चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद EVM का क्या होता है?
नई दिल्ली: ईवीएम को लेकर इस लोकसभा चुनाव में भी विपक्ष ने काफी हंगामा किया और विश्वसनीयता पर सवाल उठाए। बीजेपी ने इन आरोपों के बावजूद लोकसभा चुनाव 2019 में सबसे अधिक सीटें हासिल की। चुनाव आयोग हमेशा से कहता रहा है कि ईवीएम बिल्कुल सुरक्षित हैं और इसमें हेरफेर नहीं किया जा सकता है। ईवीएम में छेड़छाड़ करना लगभग असंभव है। अधिकांश विशेषज्ञ भी ये मानते हैं। ऐसे में ये जानना जरूरी है कि चुनाव बाद ईवीएम का क्या होता है? चुनाव में करोड़ों वोट दर्ज करने वाले ईवीएम कहां जाएंगे?
90 के दशक में हुआ ईवीएम का इस्तेमाल
ईवीएम का इस्तेमाल पहली बार 90 के दशक में भारत में लोकतंत्र के सबसे बड़े त्योहार के लिए किया गया था। एक ईवीएम लगभग 2,000 मतों को पंजीकृत करता है। हालांकि, भारत के चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार एक ईवीएम को 1,400 से अधिक वोट नहीं लेने चाहिए। इसी को देखते हुए मतदान केंद्रों को विभाजित किया जाता है। मतदान के दिन के बाद ईवीएम को स्ट्रांग रूम में रखा जाता है। मतदान अधिकारियों, उम्मीदवारों और उनके प्रतिनिधियों के सामने होता है।
चुनाव बाद ईवीएम का क्या होता है?
एक बार ईवीएम से वोटों की मतगणना के बाद जीतने वाले उम्मीदवारों का नाम घोषित किया जाता है। इसके बाद ईवीएम को फिर से स्ट्रांग रूम के अंदर रखा जाता है और कमरे को लॉक करके सील कर दिया जाता है। यह फिर से उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों के सामने किया जाता है। इसके साथ ही उनके हक्ताक्षर ला सकते हैं। भारतीय चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि परिणाम घोषित होने के बाद उम्मीदवारों को दोबारा मतगणना का आवेदन करने के लिए 45 दिनों का समय दिया जाता है। इस अवधि में यदि किसी उम्मीदवार को शक होता है, तो वो पुर्नमतगणना के लिए आवेदन कर सकता है।एक बार 45 दिन बीत जाने के बाद दोबारा मतगणना नहीं हो सकती है।
अगले चुनाव में कैसे होता है इस्तेमाल
चुनाव आयोग के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 45 दिन बीतने के बाद ईवीएम को भारी सुरक्षा के बीच भंडारण कक्ष(स्टोरेज रुम) में भेज दिया जाता है। इसके ईवीएम को चुनाव आयोग के इंजीनियरों द्वारा जांचने के बाद यहां रखा जाता है। इंजीनियर कई राउंड चेकिंग करते हैं कि अब ये ईवीएम अब एक और चुनाव के लिए तैयार हैं। देश में चुनाव किसी न किसी स्थान पर होते रहते हैं। इसी वजह से जरूरत पड़ने पर ईवीएम को स्थानांतरित कर दिया जाता है। नए चुनाव की घोषणा होने के बाद ईवीएम को एक विशेष स्थान पर स्थानांतरित कर दिया जाता है। यहां पर चुनाव आयोग फिर से कई दौर की जांच करता है। चुनाव से पहले सभी उम्मीदवारों और प्रतिनिधियों को केंद्र में बुलाया जाता है और एक मॉक टेस्ट किया जाता है और फिर ईवीएम का सत्यापन किया जाता है। इसके बाद कई और मॉक टेस्ट होते हैं और फिर मशीनें प्रमाणित होती हैं। चुनाव अधिकारी, उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर लिए जाते हैं। चुनाव आयोग के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि चुनाव के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कुल ईवीएम में से 20 प्रतिशत ईवीएम को स्टैंडबाई में रखा जाता है। तकनीकी समस्या होने पर ईवीएम को निष्क्रिय कर दिया जाता है।
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