क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मालदीव जाकर क्या मिला?

दर्जनों चीनी कम्पनियों ने इस दौरान मालदीव में निवेश शुरू कर दिया जिसमें होटल, रिसॉर्ट्स, बंदरगाह और राजधानी माले को हवाई अड्डे वाले द्वीप से जोड़ने वाले एक बेहद ज़रूरी फ़्लाईओवर का निर्माण भी शामिल था. भारत को यह रास नहीं आया और सितम्बर, 2018 में जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इसका उद्घाटन किया तो भारतीय दूतावास ने समारोह में हिस्सा नहीं लिया.

By नितिन श्रीवास्तव
Google Oneindia News
नरेंद्र मोदी
BBC
नरेंद्र मोदी

मालदीव के आलीशान प्रेसीडेंट्स हाउस के बैंक्वेट हॉल में शनिवार को कोई तीस लोग रहे होंगे.

शाम के साढ़े पाँच बज रहे थे और इससे पहले बग़ल वाले प्राइवेट हॉल में मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह से भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लंबी बातचीत चली थी.

नरेंद्र मोदी, मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह
TWITTER @PIB India
नरेंद्र मोदी, मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह

मोदी ने उन्हें टीम इंडिया के ऑटोग्राफ़ वाला क्रिकेट बैट गिफ़्ट किया तो राष्ट्रपति सोलिह भारतीय पीएम को मालदीव के सर्वोच्च सम्मान 'निशान इज़्ज़ुदीन' से सम्मानित कर संयुक्त प्रेस वार्ता करने पहुँचे.

मोदी इस मेडल को पहने हुए बग़ल के हॉल में पहुँचे.

नरेंद्र मोदी
TWITTER @narendramodi
नरेंद्र मोदी

शुरुआत राष्ट्रपति सोलिह ने की और जब मोदी की बारी आई तो उन्होंने पहले सोने के 'निशान इज़्ज़ुदीन' मेडल तो गले में ठीक करते हुए कहा, "हमारे देशों ने कुछ दिन पहले ही ईद का त्योहार हर्ष और उल्लास के साथ मनाया है. मेरी शुभकामनाएं हैं कि इस पर्व का प्रकाश हमारे नागरिकों के जीवन को हमेशा आलोकित करता रहे."

मोदी के इस वाक्य पर उनके बाईं ओर खड़े भारतीय दल के लोग मुस्कुराए.

सबसे ज़्यादा मुस्कराहट थी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और अब कैबिनेट मंत्री अजित डोभाल के चेहरे पर.

मोदी ने अपने सम्बोधन के शुरुआत में ही पिछले कुछ वर्षों की भारतीय झुँझलाहट को उजागर कर दिया. उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति सोलिह, आपके पद ग्रहण करने के बाद से द्विपक्षीय सहयोग की गति और दिशा में मौलिक बदलाव आया है."

दरअसल, ये एक सीधा संदेश था मालदीव के लिए और चीन के लिए जिसका इंतज़ार भारतीय विदेश मंत्रालय एक लंबे समय से कर रहा था.

हक़ीक़त यही है कि 2013 से 2018 के दौरान मालदीव की अब्दुल्ला यामीन सरकार ने भारत को नज़रंदाज कर चीन से खुले आम दोस्ती का हाथ भी बढ़ाया था और अरबों डॉलर के व्यावसायिक समझौते भी किए थे.

मालदीव, चीन मालदीव फ्रेंडशिप ब्रिज, Sinamalé Bridge, चाइना-मालदीव फ्रेंडशिप ब्रिज, China-Maldives Friendship Bridge
BBC
मालदीव, चीन मालदीव फ्रेंडशिप ब्रिज, Sinamalé Bridge, चाइना-मालदीव फ्रेंडशिप ब्रिज, China-Maldives Friendship Bridge

दर्जनों चीनी कम्पनियों ने इस दौरान मालदीव में निवेश शुरू कर दिया जिसमें होटल, रिसॉर्ट्स, बंदरगाह और राजधानी माले को हवाई अड्डे वाले द्वीप से जोड़ने वाले एक बेहद ज़रूरी फ़्लाईओवर का निर्माण भी शामिल था.

भारत को यह रास नहीं आया और सितम्बर, 2018 में जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इसका उद्घाटन किया तो भारतीय दूतावास ने समारोह में हिस्सा नहीं लिया.

