राहुल के भाषण के बाद हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में क्या हुआ?
दिल्ली में रविवार को राहुल गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस की नई कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की पहली बैठक हुई.
पिछले हफ़्ते संसद में राहुल के भाषण और प्रधानमंत्री को उनकी झप्पी के बाद यह पार्टी की पहली बैठक थी जहाँ उनके क़रीबी सहयोगी एक जगह मौजूद थे. कार्यकारिणी के सभी 35 लोगों ने अपनी बात रखी.
यह बैठक कितनी अलग थी? राहुल का अंदाज़ कितना अलग था? संसद वाले भाषण के बाद क्या उनके भाव और बॉडी लैंग्वेज में कोई फ़र्क़ था?
दिल्ली में रविवार को राहुल गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस की नई कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की पहली बैठक हुई.
पिछले हफ़्ते संसद में राहुल के भाषण और प्रधानमंत्री को उनकी झप्पी के बाद यह पार्टी की पहली बैठक थी जहाँ उनके क़रीबी सहयोगी एक जगह मौजूद थे. कार्यकारिणी के सभी 35 लोगों ने अपनी बात रखी.
यह बैठक कितनी अलग थी? राहुल का अंदाज़ कितना अलग था? संसद वाले भाषण के बाद क्या उनके भाव और बॉडी लैंग्वेज में कोई फ़र्क़ था?
'सबने दी राहुल को मुबारकबाद'
बैठक में मौजूद पार्टी महासचिव शकील अहमद के अनुसार, संसद के बाद राहुल गांधी का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ नज़र आया. उन्होंने कहा, "बैठक में मौजूद सदस्यों ने संसद वाले भाषण के लिए उन्हें मुबारकबाद दी. सबकी राय थी कि संसद में ये उनका अब तक का सबसे शक्तिशाली भाषण था."
राहुल को वर्षों से जानने वाले शकील अहमद कहते हैं कि राहुल दिल के साफ़ हैं और सबकी बातें सब्र और ध्यान से सुनते हैं. उनके अनुसार रविवार की बैठक कुछ अलग सी थी. उन्होंने बताया, "आम तौर से कार्यसमिति की बैठक के अंत में प्रस्ताव पारित होते हैं. पर इस बैठक में प्रस्ताव पारित नहीं हुए."
भाजपा ने कहा, 'कांग्रेस गैर-कार्य समिति'
शकील अहमद ने कहा कि बैठक का एजेंडा साफ़ था और वो ये था कि राहुल गांधी 2019 के आम चुनाव में पार्टी की तैयारी और संभावित गठजोड़ पर सदस्यों की राय जाना चाहते थे. शकील अहमद ने कहा, "35 सदस्यों ने अपनी राय रखी और ये फ़ैसला राहुल जी पर छोड़ दिया कि वो जिस पार्टी से चाहें गठजोड़ कर सकते हैं."
राहुल गांधी ने अंत में सदस्यों को सम्बोधित किया और अपने भाषण में सबकी राय का सारांश सामने रखा. शकील अहमद के मुताबिक़, सदस्यों ने अपनी राय रखते समय ये महसूस किया कि उन्हें बोलने की पूरी आज़ादी है.
इस बैठक पर टिप्पणी करते हुए भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक को 'कांग्रेस गैर-कार्य समिति' बताया और पार्टी अध्यक्ष को 'नॉन परफॉर्मिंग' प्रमुख बताया. संबित पात्रा ने कहा कि सीडब्ल्यूसी वास्तव में कांग्रेस की दरबारी बैठक थी, जिसका एकमात्र ध्येय केवल एक परिवार के हितों का ख्याल रखना है.
'किससे करें गठजोड़' का सवाल
उनके अनुसार ये बैठक एक परिवार के हितों को आगे बढ़ाने वाली सभा थी. उन्होंने कहा, "राहुल गांधी के नेतृत्व में सीडब्ल्यूसी की बैठक हुई जिसे मैं कांग्रेस गैर कार्यसमिति कहूंगा. संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर करारी हार के बाद राहुल गांधी की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसकी अगुवाई करीब 20 वर्षों तक सोनिया गांधी किया करती थीं."
इसके जवाब में शकील अहमद बोले कि राहुल गांधी पार्टी के निर्वाचित अध्यक्ष हैं जबकि भाजपा में आरएसएस की सिफ़ारिश पर नियुक्तियां होती हैं.
शकील अहमद ने बताया कि बैठक में मौजूद सदस्यों ने राय ज़ाहिर की कि पार्टी को अगले साल होने वाले आम चुनाव में हर राज्य में अलग-अलग गठजोड़ करने की ज़रूरत है. कांग्रेस पर लगे चुनावों में सॉफ्ट हिंदुत्व को बढ़ावा देने के बारे में शकील अहमद ने कहा कि पार्टी धर्म निरपेक्षता के अपने उसूलों का त्याग नहीं करेगी.
छह महीने पहले कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालने के बाद राहुल गांधी ने पिछले मंगलवार को कांग्रेस कार्यसमिति का पुनर्गठन किया था जिसे अनुभवी और युवा नेताओं के बीच एक संतुलन बताया गया था.
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