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इमरान क्या मदद करना चाह रहे थे जिस पर भारत ने सुनाई खरी-खोटी

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने एक रिपोर्ट का हवाला देकर अपने देश की एक योजना से भारत को मदद देने की पेशकश की थी. क्या है वो योजना? क्या थी वो रिपोर्ट?

By BBC News हिन्दी
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इमरान ख़ान
Reuters
इमरान ख़ान

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कोरोना वायरस से लड़ने में भारत की मदद की पेशकश की जिसे भारत ने बिना देरी किए ख़ारिज कर दिया. पर इमरान ख़ान ने क्या पेशकश की थी? वो ग़रीबों की मदद करने वाली किस योजना की बात कर रहे थे, और चाहते थे कि भारत इसका अनुकरण करे? इमरान ख़ान ने साथ ही मदद की पेशकश करते हुए भारत के बारे में एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट का भी उल्लेख किया? क्या था उस रिपोर्ट में?

दरअसल इमरान ख़ान ने जिस प्रोग्राम की बात की उसका नाम है - एहसास प्रोग्राम. और जिस रिपोर्ट का उन्होंने ज़िक्र किया वो रिपोर्ट भारत में अर्थव्यवस्था पर शोध करने वाली एक नामी कंपनी और अमरीका के कुछ प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों ने मिलकर तैयार की थी.

इमरान ख़ान ने 11 जून को अपने ट्वीट में भारत को मदद की पेशकश करते हुए लिखा - "मैं भारत को हमारे कामयाब कैश ट्रांसफ़र प्रोग्राम की जानकारी साझा करने की पेशकश करता हूँ जिसकी पहुँच और जिसकी पारदर्शिता की अंतरराष्ट्रीय सराहना हुई है."

इमरान ख़ान ने साथ ही ट्वीट में ये भी दावा किया - "हमारी सरकार ने ग़रीबों को कोविड-19 के प्रभाव का सामना करने के लिए पिछले नौ हफ़्तों में एक करोड़ से ज़्यादा परिवारों में पारदर्शी तरीक़े से 120 करोड़ रूपए बाँटे हैं." वो जिस कैश ट्रांसफ़र योजना का ज़िक्र कर रहे थे उसका नाम है - एहसास इमर्जेंसी कैश प्रोग्राम जिसे 9 अप्रैल को जारी किया गया था.

इमरान ख़ान ने 8 अप्रैल को मीडिया को इसकी जानकारी देते हुए कहा कि सरकार कम आय वाले ऐसे लोगों को आर्थिक मदद देगी जो लॉकडाउन की वजह से तंगी झेल रहे हैं.

उन्होंने बताया कि 1 करोड़ 20 लाख परिवारों को 12,000 रुपए की मदद दी जाएगी. एहसास प्रोग्राम की प्रमुख डॉक्टर सानिया निश्तर ने उस समय बताया था कि इसका तरीक़ा क्या होगा. उन्होंने बताया कि इसके लिए लोगों को अपने नेशनल आइडेंटिटी नंबर एक सरकारी नंबर पर भेजने होंगे, जिसके बाद राष्ट्रीय डेटाबेस में दर्ज जानकारी के मुताबिक कई चरणों में जाँच होगी कि ये व्यक्ति मदद का हक़दार है कि नहीं. उन्होंने बताया कि एक परिवार से चाहे कितने भी सदस्य अपने आइडेंटिटी नंबर टेक्स्ट करें, मदद केवल एक सदस्य के नाम पर दी जाएगी.

इमरान ख़ान ने इस योजना को जारी करते वक़्त ये भी कहा था कि ये दीर्घकालीन योजना है जिसके लिए 80 अरब रुपए जुटाए जाएँगे.

प्रतिक्रिया और विवाद इस्लामाबाद स्थित बीबीसी संवाददाता शुमाइला जाफ़री के अनुसार कई लोग इस योजना की ये कहकर आलोचना करते हैं कि इमरान ख़ान कन्फ़्यूज़्ड हैं यानी उन्हें ठीक से पता नहीं है कि वो 80 अरब रुपए कहाँ से लाएँगे. साथ ही लोग ये भी कह रहे हैं कि सरकार ने इसे एक दीर्घकालीन योजना बताया है कि मगर इसका कोई ब्यौरा नहीं दिया कि आगे क्या होगा और इसमें कौन लोग शामिल होंगे.