शायद यही वजह थी कि बीते शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी ने मालदीव के हवाई अड्डे वाले द्वीप पर लैंड करने के बाद समुद्र पर बने इस पुल के बजाय एक स्पीडबोट पर सवार होकर समुद्री रास्ते से माले पहुँचे.

कंचन जशनानी
BBC
कंचन जशनानी

यात्रा से क्या मिला?

माले में तीस साल से रह रहीं भारतीय मूल की व्यवसायी कंचन जशनानी से मामले पर बात हुई तो उन्होंने कहा, "पिछले सालों में यहाँ बदलाव तो बहुत आया है. कुछ चीज़ें अच्छी हुईं तो कुछ वैसी नहीं कहीं जा सकतीं. लेकिन इस यात्रा के बाद आगे अच्छा होना चाहिए ऐसी अभी उम्मीद तो है."

लेकिन वजह अनेक हैं जिन पर ख़ास ध्यान देने की ज़रूरत है.

पहली बात ये कि दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी के मालदीव को चुनने की असल वजह क्या है.

मोदी ने अपनी दूसरे शपथ ग्रहण समारोह में पिछली बार की तरह दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के नहीं बल्कि बिम्सटेक देशों के समूह के नेताओं को बुलाया और मालदीव इसमें नहीं था.

दूसरी बात ये कि पिछले कुछ सालों में मालदीव और श्रीलंका भारतीय विदेश नीति के लिए पाकिस्तान के बाद शायद सबसे बड़ी चुनौती रहे हैं.

दोनों देशों में एक लंबे समय तक प्रतिद्वंदी चीन की हिमायती सरकारें सत्ता में थीं और भारत को ये बात खटक रही थी.

गोवा विश्विद्यालय में दक्षिण एशिया विभाग के प्रोफ़ेसर राहुल त्रिपाठी के मुताबिक़, "कुछ आलोचक इस बात को भी कहते रहे हैं कि भारत इंतज़ार कर रहा था, किसी भी मौक़े का, इन दोनों देशों में दोबारा पैर ज़माने का. श्रीलंका में मौक़ा थोड़ा पहले मिला और मालदीव में थोड़ा बाद में. लेकिन गोल एक था, चीन को पछाड़ना."

मालदीव, Maldives
BBC
मालदीव, Maldives

ज़ाहिर है, मालदीव की इस यात्रा से भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक संदेश भी देना चाहता है कि उसके अपने क़रीबी पड़ोसी उसके 'पाले में हैं.'

प्रधानमंत्री मोदी के ही नेतृत्व वाली पिछली सरकार के दौरान नेपाल से सम्बन्धों में दरार आ गई थी जब 'आर्थिक ब्लॉकेड' का मसला हुआ था और उसके कुछ साल बाद नेपाल ने भारतीय नोटों पर बैन लगा दिया था.

पाकिस्तान और चीन के साथ भी सम्बन्धों में कोई सुधार नहीं दिखा है.

बांग्लादेश में शेख़ हसीना सरकार से मौजूदा भारतीय सरकार के अच्छे रिश्ते रहे हैं लेकिन इस बीच वहाँ के विपक्ष ने भारत पर "बांग्लादेश को दबा कर रखने' का आरोप लगाया है.

अब एक नज़र दौड़ाइए उन घोषणाओं/समझौतों पर जो प्रधानमंत्री मोदी के मालदीव आने पर हुईं.

मालदीव में मोदी
TWITTER/NARENDRA MODI
मालदीव में मोदी

मालदीव डिफेंस फोर्सेज के कंपोजिट ट्रेनिंग सेंटर और तटीय निगरानी प्रणाली में मदद की पहल, क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण, विभिन्न द्वीपों पर पानी और सफ़ाई की व्यवस्था, छोटे और लघु उद्योगों के लिए वित्त व्यवस्था, बंदरगाहों का विकास, कांफ्रेंस और कम्युनिटी सेंटर का निर्माण, आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं, स्टूडेंट्स के लिए फ़ेरी की सुविधा प्रमुख हैं.

साथ ही मालदीव में जुमा मस्जिद के निर्माण कार्य में मदद की घोषणा.

