महिलाओं की स्थिति पर क्या बोलीं इमरान की तलाकशुदा बेगम रेहम
नई दिल्ली। पाकिस्तान में क्रिकेटर से राजनेता बनकर लोकप्रियता हासिल कर रहे इमरान खान की पूर्व पत्नी रेहम खान भारत आईं। वह यहां पर मीडिया ग्रुप इंडिया टुडे के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आई थीं।
इस दौरान उन्होंने भारत-पाकिस्तान महिला सशक्तिकरण पर चर्चा की। रेहम यह कहने में भी नहीं हिचकीं कि दोनों ही देशों में महिलाओं की चुप्पी पर्दे के पीछे मौजूद हालातों पर पर्दा डाल देती है।
एक कुत्ते की वजह से हुआ इमरान और रेहम का तलाक!
रेहम का कहना था कि चाहे भारत हो या फिर पाकिस्तान दोनों ही देशों में महिलाएं अपने-अपने घरों के असल हालातों को छिपाने के लिए चुप रहती हैं। आगे जानिए महिलाओं की स्थिति पर रेहम क्या सोचती हैं।
पसंद है महिला होना
ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट्स और टीवी होस्ट रेहम के मुताबिक वह एक महिला हैं और उन्हें महिला होना पसंद है।
सिनेमा भी करता भेदभाव
रेहम को लोग सलमान खान की तरह दबंग मानते हैं। रेहम के मुताबिक सिनेमा के टाइटल्स अक्सर पुरुषों को ध्यान में रखकर तैयार किए जाते हैं। कोई भी कभी महिलाओं को ध्यान में रखकर इनके टाइटल्स नहीं तैय करता है।
घर से होती असमानता की शुरुआत
रेहम ने बताया कि ऐसी असामनता सिर्फ भारत में ही नहीं है बल्कि पाकिस्तान में भी है। उनका कहना था कि घर से ही इस असमानता की शुरुआत होती है।
दोनों मुल्कों में एक जैसे हाल
रेहम ने कहा दोनों मुल्कों में कई चीजें ऐसी हैं जो समान हैं और इनमें से ही एक है महिलाओं के खिलाफ बढ़ता अपराध। रेहम के मुताबिक भारत और पाक दोनों ही देशों में महिलाओं के खिलाफ अपराध की संख्या बढ़ी है।
दिया आंकड़ों का हवाला
उन्होंने आंकड़ों का हवाला भी अपनी बात को सिद्ध करने के लिए दिया। रेहम ने बताया कि भारत में वर्ष 2014 के आंकड़ों से साफ है कि 86 प्रतिशत से ज्यादा रेप के मामलों में रिश्तेदार ही आरोपी होते हैं।
एक हथियार की तरह हैं महिलाएं
रेहम ने कहा कि समाज में महिलाओं को एक हथियार की तरह प्रयोग किया गया। एक महिला हर काम में आगे होती है, लेकिन जब बात निर्णय करने की आती है तो उसे नजरअंदाज कर देते हैं।
वर्कप्लेस पर महिलाएं
रेहम ने बताया कि दुनियाभर में वर्कफोर्स की 40 प्रतिशत ही महिलाएं हैं। इनमें से सिर्फ 16.9 प्रतिशत ही एग्जिक्यूटिव पोस्ट पर जा पाती हैं।
भारत और पाक में एक अंतर
पाकिस्तान में वर्कप्लेस पर महिलाओं की मौजूदगी 19 प्रतिशत है तो भारत में यह आंकड़ां 33 प्रतिशत है। उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं को बड़ी संख्या में संसद तक पहुंचाने की बात की जाती है लेकिन ऐसा कभी हो नहीं पाता है।