कुछ लोगों ने ये भी शिकायत की कि उन्हें कोई मदद नहीं मिली जबकि वो इसके हक़दार थे. पर बीबीसी संवाददाता का कहना है कि इस योजना को काफ़ी सराहा भी जा रहा है.

शुमाइला जाफ़री ने कहा,"एक बहुत बड़ी आबादी ऐसी है जो कह रही है कि बहुत लंबे अरसे के बाद पाकिस्तान में ऐसा कोई सरकारी कार्यक्रम आया है जिसमें केवस राजनीतिक समर्थकों की मदद नहीं की गई है बल्कि उस हर ज़रूरतमंद को मदद मिलती रही है जिसने अपने आप को रजिस्टर किया है."

हालाँकि पाकिस्तान के विपक्षी दल पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल ज़रदारी भुट्टो ने ये भी दावा किया है कि सरकार पहले से ग़रीबों के लिए बनी एक योजना - बेनज़ीर इन्कम सपोर्ट प्रोग्राम - का पैसा एहसास प्रोग्राम में ट्रांसफ़र कर रही है.

बिलावल भुट्टो ने 11 मई को संसद में कहा,"मैं ध्यान दिलाना चाहता हूँ कि बेनज़ीर इन्कम सपोर्ट प्रोग्राम के लिए आपके पास जो भी पैसा था, वो आपने एहसास के नाम पर बाँट दिया. आपका अपना हिस्सा कहाँ है? ".

भारत के बारे में वो रिपोर्ट जिसका इमरान ने ज़िक्र किया

इमरान ख़ान ने बुधवार को अपने ट्वीट में एक रिपोर्ट का भी हवाला दिया और लिखा - "इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 34% परिवारों को मदद ना मिली तो वो एक हफ़्ते भी गुज़ारा नहीं कर सकेंगे."

इमरान ख़ान ने जिस रिपोर्ट का ज़िक्र किया वो 11 मई को जारी हुई थी और भारत में भी मीडिया में इसकी चर्चा हुई थी.

अख़बारों में रिपोर्ट की सुर्खियाँ कुछ इस तरह की थीं

एक-तिहाई से ज़्यादा भारतीय परिवारों के साधन अगले हफ़्ते में समाप्त हो सकते हैं - इकोनॉमिक टाइम्स

से ज़्यादा भारतीय घरों की कमाई लॉकडाउन में बंद - हिंदुस्तान टाइम्स

एक हफ्ते और लॉकडाउन बढ़ा, तो देश के एक तिहाई परिवार सड़क पर आ जाएंगे - दैनिक भास्कर

इस रिपोर्ट को मुंबई स्थित एक निजी शोध कंपनी सेंटर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई), यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो बूथ स्कूल ऑफ़ बिज़नेस और पेन्सिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के वॉर्टन स्कूल ने मिलकर जारी किया था. रिपोर्ट में लॉकडाउन के दौरान भारत के लोगों की रोज़ाना की ज़िंदगी पर पड़नेवाले आर्थिक असर का जायज़ा लेने की कोशिश की गई थी जिसमें मुख्य तौर पर सीएमआईई के सर्वेक्षण को आधार बनाया गया था.

इमरान की पेशकश पर भारत की प्रतिक्रिया

भारत सरकार ने इमरान ख़ान की मदद की पेशकश पर सख़्त आपत्ति जताई और उन्हें दो-टूक जवाब दिया.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने एक ऑनलाइन ब्रीफ़िंग में कहा कि सबको पता है कि पाकिस्तान का आर्थिक घाटा उनके जीडीपी का 90% है और वो कैसे इस घाटे को व्यवस्थित करने के लिए जूझ रहा है.

प्रवक्ता ने साथ ही कहा,"पाकिस्तान को ये भी याद दिलाना अच्छा रहेगा कि भारत ने अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिए जिस पैकेज की घोषणा की है वो राशि पाकिस्तान के पूरे जीडीपी के बराबर है".

प्रवक्ता का इशारा प्रधानमंत्री मोदी की ओर से एलान किए गए 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की ओर था.

अनुराग श्रीवास्तव ने साथ ही कहा,"पाकिस्तान बजाय अपने लोगों को पैसे देने के पैसे देश से बाहर के एकाउंटों में भेजने के लिए जाना जाता है. साफ़ है, इमरान ख़ान को सलाहकारों की नई टोली और बेहतर सूचनाओं की ज़रूरत है".

BBC Hindi
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English summary
What did Imran Khan want to help, on which India said hard words
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