कोच्ची और माले के बीच जिस पैसेंजर फ़ेरी को चालू करने पर सहमति हुई है वो दरअसल 2011 से ठंडे बस्ते में पड़ी हुई थी. ये वो साल था जब पिछली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री (मनमोहन सिंह) ने मालदीव की आधिकारिक यात्रा की थी.

मालदीव के राष्ट्रपति सोलिह जब पिछले वर्ष भारत आए थे तब क़रीब डेढ़ अरब डॉलर की वित्तीय मदद की घोषणा (जिसमें एक बड़ी रक़म मूलभूत ढाँचों के विकास के लिए उधार पर भी दी जाएगी) हो चुकी थी.

साफ़ है कि इस यात्रा में किसी बड़े निवेश पर समझौता नहीं हुआ, न ही किसी इस पर बात की गई.

मालदीव में कुछ व्यवसायियों को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री मोदी के डेलीगेशन में भारत के कुछ बड़े कॉरपोरेट समूह भी आएँगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

वजह शायद यही है कि मालदीव की पिछली अब्दुल्ला यामीन सरकार और तब माले हवाई अड्डे में निर्माण कार्य में लगी भारतीय जीएमआर कम्पनी में तनातनी हो चुकी है और कम्पनी पर करोड़ों रुपये का हर्ज़ाना लगा दिया था.

मालदीव में मोदी
TWITTER/ NARENDRA MODI
मालदीव में मोदी

फ़िलहाल मामला सुलझ गया है लेकिन इसके बाद से भारतीय कारोबारियों ने मालदीव में फूँक-फूँक कर क़दम रखने शुरू कर दिए हैं.

राजधानी में मुलाक़ात मालदीव मूल के अब्दुल्ला शाह से भी हुई जिन्हें लगता है पिछले कुछ वर्षों में जो हुआ उसे बदलने में समय लगेगा.

उन्होंने कहा, "मोदी आए ये तो अच्छी बात है, लेकिन क्या देकर गए इसे समझने में समय लगेगा. भारत और मालदीव के बीच सम्बंध ऐतिहासिक हैं इसमें कोई शक़ नहीं. आगे देखते हैं."

मालदीव के वित्त मंत्रालय के एक अफ़सर ने गोपनीयता बनाए रखने की शर्त पर बताया, "पिछले छह सालों में मालदीव में दक्षिण पूर्व एशिया के देशों ने बिज़नेस में पैर जमा लिए हैं. चीन की तो बात छोड़िए, सिंगापुर, थाईलैंड और मलेशिया की कंपनिया यहाँ निर्माण कार्य और पर्यटन के व्यवसाय में अपना सिक्का जमा चुकी हैं. भारत की तरफ़ से ऐसा कुछ भी नहीं सिवाय टाटा और स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया वग़ैरह के."

पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद
Getty Images
पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद

इधर इस अहम यात्रा के बाद बीबीसी हिंदी से हुई एक ख़ास बातचीत में मजलिस के स्पीकर और पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने इस बात से इनकार किया कि जब वे सत्ता में रहते हैं तो भारत की तरफ़ अनायास ही मुख़ातिब रहते हैं.

उन्होंने कहा, "भारत-मालदीव के सम्बंध आज के तो हैं नहीं. और भारत ने कभी भी मालदीव से आर्थिक फ़ायदा उठाने की नहीं सोची, इसलिए हम लोग भारत से दोस्ती में ख़ुशी महसूस करते हैं."

मोहम्मद नशीद
BBC
मोहम्मद नशीद

लेकिन इस सवाल का जवाब स्पीकर नशीद थोड़ा टाल सा गए कि, "क्या इस बात से निराशा नहीं हुई कि प्रधानमंत्री के साथ भारतीय उद्योगपतियों की तरफ़ से कोई नहीं आया निवेश वग़ैरह के लिए?"

मोहम्मद नशीद ने कहा, "देखिए ये मालदीव के लोगों से, सभी राजनीतिक दलों से मिलने की यात्रा थी न कि व्यवसायिक. रही बात आर्थिक सहयोग की तो ऐसा नहीं है कि मालदीव आर्थिक मदद या क़र्ज़ों से छुटकारा पाने के लिए सिर्फ़ भारत की तरफ़ ही देखता है."

