एजीआर को लेकर यह विवाद 2005 से चल रहा है। दरअसल, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया टेलीकॉम कंपनी के लिए लॉबिंग करने वाली ग्रुप सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने AGR गणना के लिए DoT की परिभाषा को चुनौती दी थी। विवाद पर वर्ष 2015 में टीडीसैट ने फैसला सुनाया कि गैर-मुख्य स्रोतों से पूंजी प्राप्तियां और राजस्व को छोड़कर एजीआर में सभी प्राप्तियां शामिल थीं। मसलन, एजीआर में किराया, अचल संपत्तियों की बिक्री पर लाभ, लाभांश, ब्याज और विविध आय इत्यादि शामिल थीं।

दूर संचार कंपनियों को कैग ने दोषी ठहराया

दूर संचार कंपनियों को कैग ने दोषी ठहराया

एक हालिया रिपोर्ट में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने दूरसंचार कंपनियों को "अंडरस्टैंडिग रेवन्यू" के लिए 61,064.5 करोड़ रुपये का दोषी ठहराया और सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई में DoT ने टेलीकॉम कंपनियों से बकाया राशि पर जुर्माने, जुर्माने और ब्याज की मांग की थी, जो कि 92,641 करोड़ रुपए है। (इसमें विवादित वास्तविक मांग 23,189 करोड़ रुपए, 41,650 करोड़ रुपए के ब्याज छूट, 10,923 करोड़ रुपए का जुर्माना और 16,878 करोड़ रुपए के दंड पर ब्याज शामिल है) सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार द्वारा की गई एजीआर गणना की परिभाषा के पक्ष में फैसला सुनाया, जिससे अब सभी टेलीकॉम कंपनियों को लंबित भुगतान को तीन महीने के अंदर खत्म करना होगा। यही कारण है कि कंपनियां टैरिफ रेट में वृद्धि करके अपने घाटे को कम करने की कोशिश कर रही हैं।

वर्ष 2016 के बाद रिलायंस जियो के महंगे होंगे प्लान

वर्ष 2016 के बाद रिलायंस जियो के महंगे होंगे प्लान

जियो की एंट्री के तीन साल बाद यह पहली बार है जब इन तीनों कंपनियों ने अपने टैरिफ को बढ़ाने का फैसला किया है। माना जाता है कि कंपनियों को ऐवरेज रेवेन्यू पर यूजर (ARPU) से ही ज्यादा फायदा होता है। अक्टूबर माह में एयरटेल का ARPU 128 और वोडाफोन-आइडिया का ARPU 107 रहा था। माना जा रहा है कि जियो के टैरिफ महंगे करने के फैसले में शामिल होने से एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया को को राहत मिलेगी, क्योंक अगर जियो ऐसा नहीं करती तो 1 दिसंबर से मंहगे होने जा रहे दोनों कंपनियों के टैरिफ के चलते एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया का सब्सक्राइबर बेस में तेजी से गिरावट आनी तय थी।

टैरिफ वृद्धि की घोषणा से एयरटेल-वोडाफोन के शेयर में उछाल

टैरिफ वृद्धि की घोषणा से एयरटेल-वोडाफोन के शेयर में उछाल

आगामी 1 दिसंबर से टैरिफ बढ़ाने के ऐलान के एक दिन बाद ही वोडाफोन-आइडिया के शेयर में 35% और एयरटेल के शेयर में 7% का उछाल आया। एक रिपोर्ट में कहा कि टैरिफ में बढ़ोतरी इंडियन टेलिकॉम स्टॉक्स में निवेश का मन बनाने के लिए मौके का इंतजार कर रहे निवेशकों के लिए सकारात्मक होगा। इससे वोडाफोन-आइडिया के लिए भविष्य में फंड जुटाना आसान हो जाएगा।

दोनों कंपनियों को नुकसान की भरपाई में मिलेगी मदद

दोनों कंपनियों को नुकसान की भरपाई में मिलेगी मदद

टेलीकॉम कंपनियों के नजरिये से देखा जाए तो उन्हें पिछले कुछ सालों में प्राइस वॉर के चलते काफी नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में टैरिफ में बढ़ोत्तरी करने से उन्हें राजस्व घाटे की भरपाई करने में मदद मिल सकती है। अब चूंकि रिलायंस इंफोकॉम भी इस मुहिम में शामिल हो गई है, तो दोनों शीर्ष कंपनियों को अपने उपभोक्ताओं को भी खोने का डर नहीं रहेगा। हालांकि एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया छोड़कर जियो से जुड़े उपभोक्ता अब खुद को ठगा हुआ जरूर महसूस कर सकते हैं, क्योंकि एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया के ऐलान के बाद जियो उपभोक्ता मान रहे थे कि जियो अपने टैरिफ में बदलाव नहीं करेगी, क्योंकी आईयूसी से परेशान जियो अब पलटवार करेगी।

Comments
English summary
This will be the first time since the establishment of Reliance Jio when India's second largest telecom company Jio infocomm plans to increase the tariff of their services. Earlier, the company started charging 6 paise per call to jio users for other networks in the name of IUC.
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