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1980 में बाल ठाकरे ने इंदिरा के पक्ष में जो किया, वही राज ठाकरे मोदी के खिलाफ कर रहे हैं

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नई दिल्ली- राज ठाकरे (Raj Thackeray) की महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (MNS) 2019 के लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ रही है। लेकिन, फिर भी राज ठाकरे (Raj thackeray) बीते चारों दौर के मतदान में खूब सुर्खियों में रहे हैं। पॉलिटिकल पंडितों के लिए महाराष्ट्र की राजनीति में यह स्थिति 39 साल बाद लौटी है। इमरजेंसी (Emergency) के बाद 1980 के चुनाव में राज ठाकरे के चाचा बाल ठाकरे की पार्टी शिवसेना (Shivsena) भी चुनाव नहीं लड़ी थी। लेकिन, उस चुनाव के नजीतों में उनका बहुत बड़ा रोल माना जाता है। अगर सीधे-साधे बात करें, तो 1980 में बाल ठाकरे ने इंदिरा गांधी (Indira gandhi) की सत्ता में वापसी में मदद की थी। लेकिन, 2019 में राज ठाकरे का मकसद अपने चाचा से ठीक उलट नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने का रहा है। आइए समझने की कोशिश करते हैं कि अलग-अलग मकसदों के बावजूद भतीजे ने कैसे चाचा की ही रणनीति अपनाकर नरेंद्र मोदी के खिलाफ सियासी घोड़ा दौड़ाया है।

बाल ठाकरे ने कैसे की थी इंदिरा गांधी की मदद?

बाल ठाकरे ने कैसे की थी इंदिरा गांधी की मदद?

1980 के लोकसभा चुनाव में बाल ठाकरे ने बहुत ही चतुराई से खुद की पार्टी को चुनाव नहीं लड़ाकर इंदिरा गांधी की अगुवाई वाली कांग्रेस के समर्थन का फैसला किया था। तब इमरजेंसी (Emergency) के बाद बनी जनता पार्टी की चौधरी चरण सिंह की अगुवाई वाली सरकार गिरने के कारण मध्यावधि चुनाव कराए जा रहे थे। राजनीति के जानकारों की मानें तो खुद चुनाव न लड़कर कांग्रेस को समर्थन देने का फैसला शिवसेना प्रमुख ने महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री ए आर अंतुले (AR Antulay) से निजी ताल्लुकातों और भरोसे के आधार पर लिया था। तथ्य यह है कि उस चुनाव में इंदिरा गांधी को जीत मिली और वो फिर से प्रधानमंत्री की कुर्सी पर वापस लौट गईं थीं।

शिवसेना ने कब-कब किया कांग्रेस का समर्थन?

शिवसेना ने कब-कब किया कांग्रेस का समर्थन?

बाल ठाकरे और उद्धव ठाकरे की शिवसेना का बीजेपी के साथ दशकों से तालमेल रहा है। दोनों में विवाद होते हैं, बयानबाजी भी होती है, लेकिन साथ में चलना दोनों की ही मजबूरी रही है। लेकिन, ऐसा कई बार हुआ है, जब शिवसेना बीजेपी से अलग जाकर कांग्रेस का समर्थन कर चुकी है। यह स्थिति अकेले 1980 में ही नहीं आई। जबसे उद्धव की सक्रिय राजनीति में एंट्री हुई है, तब के बाद भी ऐसे मौके देखने को मिले हैं। 2007 में शिवसेना ने प्रतिभा पाटिल और 2012 में प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति बनाने में भी कांग्रेस का साथ दिया था।

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चाचा की तरकीब से मोदी को हटाना चाहते हैं राज

चाचा की तरकीब से मोदी को हटाना चाहते हैं राज

राज ठाकरे (Raj Thackeray) ने अपने चाचा से भाषण कला ही नहीं सीखी है, मौजूदा चुनाव में उन्होंने पूर्व शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के अंदाज में राजनीति करने की भी कोशिश की है। 2019 के चुनाव में उनकी रणनीति वही रही है, जो चार दशक पहले उनके चाचा ने अपनाई थी। अलबत्ता, इस चुनाव में ए आर अंतुले (AR Antulay) की जगह एनसीपी (NCP) सुप्रीमो शरद पवार (Sharad Pawar) ने ले ली है, जिन्होंने राज ठाकरे के फैसले में सबसे बड़ा किरदार निभाया है। राज ठाकरे या उनकी पार्टी चुनाव नहीं लड़ी है, लेकिन उन्होंने पूरे महाराष्ट्र में घूम-घूम कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ चुनाव प्रचार किया है। यानी सीधे न सही घुमाकर उन्होंने मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस और एनसीपी के लिए ही प्रचार किया है।

मोदी को हटाने के लिए राज ने चुनाव में क्या किया है?

मोदी को हटाने के लिए राज ने चुनाव में क्या किया है?

हालांकि, राज ठाकरे (Raj Thackeray)ने किसी भी रैली या सभा में कांग्रेस या एनसीपी (NCP) के लिए सीधा वोट नहीं मांगा है, लेकिन उन्होंने जिस तरह से मोदी और शाह पर तंज कसे हैं, उससे लोगों को जरा भी कंफ्यूजन नहीं रहा है कि उनका इशारा किसे वोट दिलाने के लिए है। अलबत्ता, एक रैली में उनकी दिल की बात जुंबा पर भी आ गई। उन्होंने लोगों से कहा कि लोग मोदी का प्रयोग कर चुके हैं, तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का प्रयोग कर लेने में ही क्या बुराई है। पूरे चुनाव अभियान के दौरान उन्होंने एक ही स्ट्रैटजी पर अपना पूरा जोर लगाए रखा। हर जगह उन्होंने अपने भाषणों से, तानों से और मजाकिया अंदाज से पीएम मोदी की छवि खराब करने की भरपूर कोशिश की। इसके लिए उन्होंने 2014 के चुनाव प्रचार के दौरान के पीएम मोदी के भाषणों के विडियो क्लिप्स का इस्तेमाल किया। बड़ी-बड़ी स्क्रीन पर विडियो दिखाकर उन्होंने मोदी के करिश्मे को धोने के लिए अपनी पूरी एनर्जी लगा दी। लेकिन, राज ठाकरे की इन कोशिशों की काट निकालने में भाजपा नाकाम रही, जिसका कितना फायदा कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को मिलेगा, यह देखने वाली बात है।

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English summary
What Bal Thackeray did in Indira's favor in 1980, Raj Thackeray doinge same against modi
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