माले में प्रधानमंत्री के आगमन पर कुछ लोगों में ये भी सुगबगाहट चल रही थी कि, "जब हवाई अड्डा मात्र पंद्रह मिनट की दूरी पर है तो राष्ट्रपति सोलिह पीएम मोदी को रिसीव करने क्यों नहीं गए."

मालदीव के कुछ जानकार इस ओर भी इशारा करते हैं कि मौजूदा राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह, "बेहद मँझे हुए, संजीदा राजनेता हैं और उनमें और पूर्व राष्ट्रपति और फ़िलहाल मालदीव की मजलिस (संसद) मोहम्मद नशीद में, यही एक छोटा लेकिन बहुत ख़ास फ़र्क़ है कि नशीद खुल कर भारत-समर्थन करते हैं और सोलिह कूटनीतिक तरह से."

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी डेढ़ दिन की मालदीव यात्रा के दौरान पूर्व राष्ट्रपतियों अब्दुल गयूम और मोहम्मद नशीद से मुलाक़ात की थी. नशीद से मुलाक़ात पर ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए मोदी ने ट्वीट भी किया था.

भारत और मालदीव के झंडे
BBC
भारत और मालदीव के झंडे

असल चिंता

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी मालदीव यात्रा की प्रमुख बात देश की मजलिस (संसद) में देने वाले सम्बोधन के लिए बचा कर रखी थी.

उन्होंने कहा कि बहुत बड़ा दुर्भाग्य है कि लोग अभी भी गुड टेररिस्ट और बैड टेररिस्ट का भेद रखते हैं. उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि आतंकवाद एक देश के लिए ही नहीं बल्कि पूरी सभ्यता के लिए ख़तरा है और राज्य प्रायोजित आतंकवाद आज सबसे बड़ा ख़तरा है.

ज़ाहिर है, भारतीय प्रधानमंत्री का ये इशारा पड़ोसी देश पाकिस्तान की तरफ़ था जिसे 'चरमपंथियों और हमलावरों को पनाह देने के' भारतीय आरोप पिछले महीनों खासे तेज़ रहे हैं. ख़ास तौर से पुलवामा में हुए हमले के बाद और 'बालाकोट, पाकिस्तान में जवाबी कार्रवाई' करने के दावों के बाद से.

भारत में हाल ही में हुए आम चुनावों में भी प्रधानमंत्री मोदी की पार्टी बीजेपी और ख़ुद उन्होंने राष्ट्रवाद के साथ-साथ देश की सुरक्षा और 'पाकिस्तान से ख़तरा' जैसे मुद्दों पर खुल कर बातें की हैं.

श्रीलंका में ईस्टर बम धमाके
BBC
श्रीलंका में ईस्टर बम धमाके

एक तीर से दो निशाना साधने की कोशिश

मालदीव में प्रधानमंत्री का चरमपंथ पर बात करना इस बात को भी दर्शाता है कि श्रीलंका में हाल ही में हुए इस्टर बम धमाकों ने भारतीय सुरक्षा नीतिकारों को भी झझकोर कर रख दिया है.

दक्षिण एशिया मामलों पर चार साल से काम कर रहे भारतीय विदेश मंत्रालय के एक अफ़सर के मुताबिक़, "भारत श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल जैसे पड़ोसियों को लगातार अलर्ट देता रहा. सच यही है कि धर्म से प्रभावित चरमपंथ की वारदातें हमारे पड़ोस में बड़े पैमाने पर हुई हैं, चाहे वो ढाका का होली आरटीज़न बेकरी हमला हो या श्रीलंका के चर्चों पर हुए सिलसिलेवार हमले. इसलिए किसी भी प्राथमिकता के पहले यही भारत की प्राथमिकता है."

साफ़ है कि, मालदीव की अपनी यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने एक तीर से दो निशाने करने की कोशिश की है.

नरेंद्र मोदी
TWITTER @narendramodi
नरेंद्र मोदी

एक तरफ़ चीन को मालदीव में भारतीय वापसी का और दूसरी तरफ़ पाकिस्तान को चरमपंथ के मामले में.

अब चीन और पाकिस्तान के विदेश नीति पंडितों का क्या रूख रहेगा, इसका कुछ ही दिनों में शुरू होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में पता चलने की उम्मीद है.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
What did Prime Minister Narendra Modi get to visit Maldives?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X